सुशील की याचिका पर फेडरेशन और खेल मंत्रालय को नोटिस
न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, इस बीच यह अदालत निर्देश देती है कि प्रतिवादी (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और कोच याचिकाकर्ता (सुशील) का पक्ष सुनें।
अदालत ने साथ ही खेल मंत्रालय और डब्ल्यूएफआई से भी जवाब मांगा है और उन्हें हलफनामा देने को कहा है। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 27 मई को तय की है। अदालत ने सुशील की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। इस दौरान सुशील अदालत में मौजूद रहे। उन्होंने मांग की है कि डब्ल्यूएफआई को निर्देश दिया जाए कि वे 74 किग्रा पुरुष फ्री स्टाइल में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले पहलवान के चयन के लिए ट्रायल करवाए।
सुशील की ओर से पेश वकील ने अदालत से कहा कि पिछले साल जब कुश्ती प्रतियोगिता हुई तो यह ओलंपिक पदक विजेता चोटिल था जहां एक अन्य पहलवान नरसिंह पंचम यादव ने पदक जीता। उन्होंने कहा कि कुश्ती चैम्पियनशिप में इस पदक की बदौलत इस वर्ग में भारत को ओलंपिक कोटा मिला।
सुशील के वकील ने कहा कि भारत सरकार की योजना के अनुसार पहलवानों को ओलंपिक में पदक जीतने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है और सुशील को इस योजना के तहत ट्रेनिंग के लिए कोष मिल रहा है। वकील ने कहा, चैम्पियनशिप में नरसिंह यादव के पदक जीतने के बाद भी याचिकाकर्ता (सुशील) को कोष मिल रहा है। उन्होंने कहा, रियो ओलंपिक 2016 के लिए चुनौती पेश करने का मेरे पास कारण है। मुझे भ्रमित करने वाले संकेत दिए गए और डब्ल्यूएफआई ने कोई जवाब नहीं दिया। अगर चयन ट्रायल होते हैं तो मैं इससे चूकना नहीं चाहता। डब्ल्यूएफआई दिशा-निर्देशों का पालन करने में विफल रहा है।
सुशील की याचिका के जवाब में डब्ल्यूएफआई की ओर से अदालत में पेश वकील ने कहा कि यह पहलवान 66 किग्रा फ्री स्टाइल वर्ग में हिस्सा लेता रहा है और अब अंतिम समय में वह 74 किग्रा वर्ग में हिस्सा लेना चाहता है। डब्ल्यूएफआई के वकील ने कहा, नरसिंह यादव 74 किग्रा वर्ग में हिस्सा लेता रहा है और उसने विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में कांस्य पदक भी जीता जो ओलंपिक से भी अधिक कड़ी प्रतियोगिता है।
डब्ल्यूएफआई के वकील ने दावा किया कि सुशील नरसिंह यादव के साथ कुश्ती से बच रहा है और उसने विश्व चैम्पियनशिप में भी हिस्सा नहीं लिया जबकि नरसिंह ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। सुशील के वकील ने इस पर कहा कि उनका मुवक्किल चोटिल होने के कारण विश्व चैम्पियनशिप में हिस्सा नहीं ले पाया था। इस पर अदालत ने कहा, क्या कुश्ती महासंघ ने फैसला कर लिया है। डब्ल्यूएफआई की ओर से पेश वकील ने कहा कि इस मुद्दे पर पहले ही फैसला किया जा चुका है जिस पर पीठ ने कहा, आप उसे (सुशील) बुलाकर फैसले को विस्तार से बता सकते हो।