क्यों नहीं हिली पवार की कुर्सी?
यहां तक कि राज्य में क्रिकेट की राजनीति में भी यह जोर-आजमाइश खुल कर चल रही है। इसी का नतीजा है मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) के चुनाव में राकांपा प्रमुख शरद पवार गुट की भारी जीत। दरअसल एमसीए पर पिछले 14 वर्षों से शरद पवार का दबदबा बना हुआ है। माना जा रहा था कि इस बार उनके दबदबे को चुनौती मिलेगी मगर अंत में पवार की भारी जीत ने साबित कर दिया कि राज्य की राजनीति में उनके जैसा धुरंधर कोई और नहीं है।
दरअसल पवार ने एमसीए के चुनाव में उतरने से पहले ही राज्य की मुख्य सत्ताधारी पार्टी भाजपा को साध लिया था। भाजपा ने खुलकर तो पवार के समर्थन की घोषणा नहीं की थी मगर पवार पैनल से भाजपा विधायक आशीष शेलार के उपाध्यक्ष पद पर उम्मीदवारी की घोषणा से यह साफ हो गया था कि राज्य की सत्ता किसके साथ है। जब भाजपा की पक्षधरता स्पष्ट हो गई तब पवार को चुनौती देने वाले विजय पाटिल को शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने अपने समर्थन की घोषणा कर दी। इससे यह मुकाबला सीधे-सीधे भाजपा बनाम शिवसेना का मुकाबला बन गया। इसमें पवार के अपने प्रभाव ने भी मदद की और उनके पैनल ने बाजी मार ली।
खुद पवार ने अध्यक्ष पद के चुनाव में विजय पाटिल को 27 मतों से हराया जबकि पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर उपाध्यक्ष चुने गए। एमसीए के हर दो वर्ष में होने वाले चुनावों में पवार को कुल 172 और पाटिल को 145 मत मिले। उन्होंने इस तरह से अध्यक्ष पद अपने पास बरकरार रखा है। पवार इससे पहले 2001 से 2010 तक लगातार दस साल तक एमसीए के अध्यक्ष रहे थे। उन्हें 2012 में सर्वसम्मति से फिर से अध्यक्ष चुना गया था। पिछले दो दशकों में केवल कुछ समय के लिए रवि सावंत ने तत्कालीन एमसीए प्रमुख विलासराव देशमुख के निधन के बाद कुछ समय के लिए यह पद संभाला था। सावंत इस बार संयुक्त सचिव पद के चुनाव में हार गए।
पवार और बाल महादालकर गुट ने छह में से पांच पदों पर जीत दर्ज करके शिवसेना से समर्थन हासिल करने वाले पाटिल के क्रिकेट फर्स्ट ग्रुप को करारी शिकस्त दी। दोनों उपाध्यक्ष पद पवार गुट के पास गए। वेंगसरकर के अलावा भाजपा विधायक आशीष शेलार को उपाध्यक्ष चुना गया। पाटिल गुट को केवल एक सफलता संयुक्त सचिव पद पर मिली। क्रिकेट फर्स्ट ग्रुप के डॉ. उमेश खानविलकर को संयुक्त सचिव चुना गया है। दूसरा संयुक्त सचिव पद डॉ. पी.वी. शेट्टी को मिला है जो पहले भी इस पद पर आसीन थे। पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज लालचंद राजपूत को इस पद पर हार का सामना करना पड़ा। सत्ताधारी गुट के नितिन दलाल को कोषाध्यक्ष चुना गया है। उन्होंने मयंक खांडवाला को हराया। दलाल पिछले चार वर्ष से संयुक्त सचिव थे। मुख्य पदों के अलावा प्रबंधन समिति के सदस्यों के चयन में भी पवार गुट हावी रहा। इस 11 सदस्यीय समिति में सदस्य के रूप में पूर्व टेस्ट क्रिकेटर प्रवीण आमरे पाटिल गुट से चुने जाने एकमात्र व्यक्ति रहे।