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21 January 2017

गोवा चुनाव : टिकट बंटवारे से नाराज हैं भाजपा, कांग्रेस के बड़े नेता

गूगल

गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा में 21 विधायकों के साथ सरकार चला रही भाजपा ने अपने तीन मौजूदा विधायकों का पत्ता काटकर उनकी जगह कांग्रेस छोड़कर आए नेताओं को टिकट दिया है।

संत आन्द्रे क्षेत्र से विधायक विष्णु वाघ को स्वास्थ्य कारणों से टिकट नहीं दिया गया है, वहीं कानकोना विधायक रमेश तवाडकर का नाम सूची में नहीं होने से उन्हें झटका लगा है। तवाडकर ने कहा, मुझे सूची से बाहर रखने के लिए भाजपा को अनुसूचित जनजाति समुदाय का विद्रोह झेलना पड़ेगा। जिन विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति समुदाय की जनसंख्या निर्णायक कारक है, वहां उन्हें (भाजपा को) झटका लगेगा।

पूर्व मंत्री ने अब कानकोना सीट से निर्दलीय विधायक के रूप में पर्चा भरा है।

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गोवा विधानसभा के अध्यक्ष तथा मायेम से भाजपा विधायक अनंत शेत को भी टिकट नहीं मिला है। शुरूआती अटकलें थीं कि शेत मायेम सीट से चुनाव लड़ने के लिए राकांपा का दामन थामेंगे, लेकिन उन्होंने किसी दूसरी पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामाकंन भरने से इनकार कर दिया है।

शेत ने कहा, मैं पार्टी के खिलाफ विद्रोह नहीं करूंगा, लेकिन संभवत: उम्मीदवार के पक्ष में काम भी नहीं करूंगा।

पार्टी ने केन्द्रीय आयुष मंत्री श्रीपद यशोनाइक के बेटे सिद्देश नाइक को भी चुम्भारजुआ सीट से टिकट नहीं दिया है। पिछले महीने कांग्रेस के बागी नेताओं के भाजपा में शामिल होने से पहले सिद्देश इस सीट के एकमात्र प्रबल दावेदार थे।

तीनों नेताओं के स्थान पर कांग्रेस से आए विजय पाई खोट (कानकोना), प्रवीण ज्यांते (मायेम) और पांडुरंग मदकाईकर (चुम्भारजुआ) को टिकट मिला है।

कांग्रेस ने भी अपने कई नेताओं को नाराज किया है... कांग्रेस के टिकट बंटवारे से संगीता परब, जितेन्द्र देशप्रभु, प्रताप गवास और जाओक्वीम अलेमाओ जैसे वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ सुनील कावथंकर और उर्फान मुल्ला जैसे युवा नेता भी नाराज हैं। इन सभी को पार्टी से टिकट मिलने की संभावना थी, लेकिन उम्मीदवारों की अंतिम सूची में अपना नाम ना देखकर इन्हें तगड़ा झटका लगा है।

मन्द्रेम से मां-बेटे संगीता परब और सचिन तथा वरिष्ठतम नेता जितेन्द्र देशप्रभु को संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा था।

संगीता और सचिन पिछले वर्ष मार्च में कांग्रेस में शामिल हुए थे। हालांकि पार्टी ने तीनों का पत्ता काट दिया है और टिकट दयानंद सोपते को दिया है।

सोपते को मन्द्रेम से टिकट जरूर मिल गया है, लेकिन उन्हें दौड़ से बाहर हुए अन्य उम्मीदवारों की चुनौतियां जरूर झेलनी पड़ेंगी।

सोपते का समर्थन करने के संबंध में सवाल करने पर देशप्रभु ने कहा, मन्द्रेम में मैं कांग्रेस प्रत्याशी के लिए प्रचार नहीं कर रहा।

सबसे मुखर और युवा नेता.. तथा सरकार की नाकामियों को लेकर उसके खिलाफ बोलने वाले महासचिव सुनील कावथंकर को भी टिकट नहीं मिला है। उनकी जगह कांग्रेस में बाहर से आए संतोष सावंत को पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है।

सुनील का कहना है, पार्टी कार्यकर्ता बहुत नाराज हैं। मैं पिछले 15 वर्षों से पार्टी के लिए काम कर रहा हूं और सरकार के खिलाफ सबसे मुखर नेता रहा हूं। पार्टी की खातिर कई बार मैं अपने नेताओं के खिलाफ भी गया हूं। और मुझे उसका कुछ ऐसा सिला दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा, किसी बड़े नेता या मौजूदा विधायक की गैर-मौजूदगी के बजाए मेरे नाम को खारिज कर दिया गया। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। पार्टी के भीतर मौजूद निहित स्वार्थ के कारण आला कमान ऐसा कर रहा है।

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TAGS: ticket allocations, BJP and Congress, came as a shocker, many stalwarts in Goa, independent candidates, election campaign, State Assembly polls
OUTLOOK 21 January, 2017
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