विश्व कपः किसे खिताब दिलाने को है दुनिया बेताब
कई सारे उलटफेर के बाद विश्व कप के अब तक हुए मैचों से क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाली टीमों की स्थिति साफ हो चुकी है। आशंका के उलट भारत के उम्दा प्रदर्शन ने सबको हैरान किया है और अपने गेंदबाजों के अप्रत्याशित प्रदर्शन से अपने पूल में वह शीर्ष मुकाम पर पहुंच चुका है। उधर, पूल ए में अजेय न्यूजीलैंड के बाद श्रीलंका अब तक दूसरे स्थान पर कब्जा जमाए हुए है, बांज्लादेश ने भी इंज्लैंड को खिताब की दावेदारी से बेदखल करते हुए जैसे-तैसे क्वार्टर फाइनल खेलने लायक जगह बना ली है। थोड़ा-बहुत संदेह पाकिस्तान को लेकर है लेकिन भारत और वेस्टइंडीज से हारने के बाद जिस आक्रामक अंदाज में उसने जिंबाब्वे, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और दक्षिण अफ्रीका को पटखनी दी है, उससे लगता नहीं कि आयरलैंड एक और उलटफेर करते हुए उसे हरा पाएगा। दक्षिण एशिया के इन चारों देशों के बेदम होकर एकाएक फिनिक्स चिडि़या की तरह फुर्तीले अंदाज में उड़ान भरने से अब मेजबान एवं सशक्त न्यूजीलैंड तथा ऑस्ट्रेलिया की टीमें भी घबराने लगी हैं। क्रिकेट पंडित तो यहां तक मानने लगे हैं कि विश्व कप एक बार फिर दक्षिण एशियाई क्षेत्र में ही और विशेषकर भारत में ही रह जाएगा। अब सवाल यह उठता है कि दक्षिण एशियाई देशों को विश्व कप में बनाए रखने की कहीं यह सोची-समझी रणनीति तो नहीं है? बहुत हद तक इस बात की पुष्टि सिडॉन पार्क के क्यूरेटर कार्ल जॉनसन ने यह कहकर कर दी है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की खास हिदायत पर विश्व कप में सपाट पिचें बनाई जा रही हैं। आईसीसी को आशंका है कि भारत का हश्र वेस्टइंडीज की उछाल भरी पिचों पर हुए विश्व कप-2007 जैसा न हो जाए जहां बांज्लादेश से हारने के बाद वह क्वार्टर फाइनल की दौड़ से भी बाहर हो गया था और आयोजकों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। क्रिकेट के प्रति दक्षिण एशियाई देशों की दिलचस्पी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहली बार विश्व कप खेल रही अफगानिस्तान की टीम को नई और कम अनुभवी टीमों में सर्च इंजन गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च किया गया है। इस सूची में इसके बाद बांज्लादेश का ही स्थान है।
सभी जानते हैं कि क्रिकेट का बाजार सिर्फ एशियाई देशों से ही चकाचौंध हो सकता है और इसका सबसे बड़ा विश्व कप मेला लगा हो तो खरीदारों की दिलचस्पी तभी तक रहेगी, जब तक कि उनकी टीमें इस प्रतियोगिता में बनी हुई हैं। आईसीसी को बखूबी मालूम है कि क्रिकेट के ग्राहकों में सबसे बड़ी संख्या भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांज्लादेश से ही है। इनमें ऐसे भारतीय प्रशंसकों की संख्या तो सर्वाधिक है जो क्रिकेट को भगवान की तरह पूजते हैं। विश्व कप के आगाज से पहले भारतीय टीम की दुर्गति शायद ही कोई भुला पाया होगा। टीम के बल्लेबाजों के लिए तो बहाना था कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की उछाल, स्विंग और स्वीम वाली पिचें उनके रन बटोरने के माकूल नहीं