विश्व चैंपियनशिप: गोल्ड से बस एक कदम दूर सिंधू, साइना को कांस्य से करना पड़ा संतोष
रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता पीवी सिंधू ने तूफानी प्रदर्शन करते हुए नौंवीं सीड चीन की चेन यूफेई को लगातार गेमों में 21-13, 21-10 से पीटकर विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में प्रवेश कर लिया। विश्व चैंपियनशिप में दो बार कांस्य पदक जीत चुकी सिंधू ने चीनी खिलाड़ी को 48 मिनट में पस्त कर दिया। विश्व रैंकिंग में चौथे नंबर की भारतीय खिलाड़ी ने नौंवें नंबर की चीनी खिलाड़ी के खिलाफ करियर रिकॉर्ड 2-1 कर लिया है।
सिंधू का खिताबी मुकाबला अब जापान की खिलाड़ी नोजोमी ओकुहारा से होगा। महिला एकल वर्ग के सेमीफाइनल में चीन की खिलाड़ी चेन युफेई को मात देकर खिताबी मुकाबले का रास्ता तय किया। शनिवार देर रात खेले गए इस मुकाबले में सिंधु ने युफेई को 48 मिनटों के भीतर सीधे गेमों में 21-13, 21-10 से मात दी। सिंधू विश्व चैंपियनशिप में 2 बार कांस्य पदक जीत चुकी है। साल 2013 में ग्वांगझोउ और 2014 में कोपेनहेगन में तीसरा स्थान हासिल करने वाली सिंधू ने शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए खिताबी मुकाबले में कदम रखकर अपना रजत पदक पक्का कर लिया है।
इससे पहले शनिवार को ही एक अन्य सेमीफाइनल मुकाबले में ओकुहारा ने भारतीय खिलाड़ी साइना नेहवाल को मात देकर फाइनल में प्रवेश किया। बता दें कि सेमीफाइनल में हारने के बाद साइना नेहवाल को कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा है। जापानी खिलाड़ी ने साइना को 12-21, 21-17, 21-10 से मात देते हुए फाइनल में प्रवेश किया। रियो ओलम्पिक-2016 में कांस्य हासिल करने वाली ओकुहारा विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल में जगह बनाने वाली पहली जापानी खिलाड़ी हैं।
World Badminton Championship semi-finals: India's Saina Nehwal loses to Japan's Nozomi Okuhara
— ANI (@ANI) August 26, 2017
फाइनल में अब ओकुहारा का मुकाबला एक बार फिर भारतीय खिलाड़ी सिंधू से होगा। सिंधु अब भारत की दूसरी खिलाड़ी हैं जो वर्ल्ड बैडमिंटन चैम्पियनशिप में फाइनल में पहुंची हैं। इससे पहले जकार्ता में साइना नेहवाल फाइनल खेल चुकी हैं। पिछले तीन मैचों में सिंधू जापानी खिलाड़ी ओकुहारा को 3 बार हरा चुकी हैं।
गौरतलब है कि प्रकाश पादुकोण साल 1983 में विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के पुरूष एकल में कांस्य पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे। इसके बाद ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की भारतीय महिला युगल जोड़ी ने 2011 में कांस्य पदक अपने नाम किया था।