Advertisement
18 April 2023

खेल: बोन आइडेंटिटी/ उम्र के फर्जीवाड़े को रोकने की तकनीक

भारत के युवा बैडमिंटन स्टार लक्ष्य सेन पर 2022 में जब उम्र के फर्जीवाड़े के आरोप में जांच बैठी तो खेल बिरादरी सदमे में आ गई थी। अर्जुन पुरस्का‍र विजेता और उनके परिवार के खिलाफ गलत उम्र बताने के आरोप में एफआइआर दर्ज की गई। कर्नाटक हाइकोर्ट ने हांलाकि जांच की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए सेन और उनके परिवार को अंतरिम राहत दे दी। 

 

इसी तरह 2018 में इंडियन सुपर लीग (आइएसएल) में जमशेदपुर फुटबॉल क्लब के खिलाड़ी गौरव मुखी जिसे ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआइएफएफ) ने गलत उम्र बताने के चलते प्रतिबंधित कर दिया। छह महीने खेलने से रोकाने के बाद सही कागजात जमा करवाने के बाद खेलने की मंजूरी दी गई। खेलो इंडिया यूथ गेम्स में ऐसे कई फर्जीवाड़े सामने आए।

Advertisement

 

बीसीसीआइ के अध्यक्ष रह चुके सौरभ गांगुली ने कहा था, “बीसीसीआइ ज्यादा कठोर उपाय अपनाने जा रहा है। जो खिलाड़ी गलती नहीं मानेंगे उन्हें कड़ा दंड दिया जाएगा और दो साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।” इसी तरह हॉकी इंडिया (एचआइ) ने भी दो सीजन या कई वर्ष तक सभी प्रतिस्पर्धाओं से फर्जी खिलाड़ियों को प्रतिबंधित करने का प्रावधान किया हुआ है। ऑल इंडिया टेनिस एसोसिएशन (एआइटीए) ने पंजीकरण के वक्त ही टैनर वाइट हाउस टेस्ट अनिवार्य कर दिया है। नए नियमों के अनुसार जिन खिलाडि़यों को उनके जन्म के एक साल बाद जन्म‍ प्रमाण पत्र मिला हो उन्हें इस परीक्षण से गुजरना होता है। इसी परीक्षण के कारण 2018 में अंडर-12 में राष्ट्रीय चैंपियन बनी तेजस्वी डबास को इस आयु श्रेणी से बाहर निकलना पड़ा। पांच फुट चार इंच की इस खिलाड़ी का दावा था कि उसकी उम्र 11 वर्ष है। बाद में उन्हें अंडर-12 और अंडर-14 दोनों श्रेणियों से बाहर जाना पड़ा। एसोसिएशन के सचिव हिरण्मय चटर्जी ने तेजस्वी के मामले में बस इतना कहा कि वह “लंबी-चौड़ी है।”

 

आज बीसीसीआइ, एआइएफएफ और एसएआइ सहित कई खेल संघ टीडब्लूटीटी टेस्ट अपना चुके हैं। यह टेस्ट हड्डियों की परिपक्वता को मापने का तरीका है। ग्रूलिश-पाइल और एफईएलएस की ही तरह यह विधि भी कलाई के रेडियोग्राफ पर आधारित है। इससे डॉक्टरों और पेशेवरों को हड्डियों की उम्र पता करने में सहायता मिलती है। फिलहाल टीडब्लूटीटी खेलों में उम्र के परीक्षण की सबसे अच्छी तकनीक है, लेकिन वह पूरी तरह प्रामाणिक नहीं है। कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो जल्दी बढ़ जाते हैं और स्वाभाविक रूप से अपनी उम्र से ज्यादा बड़े दिखते हैं।

 

अभी तक इस टेस्ट का प्रयोग कर रहे बीसीसीआइ ने अब उम्र के फर्जीवाड़े को पकड़ने के लिए एक नए सॉफ्टवेयर की घोषणा की है। इससे उन्हें अपनी लागत 80 प्रतिशत तक कम करने में मदद मिलेगी। क्रिकेट बोर्ड इस टेस्ट के साथ इसका प्रयोग करेगा। बोन एक्सपर्ट के नाम से यह सॉफ्टवेयर तत्काल नतीजे देता है और इसकी कीमत मात्र 288 रुपये है, जबकि टीडब्लूटीटी के हर परीक्षण की लागत 2400 रुपये होती है। बीसीसीआइ की योजना है कि इसे पहले राज्य स्तर पर परीक्षण के रूप में लागू किया जाए, उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर लाया जाए।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Fake age allegations in indian sports world, sports news, age Scandal in Indian sports world, sports news, Indian cricket team, Indian premier league,
OUTLOOK 18 April, 2023
Advertisement