बॉक्सिंग: सुनहरी चमक की नई जरीन
“जब मैरी कॉम नई पीढ़ी के लिए जगह छोड़ने को तैयार दिखती हैं तो भारत को गौरवान्वित करने का जिम्मा निकहत जरीन का है”
जीत ही खेल जगत में किसी खिलाड़ी को दूसरों से अलग करती है। लेकिन पोडियम तक जाने का रास्ता हमेशा फूलों से सजा नहीं होता। व्यक्तिगत संघर्ष को छोड़ भी दें, तो इस सफर में अनेक नाकामियों और खारिज कर दिए जाने का दर्द शामिल होता है। निकहत जरीन इस बात को अच्छी तरह समझती हैं। फिर भी हैदराबाद की 25 साल की निकहत को यदि किसी प्रेरणा की जरूरत है, तो ऐसी प्रेरणा उन्हें भारतीय बॉक्सिंग एरीना में ही मिल जाएगी, जिन्होंने उनसे पहले भी यह सब हासिल किया है। हालांकि जब भी जरीन की बात होती है, उनकी कहानी पर एमसी मैरी कॉम की कहानी भारी पड़ जाती है। निश्चित रूप से वह अभी तक भारत की महानतम महिला बॉक्सर हैं। मैरी कॉम सच्चे अर्थों में ट्रेंडसेटर हैं। 39 साल की उम्र में जब दूसरे बॉक्सर रिंग छोड़कर जा चुके होते हैं, तब वे प्रतिस्पर्धियों को चुनौती दे रही हैं। जब जरीन विश्व कप में अपने प्रतिस्पर्धियों पर 5-0 के अंतर से दमदार जीत दर्ज कर रही थीं, तब भी मैरी कॉम की छाया ही हर जगह मौजूद थी- चाहे रिंग हो, पोडियम या फिर मीडिया। आखिरकार जरीन जिसकी उत्तराधिकारी हैं वे छह बार की विश्व चैंपियन जो हैं। मैरी कॉम विश्व स्तर पर आठ मेडल जीतने वाली एकमात्र बॉक्सर हैं। किसी भी अन्य महिला या पुरुष बॉक्सर ने यह कारनामा नहीं किया है।
विश्व चैंपियनशिप में बीते चार वर्षों में भारत को पहला स्वर्ण दिलाने वाली निकहत नई इबारत लिख सकती हैं। एक बार उन्होंने भारत के बॉक्सिंग फेडरेशन से टोक्यो ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए ‘उचित मौका’ दिए जाने की अपील की थी। उन्होंने कहा था, “किशोर उम्र से ही मैरी कॉम मेरी प्रेरणा रही हैं। इस प्रेरणा के साथ मैं सर्वोत्तम न्याय यही कर सकती हूं कि उनके जैसी महान बॉक्सर बनने की कोशिश करूं।”
वह बात 2019 की है। लेकिन जरीन को मौका नहीं मिला। 2011 की जूनियर वर्ल्ड चैंपियन को मैरी कॉम की निष्ठुरता का भी सामना करना पड़ा। दरअसल जरीन को अपनी आदर्श के साथ हाथ मिलाने और उन्हें गले लगाने का मौका नहीं मिल सका था। जब कोई नया खिलाड़ी मौजूदा चैंपियन को चुनौती देता है तो अक्सर कड़वाहट उत्पन्न होती है। मैरी कॉम ने पूछा था, “कौन निकहत जरीन?” देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए बस ‘उचित मौका’ मांग रही इस युवा बॉक्सर का तब बहुत मजाक उड़ा था।
जरीन ने तत्कालीन खेल मंत्री किरण रिजिजू को खुला पत्र लिखा था। उस पत्र का जिक्र करते हुए मैरी कॉम ने कहा था, “मुझे यह पसंद नहीं कि आप मेरा नाम अनावश्यक विवाद में घसीटें। यह सच है कि मैंने उन्हें गले नहीं लगाया, लेकिन इसमें बड़ी बात क्या है? मैंने यह सब शुरू नहीं किया। मैंने कभी नहीं कहा कि मैं ट्रायल में आपके खिलाफ नहीं लड़ूंगी। तो फिर आपने मेरा नाम क्यों घसीटा? मैं भी मनुष्य हूं। मुझे भी गुस्सा आता है। जब कोई मेरी विश्वसनीयता पर सवाल उठाएगा तो मुझे गुस्सा नहीं आएगा? ऐसा पहली बार नहीं हुआ। मेरे साथ अनेक बार ऐसा वाकया हो चुका है, बावजूद इसके मैंने जो कुछ हासिल किया है कोई भी दूसरा भारतीय बॉक्सर वह हासिल नहीं कर सका है।” कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक विजेता पिंकी जांगरा के चयन को लेकर उठे विवाद के समय मैरी कॉम ने यह बात कही थी। तीन बच्चों की मां मैरी कॉम ने कहा था, “आप अच्छा प्रदर्शन कीजिए और मेरी जगह लीजिए। कौन आप को रोक रहा है?”
