Advertisement
10 August 2017

ओलंपिक की आस लगाने से पहले सोचिए, कैसे जीते-मरते हैं हमारे खिलाड़ी

OUTLOOK

गत 9 अगस्त को रांची के जयपाल सिंह स्टेडियम में एक राष्ट्रीय स्तर के पहलवान की करंट लगने से मौत हो गई। झारखंड की राजधानी रांची में 25 वर्षीय पहलवान विशाल स्टेडियम पहुंचा। बारिश की वजह से स्टेडियम के फर्श पर पानी भरा हुआ था। ऐसे में जब वह स्टेडियम पहुंचे तो शॉर्ट शर्किट के कारण उन्हें करंट लगा और घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई। अंग्रेजी समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, विशाल कुमार वर्मा स्टेडियम में बने झारखंड स्टेट रेसलिंग असोसिएशन (जेएसडब्लूए) के ऑफिस में जमा हुए पानी की निकासी के लिए वहां गया था। इस दौरान यहां हुए शॉर्ट सर्किट से वह करंट का शिकार बन गया।

ऐसे में लगता है कि खिलाड़ियों को न्यूनतम सुविधाएं मिलनी तो दूर की कौड़ी है, यहां तो करंट लगने जैसी घटनाओं में प्रतिभाशाली खिलाड़ी अपनी जान गंवा दे रहे हैं। इस तरह अव्‍यवस्‍थ्‍ाा, अभाव और असुविधा की वजह से घटित यह पहली घटना होती तो बात अलग थी लेकिन इससे पूर्व भी खिलाड़ियों की हुई मौतें व्‍यवस्‍थ्‍ाा पर गंभीर सवाल खड़ा करती हैं।

खिलाड़ी कहीं पैसे के अभाव में आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं तो कहीं मेडिकल सुविधाओं के अभाव में अपनी कीमती जान गंवा रहे हैं। देश के अल-अलग राज्यों से अमूमन ऐसी खबरें आती रहती हैं जहां खिलाड़ियों के जीवन पर खतरे के बादल हर वक्त मंडराते रहते हैं।

Advertisement

पीएम मोदी जी मदद करो'

20 अगस्त 2016 को पंजाब में राष्ट्रीय स्तर की एक हैंडबॉल खिलाड़ी ने आत्महत्या कर ली। वजह थी खालसा कॉलेज के अधिकारियों ने खिलाड़ी को नि:शुल्क छात्रावास सुविधा देने से इंकार कर दिया था। अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आत्महत्या करने वाली पूजा (20) बीए सेकंड ईयर की छात्रा थी। बताया गया कि पूजा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित कर लिखे पत्र में अफसोस जताया कि वह गरीब है और छात्रावास के शुल्क का भुगतान नहीं कर सकती। पूजा ने लिखा कि हॉस्टल नहीं मिलने के कारण उसे हर महीने 3,720 रुपए खर्च करने होंगे जो उसके पिता वहन नहीं कर सकते। साथ ही उसने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वह यह सुनिश्चित करें कि उसके जैसी गरीब लड़कियों को पढ़ाई की सुविधा निशुल्क मिले।

ग्राउंड पर नहीं मिली मेडिकल सुविधा, खिलाड़ी की मौत

25 फरवरी 2017 को उत्तर प्रदेश में दर्दनाक घटना घटी। कानपुर क्रिकेट एसोसिएशन (केसीए) की ऑफिस लीग में क्रिकेट फील्ड में 45 साल के खिलाड़ी रिजवान खान को मैच के दौरान हार्ट अटैक आ गया। और उनकी मौत हो गई। नवभारत टाइम्स के अनुसार, उत्तर प्रदेश क्रिकेट सोसिएशन (यूपीसीए) से मान्यता प्राप्त होने के बाद भी ग्राउंड पर कोई मेडिकल सुविधा नहीं थी।

और चल बसा वेंकटेश...

मार्च 2012 में बेंगलुरू मार्स क्लब की ओर से खेलते हुए एक फुटबॉल खिलाड़ी की मैदान पर दिल के दौरे से मौत हो गयी। अंग्रेजी अखबार द हिंदु के मुताबिक, जब खिलाड़ी वेंकटेश (34) को दिल का दौरा पड़ा तो वहां स्टेडियम के बाहर कोई एंबुलेंस मौजूद नहीं था। टीम के साथी खिलाड़ियों ने वेंकटेश को ऑटो भाड़ा कर अस्पताल पहुंचाया। यहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर ‌दिया।

इन सवालों पर भी गौर करें

 रांची में हुई खिलाड़ी की मौत को लेकर सोशल मीडिया पर लोग अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि इस मौत का जिम्मेदार आखिर कौन है?

सचिन शर्मा नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा, "करंट से एक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी की मौत हो गई, कौन है जिम्मेदार?"


वहीं कुलदीप शर्मा नाम के यूजर ने ट्वीट किया, "झारखंड के रांची स्टेडियम में लापरवाही की कीमत एक युवा खिलाड़ी को चुकानी पड़ी। रांची स्टेडियम में करंट लगने से पहलवान विशाल कुमार की हुई मौत।"


 

ऐसी घटनाओं की फेहरिस्त काफी लंबी है। जहां अभावग्रस्त खिलाड़ी या तो आत्महत्या कर लेते हैं या परिस्थितियां उनकी जान ले लेती हैं। लिहाजा सरकार अच्छे कोच, अच्छी खुराक और अच्छी वर्जिश के पर ध्यान जब देगी तब देगी, मगर अभ्‍ाी ताो खिलाड़ियों की जिंदगी बचाए रखना ही सबसे बड़ी चुनौती है।  

 

 

 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: story, untimely, death, not easy, death ground, मौत, खिलाड़ी, खेल, मैदान, असुविधा, मोदी, players, sport
OUTLOOK 10 August, 2017
Advertisement