मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल की प्रेरक उपस्थिति में 111 बेटियों की भावपूर्ण विदाई
मुख्यमंत्री ने भव्य विवाहोत्सव में सहभागी होकर कन्यादान किया, ‘पियरयुं’ छोड़कर ससुराल में विदा हो रही पिताविहीन बेटियों को दाम्पत्य जीवन की शुभकामनाएँ तथा आशीर्वचन दिए
मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल:-
- वर्ष 2011 से निरंतर प्रज्ज्वलित इस विवाहोत्सव का सेवायज्ञ निःस्वार्थ सेवा का उत्तम उदाहरण
- अर्जित सद्संपति का सेवाभाव के साथ पिताविहीन बेटियों के जीवन में नए रंग भरने के लिए उपयोग करने की सवाणी परिवार की विशिष्ट संस्कृति
- सवाणी परिवार ने विवाहोत्सव की विशिष्ट संस्कृति के साथ गुजराती महाजनों की दान परंपरा को उजागर किया है
सवाणी परिवार का ‘पियरियुं’ नाम से 16वें वर्ष में भावपूर्ण विवाहोत्सव, महेशभाई सवाणी अब 5274 परिवारों के पालक पिता बने
पर्यावरण संरक्षण के सामाजिक संदेश के साथ तुलसी के 50,000 पौधों का वितरण
- ‘पर्यावरण तथा अंगदान जागृति’ के प्लेकार्ड के साथ लोगों को प्रेरित किया
- अर्जित सद्संपति का सेवाभाव के साथ पिताविहीन बेटियों के जीवन में नए रंग भरने के लिए उपयोग करने की सवाणी परिवार की विशिष्ट संस्कृति
विख्यात राम कथाकार पू. मोरारी बापू ने नवदंपतियों को आशीर्वचन दिया
राजनीतिक महानुभावों, अधिकारियों व सामाजिक अग्रणियों ने कन्यादान किया
सूरत के पी. पी. सवाणी परिवार द्वारा हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी पी. पी. सवाणी चैतन्य विद्या संकुल, अब्रामा में ‘पियरियुं’ (मायका) नाम से पिता की छत्रछाया खो चुकी 111 बेटियों का शनिवार को अनूठा एवं भावपूर्ण विवाह समारोह आयोजित हुआ। मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने इस भव्य विवाहोत्सव में सहभागी होकर कन्यादान किया तथा ‘पियरियुं’ छोड़कर ससुराल विदा हो रही पिताविहीन बेटियों को दाम्पत्य जीवन की शुभकामनाएँ तथा आशीर्वचन दिए।
इस विवाहोत्सव में विश्वविख्यात रामकथा मर्मज्ञ पू. मोरारी बापू, मंत्रियों, वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री मुळुभाई बेरा, शिक्षा राज्य मंत्री श्री प्रफुलभाई पानशेरिया, गृह राज्य मंत्री श्री हर्ष संघवी, विधानसभा के उप मुख्य सचेतक श्री कौशिकभाई वेकरिया सहित महानुभावों की प्रेरक उपस्थिति रही। विवाह समारोह की शीतल संध्या ढोल, शहनाई एवं संगीत के सुरों के साथ प्राचीन विवाह गीतों का सुरीला संगम सृजित हुआ। सवाणी परिवार के आँगन से पिताविहीन 111 बेटियों को भावपूर्ण विदाई दी गई। राजनीतिक महानुभावों, अधिकारियों एवं सामाजिक अग्रणियों के करकमलों से कन्यादान किया गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने सवाणी परिवार की सेवा भावना की प्रशंसा करते हुए कहा कि पिछले 16 वर्षों से बेटियों का विवाह करके ही नहीं, बल्कि पिता के रूप में सभी जिम्मेदारियाँ निभाते हुए महेशभाई सवाणी इस वर्ष 5274 बेटियों के पिता बन गए हैं। वर्ष 2011 से निरंतर प्रज्ज्वलित हुआ इस विवाहोत्सव का सेवायज्ञ निःस्वार्थ सेवा का उत्तम उदाहरण है।