लेकिन 19 मई को इस्तांबुल में जब जरीन ने फ्लाईवेट (52 किलो ग्राम) वर्ग में थाईलैंड की जितपोंग जुतामास को हराकर स्वर्ण पदक जीता तो नई विश्व चैंपियन को शुभकामना देने वालों में मैरी कॉम सबसे आगे थीं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “आप के ऐतिहासिक प्रदर्शन पर गर्व है। भविष्य के लिए शुभकामनाएं।”
जरीन का तत्काल फोकस इसी साल होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स और 2024 के पेरिस ओलंपिक पर होगा। इस्तांबुल में वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप का फाइनल जीतने के बाद जरीन ने कहा, “दो वर्षों में मैंने सिर्फ अपने खेल पर फोकस किया। मेरे खेल में जो भी खामियां थीं उन्हें दूर करने की कोशिश की।”
उन्होंने कहा, “मैंने अपनी मजबूती और कमजोरी, दोनों पर काम किया। मैंने देखा कि किन क्षेत्रों में मुझे अपने आप को बेहतर करने की जरूरत है ताकि मैं और मजबूत बन सकूं। करियर में मिली बाधाओं ने मुझे मजबूत बनाया है। अब मैं मानसिक रूप से सशक्त हो गई हूं। अब मेरे सोचने का तरीका यह है कि चाहे जो हो, मुझे लड़ना है और सर्वश्रेष्ठ देना है।”
लेकिन उनके सामने बड़ी चुनौती वजन की नई श्रेणी के हिसाब से एडजस्ट करना और ओलंपिक की तैयारी करना है। अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग एसोसिएशन ने पेरिस ओलंपिक में महिलाओं के लिए 50, 54, 57, 60, 66 और 75 किलोग्राम और पुरुषों के लिए 51, 57, 63.5, 71, 80, 92 और 92 किलोग्राम से अधिक वजन की कैटेगरी तय की है। उसमें 52 किलोग्राम की कैटेगरी नहीं होगी। इसलिए 2019 की एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक विजेता जरीन को 54 किलोग्राम या 50 किलोग्राम वर्ग में जाना पड़ेगा। हालांकि उन्होंने संकेत दिए हैं कि वे अपना वजन कम करेंगी और 50 किलो वर्ग में लड़ेंगी।
विश्व चैंपियनशिप जीतने वाली भारत की पांचवीं महिला जरीन ने कहा, “वजन की कैटेगरी बदलना मुश्किल होता है। जब कम भार वर्ग से अधिक भार वर्ग में जाते हैं तो नुकसान होता है, क्योंकि दूसरे बॉक्सर थोड़ा ज्यादा वजनी होते हैं। वे वजन घटाकर उस कैटेगरी में आते हैं। इसलिए मजबूत बॉक्सर से सामना करना पड़ता है। अगर मैं 50 किलोग्राम वर्ग में लड़ूं तो उससे मुझे बहुत फर्क नहीं पड़ेगा। आमतौर पर मेरा वजन 51 से 51.5 किलोग्राम के बीच रहता है। इसलिए अगर मैं वजन घटाकर 50 किलो करूं तो भी मेरा शरीर ठीक काम करेगा।”
जरीन 50 किलो वर्ग में खेलें या 54 किलो में, उनके पिता मोहम्मद जमील को भरोसा है कि वह पेरिस ओलंपिक में चैंपियन बनेंगी। रूढ़िवादी मुस्लिम इलाके में रहने वाले पूर्व फुटबॉल और क्रिकेट खिलाड़ी जमील जब जरीन को खेल जगत में लाए, तब से अपनी बेटी के अच्छे और बुरे दोनों दिन देख चुके हैं। एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में उन्होंने कहा, “वह पेरिस ओलंपिक से पदक लेकर ही लौटेगी। इसमें कोई संदेह नहीं है। कोविड-19 से पहले 2019 में और फिर 2020 में उसने अच्छे-अच्छे खिलाड़ियों को पराजित किया है। वह जानती है कि अच्छे और मजबूत खिलाड़ियों को कैसे हराया जा सकता है।”
जरीन एकमात्र बॉक्सर हैं जिन्होंने दो बार स्ट्रैंड्जा मेमोरियल गोल्ड मेडल जीता है। उनके लिए यह साल बेहद अच्छा है। आगे उन्हें सिर्फ इस बात का ध्यान रखना है कि कोई चोट न लगे। उन्होंने कहा भी, “स्ट्रैंड्जा के बाद मुझे वर्ल्ड चैंपियनशिप और एशियन गेम्स (जिसे अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया) के लिए ट्रायल देना पड़ा। वह आसान नहीं था, क्योंकि अनुभवी और बड़े खिलाड़ियों के साथ मुकाबला था। मैंने शरीर को शांत और संयमित रखा और दोनों ट्रायल जीतने में कामयाब रही। उसके बाद विश्व चैंपियनशिप की तैयारी शुरू की। अब मैं कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारी करूंगी। मुझे शरीर को किसी भी तरह की चोट से बचा कर रखना होगा।”
जरीन को 2024 के पेरिस ओलंपिक में भारतीय दल में शामिल होने के लिए मैरी कॉम से मुकाबला नहीं करना पड़ेगा। क्योंकि तब मैरी कॉम 41 साल की हो चुकी होंगी और लंदन ओलंपिक 2012 के बाद बॉक्सिंग की वैश्विक गवर्निंग बॉडी आइएबीए ने ओलंपिक के लिए अधिकतम उम्र 40 साल तय की है। लेकिन जीवन की गोधूलि बेला में मैरी कॉम अपने उत्तराधिकारी के साथ अनुभव तो बांट ही सकती हैं। सच्चे लीजेंड यही तो करते हैं।