लॉकडाउन में पक्षियों के साथ समय बिता रहे कपिल देव
हर भारतीय की तरह महान क्रिकेटर कपिल देव भी कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के कारण अपने घर तक ही सीमित हैं। लेकिन इस लॉकडाउन की वजह से उनके बगीचे में इनदिनों कुछ सुंदर रंगीन पक्षी दिखने लगे हैं। 30 साल से दिल्ली में रह रहे कपिल ने इन पक्षियों को इससे पहले कभी नहीं देखा था। इस वक्त वो घरेलू कामों में भी भाग ले रहे हैं। जैसे कि अपनी अलमारी को सही करना, अपने पालतू कुत्ते के साथ खेलना और कभी-कभी भारत के 1983 विश्व कप की जीत के उस अद्भुत पल को फिर से याद करके जीना आदि।
ऐसा प्रतीत होता है कि कोरोना वायरस के कारण मिले इस अवकाश में 61साल के कपिल काफी दार्शनिक हो गए हैं। क्योंकि, इस वक्त मानव निर्मित बीमारी के संदर्भ में बातें कर रहे हैं, जिसने लगभग पूरी दुनिया को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया है। इन सब के बावजूद वो जीवन के प्रति अपने विशिष्ट सकारात्मक दृष्टिकोण को बनाए रखे हुए हैं और बड़े ही शानदार अंदाज में कहते हैं, यह वक्त भी गुजर जाएगा।
कपिल कहते हैं कि वह इन दिनों कोई तय कार्यक्रम का पालन नहीं कर रहे हैं। लेकिन, वे अपनी पत्नी रोमी और बेटी अमिया के साथ खूब समय बिता रहे हैं। कपिल देव आउटलुक के साथ एक एक्सक्लूसिव बातचीत में बताते हैं, “मेरा जीवन बहुत सरल है। मैं इन दिनों देर से उठता हूं, अपने दैनिक अभ्यास और फिर कुछ घरेलू काम करता हूं। मैं ऐसी चीजें करता हूं जो मैंने पहले कभी नहीं की। क्योंकि, इससे पहले मुझे उन्हें करने का अवसर ही नहीं मिला। उदाहरण के लिए मैं अपने कपड़ों की देखभाल करता हूं। उन्हें अच्छे से रखता हूं। मैंने पहले कभी भी फर्श साफ नहीं किया था लेकिन अब मैं झाड़ू भी लगाता हूं और अपने बगीचे की देखभाल भी करता हूं। मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। घरेलू मदद होने के बावजूद यदि कुछ आप ऐसा करना चाहते हैं जो आप कर सकते हैं, वह आपको करना चाहिए।“
कपिल कहते हैं कि उनकी बाहरी व्यस्तताओं ने उन्हें बागवानी से दूर रखा। उन्होंने कहा, “मुझे इसमें शामिल होने का अवसर कभी नहीं मिला और आजीविका कमाने के लिए ऑफिस जाते समय इस तरह की चीजों का ध्यान रखने का समय कैसे मिल सकता था। जब आपको पता है कि घर पर इन चीजों का ध्यान रखने के लिए लोग मौजूद हैं। लेकिन अब कोई भी पैसे के बारे में नहीं सोच रहा है। अब यहां सवाल जीवन का है। हर कोई इस कोरोना के प्रकोप की वजह से अपने स्वास्थ्य की देखभाल करने में लगा है। यह समय परिवार के साथ रहने का है और एक दूसरे के साथ बातचीत करने का है। यह सब बहुत अच्छा लग रहा है।“
कपिल बताते हैं, “दो सप्ताह तक घर में रहने के बाद वह 4अप्रैल को पहली बार एक आपात स्थिति के कारण बाहर निकले।“ उन्होंने कहा, “मैं 14दिन बाद घर से बाहर गया था और वह भी केवल इसलिए क्योंकि मेरा कुत्ता बीमार था और मुझे अस्पताल दिखाने के लिए ले जाना था। अब वह दवा लेने के बाद बेहतर हो गया है। लेकिन यदि वह फिर से अस्वस्थ महसूस करता है तो मैं अपने ड्राइवर को बुलाने के बजाय खुद ही उसे डॉक्टर के पास ले कर जाऊंगा।“
इस लॉकडाउन में भी कपिल पॉजिटिव चीजें देखना पसंद करते हैं। वे कहते हैं, “इसका एक अच्छा पहलू यह है कि मुझे भिन्न-भिन्न प्रकार के सुंदर पक्षी देखने को मिल रहे हैं जो मैंने पहले दिल्ली में नहीं देखे थे। यह छोटे-छोटे पक्षी मेरे पीछे वाले बगीचे में आते हैं। विभिन्न रंगों के ये पक्षी हैं,जैसे की गुलाबी, पीला और काला। मैं उन्हें रोज दो-तीन बार देखता हूं और इस नजारे का आनंद उठाता हूं। साथ ही उन्हें खिलाता भी हूं ताकि वह और अधिक से अधिक मेरे पास आ सके।“
पक्षियों को देखने के अलावा कपिल कई बार अपने मोबाइल में वीडियो भी देखते हैं जो उनके दोस्त उनको भेजते हैं। वो कहते हैं, “उदाहरण के लिए जिस शहर में मेरा जन्म हुआ, आज शहर में हिरण और नीलगाय घूम रहे हैं। इसी तरह चंडीगढ़ में तेंदुआ किसी के घर में घुस गया। मैंने कभी नहीं सोचा था कि इस तरह की चीजें भी होंगी। इसीलिए मैं कहता हूं कि हम मानव अभी जेल में हैं और जानवर स्वतंत्र हैं। वो इस स्वतंत्रता का आनंद ले रहे हैं। लेकिन यह सब हमारा ही किया हुआ है। हमें केवल यह पता है कि भगवान ने हमें क्या दिया है, जैसे सूरज, धूप, बादल, बारिश, हवा आदि।
कपिल कहते हैं, “यह बीमारी मानव जाति की देन है। आज नहीं तो 50साल बाद भी ऐसा होना तय था। जब हम भगवान के द्वारा दिए गए दिमाग का दुरुपयोग करते हैं तो ऐसा ही होता है। प्रौद्योगिकी हमें आगे ले जा सकती है लेकिन यदि कोई शरारती दिमाग वाला व्यक्ति उस तकनीक का उपयोग गलत तरीके से करता है तो वही प्रौद्योगिकी आपको पीछे भी धकेल सकती है।“
कपिल देव ने जिस तरह से क्रिकेट खेला है। वो आज भी उसी अंदाज में सकारात्मक है। बड़े ही दार्शनिक अंदाज में कपिल कहते हैं, “इस लॉकडाउन के कारण पूरी दुनिया का तापमान बदल गया है। पक्षी और जानवर बाहर आ रहे हैं। यदि हम पैसे के पीछे न भागे तो हम भी अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। सिर्फ पैसा कमाना ही जीवन का लक्ष्य नहीं होना चाहिए। इसके इतर भी जीवन है। आगे वो कहते हैं,मैं घर पर बहुत शांत और खुश हूं।--- आपको एक उर्दू की लाइन बताता हूं कि यह वक्त भी गुजर जाएगा। इस लाइन को अगर आप अच्छे समय में कहते हैं तो यह बहुत अच्छा नहीं लगता। लेकिन जब आप बुरे समय में इस लाइन का इस्तेमाल करेंगे तो आपको बहुत अच्छा लगेगा।“