बेजा दखल से खेल मैदान दलदल में
हाल ही में भारत दौरे पर आए अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक परिषद (आईओसी) के अध्यक्ष थॉमस बाक ने संघ को इसी के मद्देनजर नसीहत दी थी कि 'लडऩा छोड़ें, मिलकर रहें।’ भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट शृंखला शुरू करने में राजनीतिक दखलअंदाजी इतनी हावी हो गई है कि निकट भविष्य में इसकी कोई गुंजाइश नहीं दिखती।भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व प्रमुख एन. श्रीनिवासन पर भी कई गंभीर आरोप हैं। खेलों में बढ़ते भ्रष्टाचार और बेजा दखल के कारण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई सारी खेल संस्थाओं, इनके अधिकारियों और खिलाडिय़ों के दामन दागदार हैं और ऐसे खेलों के मैदान दलदल में धंसते जा रहे हैं। भारत के कई खेल संघ अंदरूनी झगड़े में इस कदर उलझे हुए हैं कि इनका प्रतिकूल अगले साल रियो में होने वाले ओलिंपिक खेलों की तैयारियों पर पड़ सकता है।
क्रिकेट संघ और खिलाड़ियों की बात करें तो यहां इतना पैसा है कि राजनेताओं से लेकर बॉलीवुड और उद्योगपति किसी वक्त इसमें निवेश करने से नहीं हिचकते। लेकिन भारतीय आइस हॉकी टीम को पिछले महीने कुवैत में होने वाले अंतरराष्ट्रीय आइस हॉकी फेडरेशन चैलेंज कप में भाग लेने के लिए ऑनलाइन चंदे का सहारा लेना पड़ा। इसके लिए टीम के प्रत्येक खिलाड़ी ने भी 20-20 हजार रुपये का योगदान किया लेकिन फिर भी 12 लाख रुपये कम पड़ गए। वहीं आईपीएल-8 में सबसे महंगे बिके युवराज सिंह के पूरे टूर्नामेंट में रनों का आकलन किया जाए तो उनके एक रन के लिए टीम मालिक को 8 लाख रुपये चुकाने पड़े। ओलिंपिक को शुरू होने में अब सिर्फ 14 महीने रह गए हैं लेकिन आईओए के अध्यक्ष एन. रामचंद्रन तमाम विरोधों के बावजूद अपने पद पर डटे हुए हैं। उन पर आरोप है कि वह प्रमुख मुद्दों पर अन्य सदस्यों से सलाह-मशविरा नहीं करते और गुपचुप तरीके से आईओसी प्रमुख थॉमस बाक से लुसाने में मुलाकात की। भारतीय मुक्केबाजी से जुड़े अधिकारी एक-दूसरे पर पंच जडऩे का कोई मौका नहीं चूकते। पिछले महीने ही नवगठित बॉक्सिंग इंडिया समिति ने इसके अध्यक्ष संदीप जजोदिया और सचिव जय कोवली को पद से हटा दिया। इसमें अभय सिंह चौटाला की अहम भूमिका मानी जाती है जो बॉक्सिंग संघ की सत्ता वापसी के लिए प्रयासरत हैं। मुक्केबाजी संघ में जारी उठापटक का सीधा असर खिलाड़ियों के प्रशिक्षण और प्रदर्शन पर पड़ रहा है जबकि ओलिंपिक जैसे आयोजनों में मुक्केबाजी, तीरंदाजी, कुश्ती जैसे खेलों से ही पदक बटोरने की आस रहती है।
भारतीय तीरंदाजी संघ को खेल मंत्रालय ने दिसंबर 2012 से ही निलंबित कर रखा है क्योंकि उस पर संघ के चुनाव के दौरान उम्र और कार्यकाल संबंधी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने का आरोप है। संघ के अध्यक्ष विजय कुमार मल्होत्रा पिछली तीन बार से इस पद पर बने हुए हैं और उनकी उम्र भी 70 से अधिक हो चली है। यह सरकारी दिशा-निर्देशों के खिलाफ है। संघ को सरकार से आर्थिक मदद भी नहीं मिलती है। अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) में भी कुछ ऐसा ही संकट है। संघ के अध्यक्ष पद पर अनिल खन्ना के कार्यकाल को लेकर भी खेल मंत्रालय को आपत्ति है और इसका खमियाजा टेनिस संघ एवं इसके खिलाड़ियों को भुगतना पड़ रहा है। मंत्रालय चाहता है कि सन 2000 से लेकर 2012 तक एआईटीए के सचिव रहे और सन 2012 से 2016 तक के लिए अध्यक्ष चुने गए खन्ना को हटाया जाना चाहिए क्योंकि उनके बने रहने से उम्र और कार्यकाल नीति का उल्लंघन हो रहा है। इस कानूनी पचड़े में एआईटीए ही पिस रहा है।
भारतीय पैरालिंपिक समिति (पीसीआई) को अंतरराष्ट्रीय पैरालिंपिक समिति और खेल मंत्रालय दोनों ने निलंबित किया हुआ है। इसकी वैश्विक संस्था पीसीआई के आंतरिक झगड़े से तंग आ चुकी है और इसने यहां की स्थिति को कई वर्षों से अराजक स्थिति करार दिया है। जिस देश में ओलिंपिक संघ के अध्यक्ष पद को लेकर ही खींचतान चल रही हो, वहां के अन्य खेल संघों के हालात कैसे दुरुस्त रह सकते हैं। एन. रामचंद्रन को बेदखल करने की लामबंदी में जुड़ने वाले खेल संघों और राज्य ओलिंपिक संघों की तादाद बढ़ती जा रही है। आईओए के संविधान के मुताबिक, यदि अध्यक्ष, महासचिव, खजांची और कार्यकारी परिषद के अन्य सदस्यों के खिलाफ दो-तिहाई बहुमत आता है तो उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआई), बिहार एवं उत्तर प्रदेश के ओलिंपिक संघ ने रामचंद्रन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का अनुरोध किया है। वहीं हॉकी इंडिया के अध्यक्ष नरिंदर बतरा और झारखंड ओलिंपिक एसोसिएशन ने भी रामचंद्रन को हटाने की मांग की है। बीएआई के अध्यक्ष अखिलेश दासगुप्ता फिलहाल आईओए के उपाध्यक्ष भी हैं। रामचंद्रन को अभय सिंह चौटाला की शह मिल रही है, जिनके बारे में कहा जाता है कि वह परोक्ष रूप से आईओए की दैनिक कार्यप्रणाली में भी दखल देते रहते हैं। ऐसे हालात को देखते हुए पिछले महीने भारत आए बाक ने आईओए सदस्यों को एकजुट रहनेे की सलाह दी ताकि वे भारतीय खेलों और खिलाड़ियों की बेहतरी के लिए मिलकर काम कर सकें। भारतीय आइस हॉकी के खिलाड़ियों के पास अंतरराष्ट्रारीय टूर्नामेंट में हिस्सा लेने तक के लिए पैसा भले न हों, लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम का कार्यक्रम इतना व्यस्त है कि नवंबर तक सांस लेने की भी फुर्सत नहीं है। बांग्लादेश के बाद टीम जिंबाम्बे जाएगी और फिर अगस्त में श्रीलंका में तीन टेस्ट मैच खेलेगी। फिर दक्षिण अफ्रीका की टीम भारत आकर खेलेगी। सब कुछ ठीकठाक रहा तो नवंबर में पाकिस्तान से भी शृंखला खेलेगी और फिर ऑस्ट्रेलिया दौरे पर निकल पड़ेगी।