धोनी पर जुर्माना काफी नहीं, लगना चाहिए था 2-3 मैचों का बैन: सहवाग
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के एक मुकाबले में राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ 'नोबॉल' फैसले को लेकर चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने मैदान पर फील्ड अंपायर से बहस की थी। इस बहस के बाद मैच रेफरी ने उन्हें आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी मानते हुए मैच फीस के पचास प्रतिशत का जुर्माना लगाया था, लेकिन कुछ वरिष्ठ खिलाड़ी इस सजा से खुश नहीं हैं। वे इसे कमतर मान रहे हैं।
इसे लेकर वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि धोनी पर कम से कम दो या तीन मैच का निलंबन लगना चाहिए था। पूर्व विस्फोटक बल्लेबाज ने धोनी के फैसले को गलत बताते हुए कहा, 'मेरे ख्याल से धोनी को मैदान पर नहीं उतरना चाहिए था। वहां मैदान पर बल्लेबाज थे, जो अंपायर्स से नोबॉल पर चर्चा कर लेते।'
'बैन से अंपायरों की अहमियत जान पाते'
साथ ही उन्होंने धोनी को दी गई सजा को कम बताते हुए कहा, 'इसके लिए धोनी पर 2 या 3 मैच का प्रतिबंध लगना चाहिए था। इससे अंपायरों की अहमियत पता चलती।'
'भारतीय टीम के लिए करते तो खुशी होती'
इस दौरान उन्होंने कहा कि धोनी यदि भारतीय क्रिकेट टीम के लिए ऐसा करते तो मुझे खुशी होती। मैंने उन्हें टीम इंडिया के लिए इस तरह फील्ड में गुस्सा होते नहीं देखा। मुझे लगता है कि वह चेन्नई की टीम के लिए ज्यादा भावुक हो गए।
क्या था पूरा मामला
राजस्थान के खिलाफ चेन्नै सुपर किंग्स की पारी के आखिरी ओवर से यह मामला जुड़ा है। यहां एक नो-बॉल विवाद के चलते धोनी भी मैदान पर उतर आए। चेन्नई सुपर किंग्स को आखिरी ओवर में 18 रनों की आवश्यकता थी। ओवर की तीसरी गेंद पर धोनी बोल्ड हो गए। आखिरी तीन गेंदों पर चेन्नई को जीतने के लिए 8 रन चाहिए थे और मिशेल सैंटनर स्ट्राइक पर थे। स्ट्रोक्स ने एक फुल टॉस फेंकी। अंपायर उल्हास गांधे ने उसे नो-बॉल करार दिया लेकिन स्क्वेअर लेग पर खड़े अंपायर ब्रूस ऑक्सनफर्ड ने इस फैसले को पलट दिया। इसके बाद मैदान के बीच बहस शुरू हो गई। बल्लेबाज रविंद्र जडेजा और मिशेल सैंटनर भी इसमें शामिल हो गए। धोनी भी फील्ड में आ गए और वह अंपायर से बहस करने लगे। इसके बाद गेंद को सही पाया गया। हालांकि मिशेल सैंटनर के आखिरी बॉल पर लगाए गए छक्के ने चेन्नई सुपर किंग्स को जीत दिला दी। धोनी के इस कारनामे के लिए उन पर मैच फीसदी का 50 फीसदी जुर्माना लगा है।