लार पर प्रतिबंध के बाद भी बल्लेबाजों के पक्ष में नहीं जाएगा मुकाबलाः ग्रेग चैपल
भारतीय टीम के पूर्व कोच ग्रेग चैपल ने कहा कि लार पर प्रतिबंध के कारण मुकाबला काफी हद तक बल्लेबाजों के पक्ष में जाएगा, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि टेस्ट क्रिकेट में गेंद को चमकाने के लिए पसीना भी बहुत प्रभावी होगा। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर अंतरिम स्वास्थ्य सुरक्षा उपाय के तहत गेंद पर लार के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है। यह ऐसा कदम है जिसने बल्लेबाजों के हावी होने को लेकर चिंता बढ़ा दी हैं। फिलहाल के लिए गेंदबाज गेंद पर सिर्फ पसीने का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे में कयास है कि यह लार जितना प्रभावी नहीं होगा।
ऑस्ट्रेलियाई टीम के तेज गेंदबाजों पर कम असर पड़ेगा
सिडनी मोर्निंग हेराल्ड से बात करते हुए ग्रेग चैपल ने कहा है, "यदि वे अपने माथे से पसीना पोंछ रहे हैं, तो वहां सनस्क्रीन है। यदि वे लार का उपयोग कर रहे हैं, तो वे शायद कुछ चबा रहे हैं, तो इसमें क्या है? मुझे नहीं पता कि यह इतनी बड़ी बात है। पसीना निकलना लार के बराबर होगा। ईमानदारी से कहूं तो मैं इसमें अंतर नहीं देखता।" साल 2005 से 2007 तक विवादास्पद रूप से भारतीय टीम के कोच रहे चैपल ने ये भी कहा है कि इससे ऑस्ट्रेलियाई टीम के तेज गेंदबाजों पर कम असर पड़ेगा। 71 वर्षीय ग्रेग चैपल ने कहा है, "उनमें से कोई भी गेंद के बड़े स्विंगर्स नहीं हैं, स्टार्क को कुछ रिवर्स स्विंग मिल सकती है। और बड़ी बात यहां गति और उछाल की होती है, मुझे नहीं लगता कि हम इसमें कोई एक बड़ा अंतर देखेंगे।"
गेंद बनाने वाली कंपनी कूकाबुरा ने गेंदों को चमकाने के लिए वैक्स ऐप्लिकेटर विकसित किया है, लेकिन चैपल ने कहा कि इसकी जरूरत नहीं होगी। उन्होंने कहा कि गेंदबाज नई चीज खोजने में माहिर होते हैं, अगर उन्हें पसीना आता है तो गेंद की चमक बरकरार रहेगी। जब तक गेंद कठोर और खुरदुरी होगी तब तक गेंदबाज को मदद मिलती रहेगी।
कुंबले की अध्यक्षता वाली कमेटी ने की थी बैन की सिफारिश
इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) ने कोरोना वायरस के मद्देनजर कुछ दिन पहले ही एक बहुत बड़ा फैसला लिया था। जिसमें अब आईसीसी ने गेंद पर लार के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है। अनिल कुंबले की अध्यक्षता वाली आईसीसी क्रिकेट कमेटी ने लार पर बैन की सिफारिश की थी। बता दें कई बड़े गेंदबाज और पूर्व दिग्गज क्रिकेटर लगातार गेंदबाजों को लार का विकल्प देने की मांग कर रहे थे लेकिन आईसीसी ने ऐसा नहीं किया है। मतलब अब गेंदबाज सिर्फ पसीने से गेंद को चमका पाएंगे।