घरेलू क्रिकेट कम खेलने से स्पिनरों को नुकसान
नयी दिल्ली। वेंकटपति राजू का कहना है कि अनुकूल पिचों पर घरेलू क्रिकेट के अभाव से भारतीय स्पिनरों के विकास पर असर पड़ रहा है। भारत विदेश में काफी क्रिकेट खेल रहा है जबकि खिलाडि़यों को घरेलू मैच खेलने का समय ही नहीं मिल पाता। इसके अलावा भारत में भी आईपीएल जैसे टूर्नामेंटों से उनका कार्यक्रम काफी व्यस्त रहता है। इससे उन पिचों पर राज्य के खिलाड़ी ही खेलते हैं और अपना खेल निखारते हैं। लेकिन घरेलू पिचों पर नहीं खेलने का खामियाजा खिलाड़ियों को अपने प्रदर्शन में गिरावट के रूप में भुगतना पड़ता है।
श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट में खराब प्रदर्शन के कारण सवालों में घिरे हरभजन सिंह को पक्ष भारतीय टीम के पूर्व स्पिनर वेंकटपति राजू का समर्थन मिला है। राजू का मानना है कि हरभजन अतिरिक्त प्रयास करने के चक्कर में फ्लाप रहा। श्रीलंका के विरुद्ध स्पिनरों के दबदबे वाले मैच में हरभजन ने 25 ओवरों में सिर्फ एक विकेट लिया। भारत 63 रन से हारकर तीन मैचों की श्रृंखला में 0 -। से पिछड़ गया है।
पूर्व स्पीनर राजू ने मैच में हरभजन के बढ़िया प्रदर्शन और खुद को साबित नहीं कर पाने के कारण के बारे में बात करते हुए कहा कि अपने एक्शन में सुधार के दौरान हरभजन रिहैबिलिटेशन की लंबी प्रक्रिया से गुजरा है। इस दौरान लंबे समय तक टीम से बाहर रहने के बाद अब उसने वापसी की है लिहाजा खुद को साबित करने के लिए उसने अतिरिक्त प्रयास किया। उसके पास अनुभव की कोई कमी नहीं है और उसे बखूबी पता है कि किन हालात में कैसे खेलना है। लेकिन समस्या यह है कि जब आप वापसी करते हैं तो आप खुद को साबित करने की कोशिश करते हैं। आप अतिरिक्त प्रयास करते हैं जो कई बार कारगर साबित नहीं होते।
श्रीलंका में 22 साल पहले टेस्ट श्रृंखला जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रहे राजू ने कहा कि तीन स्पिनरों की रणनीति तभी कामयाब होती है जब स्कोर बहुत अच्छा हो। राजू ने कहा, मैं उस टीम का सदस्य था जिसने 1993 में मोहम्मद अजहरूद्दीन की अगुवाई में श्रीलंका में जीत दर्ज की थी। उस टीम की ताकत भी स्पिन थी। श्रीलंका के पास मुथैया मुरलीधरन के अलावा चमिंडा वास भी था जो विकेट लेने में माहिर था। लेकिन उस वक्त हमारे खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट भी खेलते थे और वैसी पिचों पर खेलने के आदी थे। जब कभी भी हमने आस्ट्रेलिया या इंग्लैंड की मेजबानी की, 400 से 500 का स्कोर बनाया।