ऋषभ पंत के समर्थन में उतरे वीरेंद्र सहवाग, कहा बाहर रहकर कैसे बनाएंगे रन
पंत के लगातार बाहर रहने को लेकर पूर्व विस्फोटक सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने टीम मैनेजमेंट पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आलोचना करते हुए कहा कि किसी खिलाड़ी को बाहर रखा जाए तो टीम मैनेजमेंट को इस बारे में स्पष्ट रूप से बात करने की जरूरत है। दरअसल, टीम इंडिया के युवा विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत पिछले कई मैचों से बाहर बैठे हुए हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू वनडे सीरीज में अपना आखिरी मैच खेला था। वह कंगारू टीम के खिलाफ पहले वनडे में चोटिल हो गए थे, जिसके बाद से केएल राहुल विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। पंत अभी फिट हैं लेकिन उन्हें न्यूजीलैंड के खिलाफ मौजूदा टी-20 सीरीज में भी मौका नहीं दिया गया है।
दिया धोनी का उदाहरण
पूर्व सलामी बल्लेबाज ने पूर्व कप्तान एमएस धोनी का उदाहरण दिया जिन्होंने 2012 में कहा था कि सहवाग, सचिन तेंडुलकर और गौतम गंभीर को रोटेट किया जा रहा है क्योंकि वे मैदान पर स्लो हैं। सहवाग ने खुलासा किया कि ड्रेसिंग रूम में इस बात की चर्चा हुई थी कि रोहित शर्मा को मौका दिया जाना चाहिए और इसीलिए रोटेशन नीति अपनाई जा रही है।
सचिन तेंडुलकर को भी बाहर बैठा देंगे तो वह भी रन नहीं बना पाएंगे
उन्होंने कहा कि लेकिन बाहर कुछ और कहा गया। सहवाग ने 'क्रिकबज' के एक कार्यक्रम में कहा, ऋषभ पंत को बाहर रखा गया है, वह रन कैसे बनाएंगे? अगर आप सचिन तेंडुलकर को भी बाहर बैठा देंगे तो वह भी रन नहीं बना पाएंगे। अगर आपको लगता है कि वह (पंत) मैच विनर है तो आप उसे क्यों नहीं खिलाते? सिर्फ इसलिए कि वह निरंतर प्रदर्शन नहीं कर रहा है।
कप्तान को करनी चाहिए खिलाड़ी से बात
उन्होंने कहा, हमारे समय के दौरान कप्तान खिलाड़ी के पास जाता था और बात करता था। अब मुझे नहीं पता कि विराट कोहली ऐसा करते हैं या नहीं। मैं टीम सेटअप का हिस्सा नहीं हूं। लेकिन लोग कहते हैं कि जब रोहित शर्मा बतौर कप्तान एशिया कप गए थे तो वह सभी खिलाड़ियों से बात करते था।
बताई अपनी आप बीती
उन्होंने आगे कहा, जब एमएस धोनी ने ऑस्ट्रेलिया में कहा कि शीर्ष तीन फील्डर स्लों हैं तो हमसे कभी भी पूछा या मशवरा नहीं किया गया। हमें मीडिया से पता चला। उन्होंने यह संवाददाता सम्मेलन में कहा लेकिन टीम की बैठक में बोला कि हम स्लो फील्डिर हैं। दरअसल टीम मीटिंग में बात यह थी कि हमें रोहित शर्मा को मौके देने की जरूरत है, जो नए हैं और इसीलिए रोटेशन नीति होगी। अगर ऐसा ही अब भी हो रहा है, तो यह गलत है।