जामिया के छात्रों के समर्थन में उतरे इरफान पठान, कहा मैं चिंतित हूं
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) में नए बदलाव के बाद से ही देशभर में कई राज्यों में हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। हालांकि अब विरोध प्रदर्शन कई जगहों पर हिंसक रूप ले चुका है। इसी क्रम में राजधानी दिल्ली के जामिया नगर इलाके में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन की आंच जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय तक पहुंच गई है। इसी कड़ी में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी, जम्मू-कश्मीर क्रिकेट के मेंटर और कमेंटेटर इरफान पठान भी जामिया के छात्रों के पक्ष में उतर गए हैं और उन्हें अपना समर्थन दिया है।
पुलिस ने किया लाठी-चार्ज
रविवार को दिल्ली पुलिस और छात्रों में हिंसक झड़प हुई। इलाके में आगजनी और तोड़फोड़ के बाद पुलिस ने भी मामले को काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और कई जगहों पर लाठी-चार्ज भी किए। देर रात तक पुलिस मुख्यालय के सामने लोगों ने पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। बाद में पुलिस ने बी हिरासत में लिए गए 50 लोगों को छोड़ दिया। इन सबके बीच देशभर से लोग जामिया विश्वविद्यालय के छात्रों के शांति प्रदर्शन के बचाव में उतर आए हैं और उसका समर्थन किया है।
ट्वीट कर चिंता की व्यक्त
35 वर्षीय तेज गेंदबाज इरफान पठान, जिसने भारत के लिए 29 टेस्ट और 120 वनडे खेले हैं ने ट्वीट करते हुए कहा कि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप होते रहेंगे लेकिन मैं और हमारा देश जामिया मिलिया के छात्रों को लेकर चिंतित हैं। इन सबके बीच जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय को पांच जनवरी तक के लिए बंद कर दिया गया है और सभी परीक्षाएं अगले आदेश तक के लिए रोक दी गई हैं।
सार्वजनिक बसों और दो पुलिस वाहनों में लगी थी आग
प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर अधिनियम के खिलाफ एक प्रदर्शन के दौरान विश्वविद्यालय के पास न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में चार सार्वजनिक बसों और दो पुलिस वाहनों को आग लगा दी, जिसमें छात्रों, पुलिस और अग्निशमन कर्मियों सहित लगभग 60 लोग घायल हो गए। हालांकि जामिया के छात्रों ने दावा किया कि आगजनी से उनका कोई लेना-देना नहीं है और "कुछ तत्व" विरोध में शामिल हो गए हैं और जिससे विरोध "बाधित" हो गया। उन्होंने पुलिस पर भी हिंसक मारपीट का आरोप लगाया।
पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल के कई राज्यों में अधिनियम को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए हैं, जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में गैर-मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करना चाहता है।