हैं, लेकिन गेंदबाजों की भी कोई ऐसी उपलब्धि रही होगी कि वे अपने दम पर कोई मैच निकाल सकें। यानी अचानक से उनकी गेंदबाजी में यह धार और कलात्मकता कहां से आ गई और बल्लेबाजों का फॉर्म क्या चमचमाते विश्व को देखकर ही लौट आया? भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) दुनिया की सबसे अमीर संस्था है। कोई आश्चर्य नहीं कि बीसीसीआई के दबाव में ही आईसीसी ने बकौल कार्ल जॉनसन सपाट पिचें बनवाई हों। वैसे आईसीसी ने पिच क्यूरेटर्स को मीडिया से बात नहीं करने की हिदायत दी थी लेकिन जॉनसन ने बड़ा धमाका करते हुए कहा है कि उन्हें यह कहने में कोई झिझक नहीं कि हमने वैसा ही किया जैसा हमें करने को कहा गया था। यही वजह है कि इस विश्व कप में अब तक हुए मैचों में 300 या इससे अधिक स्कोर 25 बार बन चुके हैं और अभी तेरह मैच होने बाकी हैं। अब तक एक दोहरा शतक (क्रिस गेल के नाम) के अलावा 29 शतक लग चुके हैं। यदि ए. बी. डीविलियर्स 99 पर आउट नहीं हुए होते तो इस विश्व कप में अब तक 30 शतक लग चुके होते। इतने रन और इतने शतक पिछली बार भारतीय उपमहाद्वीप में हुए विश्व कप में भी नहीं लगे थे। रनों के हिसाब से अब तक 17 हजार से ज्यादा रन बन चुके हैं।
जॉनसन की मानें तो आईसीसी के पिच कंसल्टेंट एंडी एटकिंसन ने एक साल पहले ही विश्व कप के सभी मेजबान मैदानों के क्यूरेटर्स को निर्देश दिया था कि उन्हें खूब रन बनने वाली पिचें चाहिए। इसके मद्देनजर एटकिंसन ने कई बार मेल का आदान-प्रदान करने के साथ ही कुछ दिनों के अंतराल पर सभी मैदानों का दौरा किया और विश्व कप शुरू होने से एक-डेढ़ महीने पहले तक उनकी आवाजाही का सिलसिला बढ़ गया था। पिछले विश्व कप में सिर्फ 17 बार 300 से अधिक स्कोर बना था और कुल 24 शतक लगे थे। लेकिन इस बार कुछ नए नियमों और फील्डिंग पाबंदियों के अलावा सपाट विकेट भी गेंदबाजों के साथ अन्याय कर रहे हैं। जॉनसन को इसी बात का मलाल है क्योंकि वह खुद एक गेंदबाज रह चुके हैं। इस विश्व कप में पहली बार दोनों छोर से नई गेंद फेंकी जा रही है जिस वजह से शुरुआती ओवरों में बल्ला छूते ही गेंद सीमा रेखा के पार पहुंचने को बेताब रहती है। पिछले 40 वर्षों में बाजार के लिहाज से भी इस प्रतियोगिता में भारी फेरबदल हुआ है। पहले विश्व कप विजेता वेस्टइंडीज को सिर्फ चांदी की एक ट्रॉफी मिली थी जबकि इस बार विजेता टीम को ट्रॉफी के अलावा 25 करोड़ रुपये मिलेंगे। मेजबान देशों को 23 अरब रुपये की कमाई होने का अनुमान है, जाहिर है कि मेजबान देश इस मुनाफे में एक पाई की भी कटौती नहीं चाहेंगे और शुरुआती दौर में ही दक्षिण एशियाई देशों को विश्व कप मुकाबले से बाहर करने की जुर्रत करेंगे। लोकप्रियता के लिहाज से यदि क्रिकेट का विश्व कप, ओलिंपिक और विश्व कप फुटबॉल के बाद तीसरे स्थान पर है तो इसकी वजह सिर्फ और सिर्फ एशियाई देश ही हैं। भारत में क्रिकेट के प्रति दीवानगी लगभग 40 करोड़ आबादी में चरम पर है जबकि पूरी दुनिया के एक अरब से थोड़े अधिक लोगों की ही इसमें दिलचस्पी है। स्टार स्पोर्ट्स ने दो अरब डॉलर में प्रसारण अधिकार इससे दोगुनी आमदनी की आस में ही खरीदा है और उसे विज्ञापनों के जरिये आशाजनक परिणाम भी मिल रहे हैं। पिछले तीन सप्ताह में लीग चरण के पहले 29 मैचों को अब तक पांच लाख 34 हजार दर्शक देख चुके हैं। भारत की बढ़ती जीत से दर्शकों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है।
