मयंक अग्रवाल ने बताया अपनी सफलता का राज, कहा लंबी दूरी की दौड़ से मुझे मदद मिली
भारत के सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल ने अपने दोहरे शतक के बारे में कहा कि लंबी दूरी की दौड़ और लंबे बल्लेबाजी सत्रों से उन्हें घंटों तक क्रीज पर टिककर बल्लेबाजी की ताकत और दमखम मिला। भारत में अपना पहला टेस्ट खेल रहे अग्रवाल ने 371 गेंद में 215 रन बनाए। भारत ने मैच के दूसरे दिन 502 रनों का स्कोर खड़ा करने के बाद पारी घोषित की और दिन का खेल खत्म होने तक 39 रन के अंदर दक्षिण अफ्रीका के तीन विकेट भी गिरा दिए।
ढाई घंटे का सत्र रहता था
मयंक अग्रवाल ने कहा कि लंबी दूरी की दौड़ से मुझे मदद मिली। मैं 2017-18 घरेलू सत्र से पहले जब अभ्यास कर रहा था तो मेरे कोच और मैंने सुनिश्चित किया कि हम ढाई घंटे के सत्र के बाद छोटा ब्रेक लेकर फिर अभ्यास करेंगे। मैं उसी तरह से तैयारी करता हूं। लंबी दूरी की दौड़ से मुझे और फायदा मिला।
शतक पूरा होने के बाद राहत महसूस हो रही थी
यह पूछने पर कि पहला सैकड़ा पूरा करने के बाद दूसरा सैकड़ा जल्दी पूरा करने के पीछे क्या मंशा थी, उन्होंने कहा कि एक शतक पूरा होने के बाद राहत महसूस हो रही थी और इस विकेट पर खेलने के अनुभव से आत्मविश्वास मिला। उन्होंने कहा कि हमें उनकी गेंदबाजी का अनुमान था। एक बार मेरा बड़ा स्कोर होने के बाद हमने तय किया कि गेंदबाजों पर फिर दबाव बनाकर ढीली गेंदों को नसीहत देनी है।
अपने खेल को बेहतर बनाने के लिए के लिए विपश्यना करने वाले अग्रवाल ने कहा कि यह सिर्फ रन बनाने की बात नहीं है बल्कि निर्णायक क्षणों में डटे रहने की है। आप ऐसा कर सके तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता।