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03 April 2020

सचिन की जुबानी, लॉकडाउन में ऐसे बिता रहे है परिवार के साथ जिंदगी

File Photo

यह मेरे व्यस्त जीवन के दुर्लभ दिन की एक आलसी सुबह है। अभी भारत में किए 3 सप्ताह के लॉकडाउन के कुछ ही दिन हुए हैं। यह बंदी कोविड-19 वायरस के द्वारा दुनियाभर मैं बनाए गए कहर के कारण किया गया है। हम एक अनिश्चित भविष्य और एक अज्ञात दुश्मन के सामने खड़े हैं। मैंने क्रिकेट में जो सबक सीखे थे वह आज बहुत सही और प्रासंगिक मालूम होता है, जैसा की स्थिति की मांग है। आवेदन और स्वभाव यह वह दो शब्द हैं जिनको हमने क्रिकेट में लाखों बार सुना है लेकिन आज मालूम होता है कि यह शब्द वास्तविक जीवन की भी कुंजी है। कोई भी अपना विकेट ऐसे ही देना नहीं चाहता।

मेरे और मेरे परिवार के लिए इस वक्त जीवन रीबूट मोड में चला गया है और साथ ही मेरा विश्वास कीजिए यह हमारे घर पर साथ बिताए सर्वोत्तम पलों में से एक है। परिवार में सबसे छोटे सदस्य मेरे बेटे अर्जुन जो 20 साल का है, से लेकर परिवार की सबसे बड़ी सदस्य मेरी मां जो 83 वर्ष की हैं। इस वक्त हर कोई यह देख रहा है कि कैसे कोई अपनी उम्र और स्थिति के अनुसार कैसी प्रतिक्रिया देता है। हम सभी के स्वाद और पसंद अलग-अलग हैं। लेकिन मेरे लिए यह समय स्वीकार्यता और अनुकूलनशीलता की परीक्षा है। हम सभी को वास्तव में एक दूसरे के लिए सोचना चाहिए साथ ही भारत के 130करोड़ लोगों के लिए और बड़े पैमाने पर वैश्विक समुदाय के लिए।

फिलहाल किसी भी तरह की मीटिंग के लिए मेरे ऊपर कोई दबाव नहीं है खासकर घर से बाहर कदम रखने की तो बिल्कुल मनाही है। पूरी नींद ले रहा हूं। जिम में खूब पसीना बहा रहा हूं। इत्मीनान के साथ नाश्ता हो रहा है और साथ ही मेरी पसंद का लंच और उसके बाद फिर कुछ पारिवारिक मनोरंजन के साथ दिन का समय बड़े अच्छे कट रहे हैं। मेरी मां को अपने बेटे और पोती फौजियों को रोजमर्रा की भागदौड़ से दूर देखकर बहुत खुशी हो रही होगी। एक परिवार के रूप में हम उन सरल चीजों को कर रहे हैं जिन्हें हम नियमित रूप से नहीं कर पाते थे या करने की कोशिश करते रहते थे। उदाहरण के लिए टेलीविजन पर धारावाहिकों को देखना, साथ में खेलना और एक साथ बैठकर खाना खाना।

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जैसा कि मैंने कहा स्वीकार और अनुकूल यह दो शब्द ऐसे हैं जो पर्थ की हार्ड पिच हो या नागपुर की टूटती हुई पांचवे दिन की पिच या फिर जीवन, सभी में काम में आते हैं। जितना बेहतर हम स्थिति को स्वीकार करते हैं और असाधारण हां या ना का अनुशरण करते हैं। उतनी ही तेजी से हम भय पर विजय भी पाते हैं और साथ ही हमारे जीवित रहने और पनपने की संभावना और बढ़ जाती है। ऐसे ही एक परिवार के रूप में हमने स्वीकार किया है कि कोरोनावायरस मानव जाति के लिए एक बड़ी चुनौती है और हमें अपने जीवन जीने के तरीके को पूरी तरह से बदलना होगा।

