तीन चयनकर्ताओं को हटाने पर उच्च न्यायालय ने डीडीसीए को लताड़ा
न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट और न्यायमूर्ति दीपा शर्मा की पीठ ने कहा कि डीडीसीए ने अपनी हद पार की है जबकि उच्च न्यायालय ने पहले ही इस मामले को खत्म कर दिया था और इस पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था। डीडीसीए से यह पूछते हुए कहा कि क्या उन्होंने अपने फैसले से न्यायमूर्ति मुदगल को अवगत कराया था, पीठ ने कहा, हमें लगता है कि आप (डीडीसीए) यहां सभी के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं। यह अदालत की अवमानना है।
डीडीसीए में विभिन्न विवादास्पद मुद्दों को देखते हुए न्यायमूर्ति मुदगल को उच्च न्यायालय ने पिछले साल क्रिकेट संघ के मामलों के संचालन के लिए नियुक्त किया था। डीडीसीए की खेल समिति ने हाल में पूर्व भारतीय क्रिकेटरों मनिंदर सिंह, अतुल वासन और निखिल चोपड़ा को उनके संबंधित पैनल में से चयनकर्ताओं के रूप में हटा दिया था। न्यायमूर्ति मुदगल ने इसके बाद अपने वकील नितिन मिश्रा के जरिये अदालत की शरण में जाते हुए डीडीसीए के इस फैसले को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की थी।
डीडीसीए की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अमन लेखी ने हालांकि कहा कि चयनकर्ताओं को हितों में टकराव का नोटिस जारी किया गया था जिसके बाद अदालत ने कहा कि वे इस मामले की सुनवाई बाद में करेंगे। फिलहाल टीम का चयन कर रहे जूनियर और सीनियर चयन पैनल का गठन मुदगल के निरीक्षण में किया गया था। मुदगल पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं।
अदालत के समक्ष आवेदन करते हुए न्यायमूर्ति मुदगल ने कहा, चयन पैनल द्वारा साक्षात्कार की प्रक्रिया के जरिये मेरे निरीक्षण में नियुक्त चयनकर्ता फिलहाल सीनियर और जूनियर टीमों का चयन करने की प्रक्रिया में थे। उन्होंने कहा, कुछ निर्देशकों और (डीडीसीए) खेल समिति के समन्वयक द्वारा मेरी और दिल्ली उच्च न्यायालय की स्वीकृति के बिना चयनकर्ताओं को चयन पैनल से हटाने का लक्ष्य सिर्फ घरेलू सत्र को नुकसान पहुंचाना है। न्यायमूर्ति मुदगल ने कहा, चयनकर्ता पहले ही विभिन्न टीमों का चयन कर चुके हैं जो घरेलू मैच खेल रही हैं।
भाषा