Advertisement
28 March 2021

क्रिकेटः बीस साल बाद लौटा जज्बा बेमिसाल

अगर निराशा के घने अंधकार से निकल कर दोबारा खड़ा होना खेल जगत में अच्छे प्रदर्शन का पैमाना हो, तो कहा जा सकता है कि भारत का क्रिकेट इतिहास हीरों से भरा पड़ा है। जनवरी में ब्रिस्बेन के गाबा स्टेडियम में भारत की जीत ने दिखा दिया कि हमारे युवा क्रिकेटरों ने कैसे बेहतरीन प्रतिभा और असीमित साहस के दम पर अपने दुर्जेय विरोधी पर विजय पाई। अजिंक्य रहाणे के नेतृत्व वाली इस भारतीय टीम में कई खिलाड़ी चोटिल थे, फिर भी वे 'बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी' अपने पास रखने में बखूबी कामयाब रहे। इस बेहतरीन प्रदर्शन का डीएनए शायद 20 साल पहले तब रचा गया था, जब तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारतीय टीम ने अपने साहसिक प्रदर्शन से ऑस्ट्रेलिया के विजय रथ को रोका था।

वह चमत्कार 11-15 मार्च 2001 को कोलकाता के ईडेन गार्डन में दिखा था। तब भारत टेस्ट मैच में फॉलोआन के बाद जीत दर्ज करने वाला तीसरा देश बना था। लगातार 16 टेस्ट मैच जीतने वाली स्टीव वॉ की अजेय समझी जाने वाली टीम को भारत ने हराया था। (उससे पहले क्लाइव लॉयड के नेतृत्व में वेस्ट इंडीज की टीम ने 1984 में लगातार 11 जीत का रिकॉर्ड बनाया था।) स्टीव वॉ की उस टीम पर भारत ने 2-1 से जीत दर्ज की थी। ईडेन की उस जीत ने खिलाड़ियों को भरोसा दिलाया कि असंभव कुछ भी नहीं। महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली की अगुवाई वाली बाद की पीढ़ियों ने उस परंपरा को बरकरार रखा है।

21वीं सदी की शुरुआत में भारतीय क्रिकेट अपने बुरे दौर से निकलने की कोशिश कर रही थी। एक तरफ स्टीव वॉ के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलियाई टीम एक-एक कर सभी टीमों को ध्वस्त करती जा रही थी, तो भारत में सौरव गांगुली अदम्य जज्बा रखने वाली एक नई टीम खड़ी करने का प्रयास कर रहे थे। कोलकाता से पहले मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भारत को 10 विकेट से हरा कर ऑस्ट्रेलिया ने जीत का अटूट सिलसिला जारी रखा था। 2001 में घरेलू मैदानों पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई श्रृंखला और हालिया डाउन अंडर सीरीज में समानताएं हैं। प्रमुख खिलाड़ी चोटिल थे, युवा खिलाड़ी टेस्ट कैप पहनने की प्रतीक्षा में थे। नए खिलाड़ियों की अनुभवहीनता को देखते हुए कागजों पर भारतीय टीम काफी कमजोर लग रही थी। लेकिन गांगुली की टीम ने बेहतरीन कौशल के साथ पलटवार किया।

Advertisement

अगर 'लड़ाकू' ऋषभ पंत ने गाबा में रिकॉर्ड 328 रनों का पीछा करने में भारत की मदद की, तो 20 साल पुरानी सीरीज ने युवा हरभजन सिंह को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकने का मौका दिया था। तब दुनिया के सबसे अच्छे बल्लेबाजी क्रम के खिलाफ उन्होंने तीन टेस्ट मैच में 32 विकेट हासिल किए थे। ईडेन गार्डन्स में उन्होंने हैट्रिक भी ली थी। ऐसा करने वाले वे पहले भारतीय गेंदबाज थे।

ऐतिहासिक ईडेन टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया का आखिरी विकेट लेकर हरभजन ने जीत दिलाई

ऐतिहासिक ईडेन टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया का आखिरी विकेट लेकर हरभजन ने जीत दिलाई

ईडन का वह टेस्ट मैच चौथे दिन वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ के भगीरथ प्रयास के लिए भी याद किया जाएगा। दोनों ने 376 रनों की साझेदारी में बेहतरीन कौशल और दृढ़ता का परिचय दिया। लक्ष्मण साढ़े दस घंटे क्रीज पर रहे और अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ 281 रनों की पारी खेली। उस समय उनकी पीठ में दर्द था और सात दिनों से सोए नहीं थे। 180 रन बनाने वाले राहुल द्रविड़ फ्लू के शिकार थे और चौथे दिन के तीसरे सत्र में उनकी हालत बहुत खराब हो गई थी।

‘महानतम’ शब्द व्यक्तिपरक हो सकता है, लेकिन 2001 में ईडेन में मिली जीत मील का पत्थर थी। उस जीत के नायकों में लक्ष्मण और हरभजन के अलावा सचिन तेंडुलकर भी थे। ये तीनों यहां ऑस्ट्रेलिया पर जीत का महत्व बता रहे हैं। मौजूदा अंतरराष्ट्रीय टीमों में ऐसे बल्लेबाज कम ही हैं जिनमें देर तक टिक कर बल्लेबाजी करने का हुनर और धैर्य हो। टिम पेन के नेतृत्व वाली टीम तो स्टीव वॉ की टीम की परछाई भी नहीं। जब पांच दिन का टेस्ट मैच तीन दिन में खत्म होना आम हो गया हो, तब ईडेन जैसी जीत का स्थान हमेशा ऊपर रहेगा।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: क्रिकेट, क्रिकेट मैच, क्रिकेट इतिहास, Cricket
OUTLOOK 28 March, 2021
Advertisement