गांगुली के बीसीसीआई अध्यक्ष बनने का पॉलिटिकल कनेक्शन
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का अध्यक्ष चुना गया है। सौरव को इस पद पर चुने जाने की खबर रविवार रात ही पक्की हो गई थी जिसकी घोषणा पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष राजीव शुक्ला ने सोमवार को की। बीसीसीआई एक स्वायत्त संस्था जरूर है, लेकिन कहीं न कहीं राजनीति का हमेशा से ही इसमे हस्तक्षेप रहा है। इसका अंदाजा आप बीसीसीआई की नई टीम से भी लगा सकते हैं जिसमें दो पदाधिकारी भाजपा के मंत्रियो के रिश्तेदार हैं।
अमित शाह के बेटे जय शाह बने सचिव
भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी कर चुके गांगुली को हाल ही में निर्विरोध बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना गया था। बीसीसीआई अध्यक्ष की भूमिका निभाने के लिए गांगुली पूरी तरह से तैयार हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह को बीसीसीआई का सचिव जबकि अनुराग ठाकुर के भाई अरुण सिंह को बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष का पद दिया गया है।
पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर का किया शुक्रिया
गांगुली ने भी अपनी नई टीम के साथ एक तस्वीर साझा करते हुए फैंस को इसकी जानकारी दी। गांगुली ने बीसीसीआई अध्यक्ष चुने जाने के बाद सोशल मीडिया पर मिल रही बधाई का जवाब भी दिया। मंगलवार को अपनी नई टीम से सबको मिलवाया और नई टीम के सदस्यों के साथ तस्वीर साझा की। इस तस्वीर को साझा करने के साथ ही पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को शुक्रिया भी कहा।
भाजपा ज्वाइन करने की खबरें भी आई सामने
इसके बाद से ही गांगुली के भाजपा ज्वाइन करने की खबरें भी मीडिया में तैरने लगी हैं। कहा जा रहा है कि गांगुली को अध्यक्ष बनाने में भाजपा के अध्यक्ष और देश के गृह मंत्री अमित शाह ने बड़ी भूमिका निभाई है। हालांकि अमित शाह ने इन खबरों को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि मैं इस बात का निर्णय नहीं करता कि कौन बीसीसीआई का अध्यक्ष होगा। इसके लिए बीसीसीआई की अपनी चुनाव प्रक्रिया है। गांगुली के साथ मेरी इस बारे में कोई बातचीत नहीं हुई है।
सौरव गांगुली के खिलाफ गलत बातें कही जा रही हैं
सौरव गांगुली के साथ मुलाकात के सवाल पर गृहमंत्री ने कहा कि सौरव गांगुली की मेरे साथ मुलाकात में कुछ भी गलत नहीं है। वह मेरे पास आ सकते हैं। मैं खुद कई साल तक क्रिकेट से जुड़ा रहा हूं। क्या गांगुली 2021 में बंगाल में होने वाले चुनावों में भाजपा का चेहरा होंगे? इसपर उन्होंने कहा कि, यह सिर्फ सौरव गांगुली के खिलाफ गलत बातें कही जा रही हैं। वैसे भी हमें बंगाल में किसी चेहरे की जरूरत नहीं। बगैर चेहरे के भी हमने लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीती थीं। इसका मतलब यह नहीं कि चेहरों की जरूरत ही नहीं, लेकिन हम किसी एक के बगैर भी चुनाव जीत सकते हैं।
2016 विधानसभा चुनावों में सौरव गांगुली को चुनाव लड़ने का ऑफर मिला था
गांगुली के राजनीति में आने की चर्चा हमेशा से चलती रही हैं। खुद भाजपा ने 2016 विधानसभा चुनावों से पहले सौरव गांगुली को चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था। यही नहीं भाजपा उन्हें अपनी पंसदीदा सीट से चुनाव लड़ने को कहा था। माना जा रहा है कि भाजपा को बंगाल में ममता बनर्जी के सामने एक ऐसे चेहरे की तलाश है जो उनका मुकाबला कर सके। गांगुली इसमें पूरी तरह से फिट बैठते हैं।