बिंद्रा ने कहा, रियो बीत गया अब आगे देखना अहम
बीजिंग खेलों के स्वर्ण पदकधारी बिंद्रा ने खुद निशानेबाजों से सवाल पूछने से इनकार कर दिया क्योंकि वह भी इसी टीम का हिस्सा थे। भारतीय राष्टीय राइफल संघ (एनआरएआई) द्वारा आयोजित विदाई कार्यक्रम में बिंद्रा ने कहा, यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है विशेषकर इसलिये क्योंकि आप प्रदर्शन को काले या सफेद में नहीं बांट सकते, इसमें हमेशा बीच का रास्ता भी होगा और खेलों की यही प्रकृति है। मैं इसे मानने वाला पहला हूं इसलिये मैं एथलीटों के प्रदर्शन को और उन्होंने किस तरह तैयारी की, इसे देखने में इतनी दिलचस्पी नहीं रखता हूं क्योंकि यह बीती बात हो गयी है। उन्होंने कहा, मैंने एकतरह से खुद को इस पूरी साक्षात्कार की प्रक्रिया से अलग कर लिया है क्योंकि मुझे लगता है कि यह मेरे लिये अनुचित होगा क्योंकि मैं भी इसी टीम का हिस्सा था। मै व्यक्तिगत रूप से व्यवस्थायें, प्रणालियां और प्रोटोकॉल गठित करने में ज्यादा दिलचस्पी रखता हूं जिससे शायद हमें खेलों के संचालन, निशानेबाजी के खेल को आयोजित करने में मदद मिलेगी, इसके अलावा प्रदर्शन के प्रबंधन की पूरी भूमिका, प्रदर्शन की जांच और एथलीटों की तैयारियों को और अधिक व्यवस्थित तरीके से देखा जा सकेगा।
बिंद्रा ने कहा, निश्चित रूप से इसे हासिल करने के लिये और समिति को निष्कर्ष पर पहुंचने के लिये बीते समय को देखना होगा। हमें देखना चाहिए कि हमने क्या किया है और हम इसे कैसे बेहतर कर सकते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि देखने से हम कैसे सुधार कर सकते हैं, मैं बीते समय में नहीं देखना चाहता कि क्या गलत हुआ। मेरी दिलचस्पी सिर्फ इसी में है कि हम कैसे बेहतर कर सकते हैं। एनआरएआई ने कहा कि समिति का काम निशानेबाजों के रियो खेलों में निराशाजनक प्रदर्शन के कारणों का पता करना है। भविष्य के ओलंपिक के लिये पूल बनाने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, 2020 के लिये मुझे लगता है कि हम अपने 70 प्रतिशत निशानेबाजों को जानते हैं और इस दौरान 30 प्रतिशत निशानेबाज शामिल हो सकते हैं। आपको इनके साथ काम करना होगा। लेकिन आपको इस पूल के बाहर भी देखना होगा क्योंकि यह पूल शायद आपके लिये 2024 में उपलब्ध नहीं हो। रियो में अपने प्रदर्शन के बारे में बिंद्रा ने कहा, मुझे लगता है कि चौथा स्थान मेरे कैरियर में काफी करीब का था।
भाषा