वसीम जाफर ने किए धार्मिक भेद भाव के आरोपों को खारिज, कहा- मौलवियों को मैने नहीं बुलाया
पूर्व भारतीय क्रिकेटर वसीम जाफर पर क्रिकेट एसोसिएश ऑफ उत्तराखंड के अधिकारियों ने धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाया था। हालांकि इन आरोपो को वसीम ने खारिज किया है।
संघ सचिव महिम वर्मा ने 42 वर्षीय प्रसिद्ध पूर्व बल्लेबाज वसीम जाफर पर धर्म के आधार पर टीम चयन करने की कोशिश के आरोप लगाए गए थे। जिसे वसीम ने खारिज किया है। इसके साथ ही उन्होंने अपने कोच पद से भी इस्तीफा दे दिया है।
जाफर ने आरोप खारिज कर दिया बयान
जाफर ने एक वर्च्युअल प्रेसकांफ्रेंस में कहा कि जो सांप्रदायिक कोण वाले आरोप है वह बहुत ही दुखद है। उन्होंने आगे बताया कि उन पर आरोप लगाए गए कि मैं अब्दुल्ला के पक्ष में हूं, मैं इकबाल अब्दुल्ला को कप्तान बनाना चाहता था। जो बिल्कुल गलत है। मैं जय बिस्सा को कप्तान बनाने जा रहा था, लेकिन रिजवान शमशाद और अन्य चयनकर्ताओं ने सुझाव दिया कि आप इकबाल को कप्तान बनाए। वह सीनियर प्लेयर है और आईपीएल खेल चुका है और मैं उनके सुझाव से सहमत हो गया।
वसीम जाफर ने कहा कि प्रैक्टिस सेशन के दौरान वह मोलवियों को लेकर नहीं आए थे। बायो बबल में मौलवी आए और हमने नमाज पढ़ी। मैं आपको बताना चाहता हूं कि जो भी मौलवी देहरादून में कैंप के दौरान दो या तीन जुमे आए उन्हें मैंने नहीं बुलाया था।
हम रोज कमरे में ही नमाज पढ़ते थे, लेकिन शुक्रवार की नमाज मिलकर पढ़ते थे तौ मैंने सोचा कि कोई इसके लिए आएगा तो अच्छा ही रहेगा। हमने नेट प्रैक्टिस के बाद पांच मिनट ड्रेसिंग रूम में नमाज पढ़ी। अगर यह सांप्रदायिक है तो मैं नमाज के वक्त के हिसाब से प्रैक्टिस का समय बदल सकता था, लेकिन मैं ऐसा नहीं हूं। उन्होंने आगे कहा कि इसमें कौन सी बड़ी बात है, मुझे समझ नहीं आ रहा है।