अब मैं आपको बताता हूं इसमें अच्छा क्या है?  पहला तो यह की पूरी दुनिया एक दुश्मन के सामने एकजुट हो गई है जो अपने आप में काफी अविश्वसनीय है। हालांकि, इनमें कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बुनियादी सावधानियों से बच रहे हैं या परहेज कर रहे हैं। यह चीज मुझे थोड़ा परेशान करता है। स्पष्ट रूप से यह एक विश्वसनीय स्वास्थ्य संगठनों द्वारा साझा की गई जानकारी और अनुशासन पर भरोसा करने का विषय है। मैं पहले से ही यूनिसेफ के लिए दिए अपने संदेशों में यह कहता रहा हूं और अब भी कह रहा हूं कि हम सबको फेक न्यूज़ से बचना चाहिए और खुद पर भरोसा रख कर क्या सही और क्या गलत है इसका अनुमान लगाना चाहिए। मेरे लिए यह आत्मनिरीक्षण करने और आगे के लिए योजना बनाने का समय है। मुझे लगता जो व्यक्ति इस समय का सही सदुपयोग करेगा वह हमेशा उस व्यक्ति से आगे रहेगा जो घर पर बैठा यह सोच रहा है कि उसके पास करने के लिए कुछ नहीं है।

ऐसी विपदा और जरूरत के समय पर घर में अगर आपकी पत्नी डॉक्टर है तो उससे बेहतर क्या हो सकता है! अंजलि इस चीज का पूरा ध्यान रखती है और सुनिश्चित करती है कि हम सब लगातार अपने हाथों में और खुद को स्वच्छ रखें। इनमें वे लोग भी शामिल है जो हमारे घर पर काम में हमारी मदद करते हैं। हमने घर पर मेहमानों को आने से रोका है और साथ ही मेरी मां जो काफी उम्र दराज है, उनके लिए हम बहुत ही ज्यादा सावधान हैं और यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि उनसे कौन मिल रहा है और कौन नहीं।

मुझे खुशी है कि हमारे बच्चों ने इन चुनौतियों का डटकर सामना किया है और घर पर काम में हाथ बटा कर उन्होंने हमारे जीवन को काफी आसान किया है। इस तरह का लॉक डाउन जवान बच्चों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लेकिन सारा और अर्जुन इसको बखूबी समझते हैं और किसी भी नासमझी में कोई गलत कदम नहीं उठाते। माता- पिता के रूप में हमने उन्हें मानसिक रूप से उत्तेजित रखने की पूरी कोशिश की है। इसके लिए हमने उनके साथ खूब समय बिताया है। जिम के साथ-साथ खाना भी साथ बनाया है। इसके अलावा साथ में टीवी देखना और खासकर वह फिल्में जो हम बहुत ज्यादा पसंद करते हैं। संगीत भी इसमें एक अहम हिस्सा रहा है। खाना बनाने की बात आई है तो आपको बता दूं कि मैंने अपने भी घर में खाना बनाने की कोशिश की है। जिसमें बैगन का भरता मेरा पसंदीदा है। साथ ही वरण भात जो कि एक मराठी व्यंजन है, जिसमें दाल और सफेद चावल शामिल होता है। मेरा पसंदीदा है। मैं फिलहाल देश की ऐसी स्थितियों को सुनकर परेशान होता हूं जिसमें यह सुनने में आता है कि बहुत से लोगों को बुनियादी भोजन या राशन भी नहीं मिल रहा है।

हम टीवी पर नए नए धारावाहिक और मूवीस देख रहे हैं। हमने हाल ही में स्पेशल ऑप्श नाम की एक वेब सीरीज को इंजॉय किया है जिसमें दिखाया गया है कि हमारी सुरक्षा एजेंसियां किस तरह से आतंक और खतरे का सामना करके हमें सुरक्षित रखती है। गाड़ियों से मेरे प्यार को देखते हुए अंजलि ने मुझे फॉर्मूला वन की कुछ डॉक्यूमेंट्री सीरीज भी देखने की सिफारिश की थी जिन्हें देखने के लिए मैं बेहद उत्सुक हूं।

अभी के लिए बस इतना कहूंगा कि दोस्तों, इस चुनौतीपूर्ण समय में हम सब एक साथ हैं। अधिकारियों द्वारा साझा किए गए एहतियाती उपायों का पालन करें और घर में रहकर खुद को सुरक्षित रखें। क्रिकेट की भाषा में कहें तो पेड-ऑफ होने का समय आ गया है। हमें अपने गार्ड और हेलमेट पहन लेनी चाहिए हम इससे और मजबूत होकर वापस आएंगे।

(सचिन तेंदुलकर ने जैसा सौमित्र बोस को बताया)

 

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TAGS: Know, Cricket God, Sachin Tendulkar, Fighting with Coronavirus, lockdown
OUTLOOK 03 April, 2020
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