श्री पटेल ने कहा कि पिताविहीन बेटियों के विवाह के इस विशिष्ट कार्य में अनूठी संवेदनशीलता की प्रतीति होती है। मुख्यमंत्री ने पिछले 16 वर्षों में विवाहित हुई पिताविहीन बेटियों को पिता की कमी न खले, पिता की कमी न खटके; ऐसी सुश्रुषा एवं जिम्मेदारी तथा विवाह के बाद भी महेशभाई को बेटियों का सगे पिता की भाँति आजीवन ध्यान रखने का ईश्वरीय कार्य करने के लिए अभिनंदन दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खुद कमाकर खुद खाना प्रकृति है, अन्य द्वारा कमाया हुआ खाना विकृति है, परंतु स्वयं कमाकर अन्य को खिलाना संस्कृति है। श्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि अर्जित की गई सद्संपत्ति का सामाजिक सेवा एवं पिताविहीन बेटियों के जीवन में नए रंग भरने के लिए उपयोग करने की सवाणी परिवार की विशिष्ट संस्कृति गुजराती महाजनों की दान परंपरा को उजागर करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिसका कोई नहीं, उसका सवाणी परिवार तथा पिताविहीन पुत्रियों के पिता यानी महेशभाई; ऐसी पहचान गई है। यह समरसता, संवेदना एवं एकता की भावना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की एक भारत-श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार करती है। इतना ही नहीं; विवाह में तुलसी के 50,000 पौधों का वितरण सामाजिक कार्यों के साथ पर्यावरण संरक्षण की उम्मदा संवेदना का दर्शन कराता है। उन्होंने 5274 बेटियों के पालक पिता बने महेशभाई को शुभकामनाएँ दीं।
विख्यात राम कथाकार पू. मोरारी बापू ने नवदंपतियों को आशीर्वदन दिया और सवाणी परिवार के समाज के प्रति उत्तरदायित्व की सराहना की।
इस अवसर पर पी. पी. सवाणी समूह के महेशभाई सवाणी ने कहा कि दो बेटियों से शुरू किया गया विवाहोत्सव आज 16वें विवाह समारोह के रूप में आयोजित हो रहा है। यह समूह विवाह नहीं, बल्कि विवाहोत्सव है, कारण कि किसी परिवार में जिस तरह मेहंदी रस्म, मंडप मुहूर्त, दहेज जैसी प्राचीन प्रथा-रस्में आयोजित होती हैं, उसी तरह यहाँ सभी रस्में मनाई जाती हैं। समारोह के माध्यम से हमने पिता के रूप में जिम्मेदारी का वहन करने का कार्य किया है। बेटियों को सीख देते हुए महेशभाई ने कहा, “सभी को साथ रखकर परिवार को एकसूत्र में पिरोकर रखना। सबको साथ रखकर एक और नेक बनकर परिवार की सभी जिम्मेदारियों तथा दाम्पत्य जीवन को उज्ज्वल बनाना।”
बेटियों के पालक पिता श्री सवाणी ने कहा, “हम केवल कन्यादान करके दहेज नहीं देते हैं, बल्कि मैं पिता की जिम्मेदारी निभाता हूँ। किसी दामाद का निधन हो, तो हम बेटी को आजीवन मासिक 10 हजार रुपए की आर्थिक सहायता देते हैं।”
इस कार्यक्रम को गोल्डन बुक ऑफ रिकॉड्स में स्थान मिला। एक ही समय में एक ही कार्यक्रम में सामाजिक संदेश के साथ तुलसी के 50,000 पौधे वितरित करने का एक नया रिकॉर्ड, विवाह समारोह में 370 फीट लंबा तोरण (वंदनवार) तथा एक ही स्थान से चरणबद्ध ढंग से 5274 बेटियों का विवाह; ये तीन रिकॉर्ड बने। इसके लिए गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड की टीम ने उपस्थित रहकर सर्टिफिकेट प्रदान किया।
इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण के सामाजिक संदेश के साथ प्रत्येक अतिथि को तुलसी के कुल 50,000 पौधों का वितरण करने के साथ पर्यावरण एवं अंगदान जागृति के प्लेकार्ड से लोगों को प्रेरित किया गया।
कार्यक्रम में महापौर श्री दक्षेशभाई मावाणी, विधायक श्री संगीताबेन पाटिल, प्रयोशा प्रतिष्ठान-डांग के श्री पी. पी. स्वामी, संत इंद्रभारतीजी, शेरनाथ बापू, गिरी बापू, नौतम स्वामी, सवाणी परिवार के मुखिया वल्लभभाई सवाणी, अग्रणी महानुभाव, संत-महंत, वर-वधु के संबंधी आदि उपस्थित रहे।