जहां तक भारतीय बल्लेबाजों और गेंदबाजों के प्रदर्शन का सवाल है तो सबसे ज्यादा गेंदबाजों ने चौंकाया है। अब तक खेले गए पांच मैचों में 50 विकेट निकालकर गेंदबाजों ने सौ प्रतिशत सफलता के साथ आलोचकों का तो मुंह बंद किया ही है, मैच जीतने में भी अहम भूमिका निभाई है। यहां तक कि कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी कहते हैं कि वह तभी तक सफल कप्तान हैं, जब तक गेंदबाज उनके साथ हैं। आयरलैंड पर आठ विकेट की जीत के बाद उन्होंने कहा, ‘मेरे गेंदबाज मुझे अच्छी तरह समझते हैं और उन्हीं की बदौलत भारतीय टीम की कायापलट हुई है। तेज गेंदबाजों की सोच में लचीलापन है और परिस्थितियों के हिसाब से बदलने को हमेशा तैयार रहते हैं।’ वहीं अपने जमाने के बेहतरीन खब्बू बल्लेबाज और न्यूजीलैंड के कप्तान स्टीफन फ्लेमिंग भी मानते हैं कि भारतीय गेंदबाजी आश्चर्यजनक रूप से बदली है। उन्होंने कहा कि मोहित शर्मा ने चेन्नई सुपरकिंज्स के गेंदबाजी कोच एंडी बिकेल के साथ कड़ी मेहनत की है। टीम में उनके रहने से भारतीय टीम की गेंदबाजी असरदार हो गई है। इन्हीं गेंदबाजों के दम पर धोनी ने भारतीय टीम को आईसीसी विश्व कप में लगातार नौ मैच जिताकर पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के लगातार आठ मैच जीतने के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है और वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान क्लाइव लॉयड की बराबरी कर ली। पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर मानते हैं कि मोहम्मद शमी और उमेश यादव के परिपक्व प्रदर्शन से लगता है कि दोनों विश्व स्तरीय गेंदबाज बनने की राह पर सरपट भाग रहे हैं। हालांकि भारत और पाकिस्तान का कोई बल्लेबाज या गेंदबाज (मोहम्मद शमी को छोड़कर) सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की सूची में जगह नहीं बना पाया है लेकिन श्रीलंका के कुमार संगकारा और बांज्लादेश के महमदुल्लाह और मुशफिकुर के प्रदर्शन ने खासा प्रभावित किया है। इसी साल अगस्त में अपने संन्यास की घोषणा कर चुके कुमार संगकारा ने जहां स्कॉटलैंड के खिलाफ 95 गेंदों में 124 रन बनाकर कई सारे कीर्तिमान एक साथ खड़े किए हैं वहीं इंज्लैंड के खिलाफ महमदुल्लाह ने अपने कॅरिअर का पहला शतक तथा मुशफिकुर रहीम ने 89 रनों की तूफानी पारी खेलकर इंज्लैंड की क्वार्टर फाइनल खेलने की उम्मीदों पर ही पानी फेर दिया। श्रीलंका के कप्तान एंजेलो मैथ्यूज अपने सलामी बल्लेबाज संगकारा के इतने कायल हो गए हैं कि उन्होंने घुटनों के बल दुआ की है कि विश्व कप के बाद संगकारा संन्यास न लेने पाएं।
