भारतीय क्रिकेट को अलग पहचान दिलाने वाले पूर्व कप्तान अजीत वाडेकर नहीं रहे
भारतीय क्रिकेट टीम को अलग पहचान दिलाने वाले पूर्व क्रिकेट कप्तान अजीत वाडेकर का बुधवार रात को निधन हो गया। उन्होंने मुंबई के जसलोक में अंतिम सांस ली। वाडेकर काफी समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे।
77 वर्ष के अजीत वाडेकर के परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटे और एक बेटी है। 1971 में अजीत वाडेकर की अगुआई में भारत ने इंग्लैंड में पहली बार सीरीज जीती थी। अजीत वाडेकर का जन्म पहली अप्रैल 1941 में मुंबई में हुआ था। उन्होंने 1966 से 1974 तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला। उन्होंने अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट की शुरुआत 1958 में और अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत 1966 में की थी।
पीएम ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अजीत वाडेकर की मौत पर ट्वीट कर लिखा, 'अजीत वाडेकर को भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा। एक महान बल्लेबाज और शानदार कप्तान। उन्होंने हमारी टीम का नेतृत्व किया और हमारे क्रिकेट इतिहास को सबसे यादगार पल दिए. उनका एक प्रभावशाली क्रिकेट प्रशासक के तौर पर भी काफी सम्मान है। उनके निधन से दुख है।'
लगातार तीन सीरीज में दिलाई जीत
कामयाब कप्तानों में गिने जाने वाले वाडेकर बाएं हाथ के बल्लेबाज और अच्छे फील्डर थे। अंतरराष्ट्रीय करियर आठ वर्ष का रहा। वह एकमात्र ऐसे कप्तान थे, जिन्होंने लगातार तीन सीरीज में टीम को जीत दिलाई। इनमें इंग्लैंड और वेस्टइंडीज की धरती पर भारत की सीरीज जीत शामिल है। उन्होंने 37 टेस्ट मैच खेले जिनमें 31.07 की औसत से 2113 रन बनाए। वाडेकर 1990 के दशक में मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी के दौरान भारतीय टीम के मैनेजर भी रहे थे। वह बाद में चयन समिति के अध्यक्ष भी रहे। वाडेकर को भारत सरकार ने 1967 में अर्जुन अवॉर्ड और 1972 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। घरेलू क्रिकेट में भी उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था। उन्होंने 1966-67 के रणजी ट्रॉफी मैच में 323 का सर्वश्रेष्ठ स्कोर मैसूर के विरुद्ध बनाया था।