दूसरी पारी में भी लड़खड़ाए भारतीय बल्लेबाज, रोहित फिर दिखे बेबस
ट्रेविस हेड (140) के आक्रामक शतक से पहली पारी में बड़ी बढ़त लेने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने पांच मैचों की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दूसरे टेस्ट मैच के दूसरे दिन शनिवार को यहां दूसरी पारी में 128 रन पर भारत के पांच विकेट झटक कर मैच पर अपना दावा काफी मजबूत कर लिया।
भारत के खिलाफ लगातार अच्छी बल्लेबाजी करने वाले हेड ने 141 गेंद की अपनी पारी में 17 चौके और चार छक्के जड़कर भारतीय गेंदबाजों को हावी नहीं होने दिया। हेड की इस पारी के बाद पैट कमिंस (33 रन पर दो विकेट), स्कॉट बोलैंड (39 रन पर दो विकेट) और मिचेल स्टार्क (49 रन पर एक विकेट) की तिकड़ी ने इस दिन-रात्रि टेस्ट मैच में ऑफ स्टंप के करीब शानदार लाइन-लेंथ वाली गेंदबाजी से भारत के किसी बल्लेबाज को क्रीज पर ज्यादा समय तक टिकने का मौका नहीं दिया।
ऑस्ट्रेलिया को दूसरी पारी में बल्लेबाजी के लिए मजबूर करने के लिए भारत को और 29 रन बनाने होंगे। स्टंप्स के समय ऋषभ पंत (28) और नीतिश कुमार रेड्डी (15) क्रीज पर मौजूद थे।
पांच मैचों की श्रृंखला के शुरुआती मैच को 295 रन से गंवाने वाली ऑस्ट्रेलिया की टीम इस मैच में बड़ी जीत के साथ वापसी करने के करीब है।
भारत की दूसरी पारी में यशस्वी जायसवाल (24) और शुभमन गिल (28) अच्छी शुरुआत को बड़ी पारी में बदलने में नाकाम रहे तो वहीं लोकेश राहुल (सात), विराट कोहली (11) और कप्तान रोहित शर्मा (छह) जैसे अनुभवी बल्लेबाज सस्ते में पवेलियन लौट गये।
भारत ने दूसरी पारी की शुरुआत में ही कप्तान कमिंस की गेंद पर राहुल का विकेट गंवाया। बोलैंड ने अपनी पहली गेंद पर जायसवाल को आउट करने के बाद विराट कोहली को भी पवेलियन की राह दिखायी। यह दोनों बल्लेबाज ऑफ स्टंप के बाहर वाली गेंद पर बल्ला अड़ा कर विकेटकीपर एलेक्स कैरी को कैच दे बैठें।
पहली पारी के नायक स्टार्क ने इसके बाद गिल के मिडिल स्टंप को उखाड़ कर 13 पारियों में पहली बार इस बल्लेबाज का विकेट हासिल किया।
पंत ने इस दौरान अपने अंदाज में आक्रामक चौके लगाये। उन्होंने बोलैंड के खिलाफ आगे निकल कर कवर के ऊपर से चौका लगाने के बाद रिवर्स शॉट से गेंद को बाउंड्री के दर्शन कराये। युवा रेड्डी ने भी कमिंस के खिलाफ आत्मविश्वास से भरा कवर ड्राइव लगा चर रन बटोरे।
इस मैच में भारत की उम्मीदें इन्हीं दोनों बल्लेबाजों पर टिकी होंगी।
इससे पहले हेड ने जीवनदान का फायदा उठाते हुए प्रवाहमय बल्लेबाजी की। उन्हें पारी की शुरुआत में जसप्रीत बुमराह (61 रन पर चार विकेट) ने परेशान किया लेकिन दूसरे गेंदबाजों के खिलाफ उन्होंने मैदान के हर ओर बाउंड्री लगई। उन्हें 76 रन के स्कोर पर अश्विन की गेंद पर मोहम्मद सिराज ने कैच टपकाकर जीवनदान दिया था।
सिराज (98 रन पर चार विकेट) ने दिन के दूसरे सत्र में अपनी गेंदबाजी का स्तर ऊंचा किया जिसका फायदा उन्हें एलेक्स कैरी (15) और फिर हेड के विकेट से मिला। एलेक्स कैरी का कैच विकेट के पीछे ऋषभ पंत ने लपका।
भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने 80 ओवर पूरे होते ही नयी गेंद लेने का फैसला किया। उन्होंने गेंद बुमराह को थमाई लेकिन वह पैर की मांसपेशियों में खिंचाव के बाद मैदान पर बैठ गये। उन्होंने फिजियो से इलाज के बाद गेंदबाजी जारी रखी। हेड ने इस ओवर में उनके खिलाफ दो चौके जड़ दिये।
हेड ने अगले ओवर में सिराज के खिलाफ चौका और छक्का लगाकर अपना आक्रामक रूख जारी रखा लेकिन इस गेंदबाज ने यॉर्कर पर उन्हें बोल्ड कर पवेलियन की राह दिखायी।
भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने इस सत्र में कुछ हैरान करने वाले फैसले भी लिये। उन्होंने दूसरे सत्र की शुरुआत में गेंद तेज गेंदबाज की जगह अश्विन को थमा दी।
अश्विन को किस्मत का भी थोड़ा साथ मिला जब मिचेल मार्श भारतीय खिलाड़ियों की अपील पर अपने आप पवेलियन की तरफ चले गये। रीप्ले में दिखा कि गेंद ने पंत के दस्तानों में जाने से पहले बल्ले का किनारा नहीं लिया था।
इससे पहले लाबुशेन ने धैर्य और परिपक्वता से बल्लेबाजी करते हुए 126 गेंद की पारी में 64 रन बनाकर लय में वापसी की। वह लंबे समय से फॉर्म में नहीं थे और इस मैच से पहले टीम में उनकी जगह को लेकर बहस चल रही थी। उन्होंने टेस्ट करियर के 26 वें अर्धशतक के साथ भारत को परेशान करना शुरू किया था कि युवा हरफनमौला रेड्डी की गेंद पर जायसवाल ने शानदार कैच पकड़ कर उनकी पारी को खत्म किया।
मैच के पहले दिन भारतीय गेंदबाजों ने जहां ऑफ स्टंप से बाहर गेंदबाजी करने पर ध्यान दिया था वही दूसरे दिन उन्होंने स्टंप को निशाना बनाया। टीम को इस योजना का फायदा भी मिला।
बुमराह ने ऑफ स्टंप की लाइन से बाहर और अंदर आती गेंदों के मिश्रण के साथ ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों को परेशान किया। अपना दूसरा टेस्ट खेल रहे नाथन मैकस्वीनी के पास इस गेंदबाजी का कोई जवाब नहीं था। मैकस्वीनी (39) उनकी बाहर निकलती गेंद पर विकेटकीपर पंत ने कैच थमा बैठे। उन्होंने हालांकि अपनी पारी में शानदार जज्बा दिखाते हुए पर्थ टेस्ट की दोहरी नाकामी को पीछे छोड़ा।
क्रीज पर आये अनुभवी स्टीव स्मिथ (दो) एक बार भी बल्ले से नाकाम रहे। वह बुमराह की गेंद को फ्लिक करने की कोशिश में पंत को कैच थमा बैठे।