आयरलैंड के हाथों वेस्टइंडीज की करारी हार के बाद इंज्लैंड की हार को इस विश्व कप का सबसे बड़ा उलटफेर माना जाता है। कुमार संगकारा दुनिया के पहले ऐसे बल्लेबाज बन गए हैं जिन्होंने विश्व कप के मैचों में लगातार चार शतक जड़े हैं। इतना ही नहीं, वह ऑस्ट्रेलियाई धरती पर हुए एकदिवसीय मैचों में दो हजार रन बनाने वाले (48 मैचों में) श्रीलंका के पहले और दुनिया के तीसरे बल्लेबाज भी बन गए हैं। इससे पहले वेस्टइंडीज के डेसमंड हेंस और विवियन रिचर्ड्स जैसे गैर-एशियाई खिलाडि़यों के नाम ही यह रिकॉर्ड रहा है और वह भी क्रमश: 94 और 73 मैचों में। इससे जाहिर होता है कि दक्षिण एशियाई खिलाडि़यों के अनुकूल पिच बनाई गई है। इंज्लैंड के खिलाफ जिस दिन बांज्लादेश का मुकाबला हुआ, उस दिन इंज्लैंड के नाम चार मैचों में एक ही जीत दर्ज थी जबकि बांज्लादेश को चार मैचों में दो जीत मिली हुई थी। बांज्लादेश ने इंज्लैंड के खिलाफ अब तक का सर्वाधिक बड़ा स्कोर तो बनाया ही, महमदुल्लाह और रहीम ने भी विश्व कप में बांज्लादेश की ओर से अब तक की सबसे बड़ी साझेदारी निभाई। यह वही इंज्लैंड की टीम है जिसने विश्व कप से ठीक पहले त्रिकोणीय शृंखला में भारत को बुरी तरह हराकर ऑस्ट्रेलिया के साथ फाइनल खेला था। जाहिर है कि अगर इंज्लैंड यह मैच जीत जाता तो दोनों के बराबर अंक हो जाते और बांज्लादेश के क्वार्टर फाइनल खेलने पर संकट के बादल मंडराने लगते।
अब जरा क्वार्टर फाइनल खेलने वाली टीमों पर निगाह डालें तो दोनों पूल से संतुलन बराबर नजर आ रहा है। अब तक के परिणामों से भारत का क्वार्टर फाइनल मुकाबला बांज्लादेश से और श्रीलंका का दक्षिण अफ्रीका से लगभग तय माना जा रहा है। इन दोनों क्वार्टर फाइनल मैचों में भी कम से कम एक एशियाई टीम, यानी भारत, का सेमीफाइनल खेलना तय माना जा रहा है क्योंकि भारत के मुकाबले बांज्लादेश की टीम कमजोर मानी जा रही है। वहीं, श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है। पाकिस्तान यदि आयरलैंड को हरा देता है तो उसका मुकाबला ऑस्ट्रेलिया या न्यूजीलैंड से हो सकता है। यानी क्वार्टर फाइनल के चार में से तीन मैचों में एशियाई देशों की उपस्थिति रहेगी और बहुत संभावना है कि चारों एशियाई देशों का क्वार्टर फाइनल मैचों पर कब्जा रहेगा। पूल बी में भी पाकिस्तान का कुल रन रेट क्वार्टर फाइनल की दौड़ में चल रही अपनी प्रतिद्वंद्वी टीमों आयरलैंड और वेस्टइंडीज से अधिक है। ऑस्ट्रेलियाई तूफानी गेंदबाजों की जोड़ी मिशेल स्टार्क और मिशेल जॉनसन में से सिर्फ स्टार्क ही सर्वाधिक विकेट लेने वालों की दौड़ में हैं। स्टार्क ने अब तक के पांच मैचों में 12 विकेट चटकाए हैं। बल्लेबाजी में एक बार फिर दक्षिण एशियाई देश का दबदबा है। इस सूची में श्रीलंका के तिलकरत्ने दिलशान 395 रन बनाकर सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाडि़यों में सबसे आगे हैं। इसके बाद शिखर धवन (333 रन) ही हैं जो एक अन्य दक्षिण एशियाई खिलाड़ी हैं। दक्षिण अफ्रीकी कप्तान ए. बी. डीविलियर्स ने यूएई के खिलाफ 99 रन बनाकर विश्व कप में सर्वाधिक रन बनाने वाले शीर्ष दस बल्लेबाजों में शामिल हो गए हैं लेकिन इस सूची में भी भारतीय महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर 2278 रनों के साथ सबसे ऊपर हैं। हालांकि डीविलियर्स ने किसी एक विश्व कप में सर्वाधिक 20 छक्कों का कीर्तिमान इसी मैच से अपने नाम किया है।