मनोहर बने बीसीसीआई अध्यक्ष, क्रिकेट में लाएंगे लोकपाल
मनोहर ने बोर्ड की विशेष आम बैठक में पदभार संभाला। बैठक आधे घंटे से भी कम समय तक चली। वह कल नामांकन जमा करने की समय सीमा खत्म होने के बाद चुनाव में शामिल एकमात्र उम्मीदवार थे। गत दिनों जगमोहन डालमिया के निधन के बाद चुनाव करवाने जरूरी हो गए थे। डालमिया ने इसी साल मार्च में हुए चुनावों में ही अध्यक्ष पद संभाला था। मनोहर इससे पहले 2008 से 2009 और 2010 से 2011 तक तीन साल बीसीसीआई अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं। मनोहर का कार्यकाल 2017 में खत्म होगा। उनकी नियुक्ति का अर्थ है कि श्रीनिवासन के पास 2017 तक बीसीसीआई में वापसी का मौका नहीं रहेगा।
अध्यक्ष पद संभालने के बाद मनोहर ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता बोर्ड की छवि सुधारना है, जिसके लिए वह दो महिने का समय मांग रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि बीसीसीआई खेल में किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएगी। भ्रष्टाचार के मुद्दों के प्रति अपना रुख स्पष्ट करते हुए मनोहर ने खेल में हितों के टकराव के मामलों से निबटने के लिए लोकपाल की नियुक्ति की भी बात कही। अध्यक्ष पद की गरिमा और नैतिकता स्थापित करने की भावना जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि जब तक बोर्ड के संविधान में संशोधन नहीं होता तब तक मैं मतदान करने के अध्यक्ष के अधिकार का उपयोग नहीं करूंगा।
इस बार अध्यक्ष पद के लिए प्रस्ताव रखने की बारी पूर्वी क्षेत्र की थी और उसकी सभी छह इकाईयों ने सर्वसम्मति से मनोहर की उम्मीदवारी का समर्थन किया जिससे बोर्ड की राजनीति में श्रीनिवासन की पकड़ भी कमजोर पड़ गई। बीसीसीआई उप चुनाव में पूर्वी क्षेत्र से केवल एक प्रस्तावक की जरूरत थी। मनोहर को सभी छह संघों का समर्थन मिला और कल शाम सात बजे की समयसीमा तक केवल उन्होंने ही नामांकन का पर्चा भरा जिसके बाद उनका बीसीसीआई अध्यक्ष बनना तय हो गया था।
दिलचस्प बात यह रही कि मनोहर के नाम का प्रस्ताव डालमिया के पुत्र अभिषेक ने रखा जो एसजीएम में अपने पारिवारिक क्लब राष्ट्रीय क्रिकेट क्लब (एनसीसी) का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। श्रीनिवासन ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया और तमिलनाडु क्रिकेट संघ का प्रतिनिधित्व पी एस रमन ने किया। जिन अन्य ने मनोहर के नाम का प्रस्ताव रखा उनमें बंगाल के सौरव गांगुली, त्रिपुरा के सौरव दासगुप्ता, असम के गौतम राय, ओडि़शा के आशीर्वाद बेहड़ा और झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के संजय सिंह शामिल हैं।
मनोहर की जिम्मेदारी बीसीसीआई में फिर से स्थिरता लाना होगा क्योंकि श्रीनिवासन के कार्यकाल के दौरान बोर्ड विवादों से घिरा रहा। आईपीएल 2013 के सट्टेबाजी विवाद के कारण उच्चतम न्यायालय को उन्हें बीसीसीआई चुनाव से दूर रहने के लिये कहना पड़ा था। इस सट्टेबाजी विवाद में श्रीनिवासन के दामाद और आईपीएल टीम चेन्नई सुपरकिंग्स के पूर्व प्रिंसिपल गुरूनाथ मयप्पन को दोषी पाया गया था। श्रीनिवासन ने बीसीसीआई पर नियंत्रण बनाने के लिए अपने किसी उम्मीद्वार के लिए समर्थन जुटाने की भरपूर कोशिश की थी। यहां तक कि उन्होंने शरद पवार से भी मुलाकात की जो उनके धुर विरोधी रहे हैं। पवार गुट के सदस्य हालांकि श्रीनिवासन से हाथ मिलाने के पक्ष में नहीं थे। बोर्ड सचिव अनुराग ठाकुर की अगुवाई वाला एक अन्य गुट मनोहर की उम्मीदवारी का समर्थन कर रहा था तथा पिछले सप्ताह दिल्ली में केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली से उनकी मुलाकात के बाद मनोहर के लिए बीसीसीआई अध्यक्ष पद का रास्ता साफ हो गया था।