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02 January 2025

देश में कुपोषण ख़त्म करने की दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार का महत्वपूर्ण कदम

राजनांदगांव जिले में पांच महीने में 56.93 फीसदी बच्चे कुपोषण से हुए मुक्त

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में कुपोषण से निपटने की एक अनूठी योजना ‘पोट्ठ लईका’ (स्वस्थ बच्चा) पहल शुरू की गयी है, जिसने बच्चों को स्वस्थ और सुपोषित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। इस योजना के माध्यम से पिछले पांच महीने में 56.93 फीसदी बच्चों ने कुपोषण से मुक्ति पाई है, जो राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने बताया कि राजनांदगांव का यह सफल प्रयास पूरे देश के लिए प्रेरणा है। यह पहल कुपोषण को खत्म करने और भविष्य की पीढ़ियों को स्वस्थ बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा पोट्ठ लईका पहल तब तक जारी रहेगी जब तक सभी लक्षित बच्चे कुपोषण से बाहर नहीं आ जाते। भविष्य में इस कार्यक्रम को पूरे जिले और राज्य में लागू करने की योजना है, ताकि हर बच्चा स्वस्थ और सुपोषित हो सके।

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जिला प्रशासन ने यूनिसेफ और एबीस के सहयोग से जून 2024 से शुरू किया गया ये अभियान न केवल बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार कर रहा है, बल्कि समुदाय को पोषण के प्रति जागरूक भी बना रहा है।

राजनांदगांव में भोजन की कमी नहीं है, लेकिन सही पोषण और संतुलित आहार की जानकारी का अभाव के कारण अभिभावक अपने बच्चों का सही देखभाल नहीं कर पा रहे थे। इसी चुनौती को देखते हुए जिला प्रशासन ने ‘पोट्ठ लईका पहल’ के तहत कुपोषण को जड़ से खत्म करने का बीड़ा उठाया।

इसके लिए सबसे पहले, जिले के 241 आंगनबाड़ी केंद्रों को चुना गया, जहां सबसे अधिक कुपोषित बच्चे थे। इन केंद्रों में 3413 बच्चों की पहचान की गई, जिनमें से 323 गंभीर कुपोषित (एसएएम) और 1080 मध्यम कुपोषित (एमएएम) बच्चे शामिल थे। महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के कर्मचारियों को यूनिसेफ द्वारा गहन प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद उन्होंने समुदाय को पोषण परामर्श देना शुरू किया।

अभियान का मुख्य आकर्षण पालक चौपाल रही। हर शुक्रवार को आयोजित इन बैठकों में बच्चों के माता-पिता, सरपंच, सचिव, गर्भवती महिलाएं और अन्य ग्रामवासी शामिल हुए। चौपाल में पोषण पर चर्चा की गई और बच्चों के वजन की साप्ताहिक निगरानी की गई। यह सामुदायिक जुड़ाव अभियान को सफल बनाने में अहम साबित हुआ।

इस योजना के माध्यम से केवल पांच महीनों में 3413 में से 1943 बच्चों को कुपोषण से बाहर लाया गया। इनमें 243 गंभीर कुपोषित (एसएएम) और 794 मध्यम कुपोषित (एमएएम) बच्चे शामिल हैं। यह सफलता केवल परामर्श और निगरानी के जरिए हासिल की गई।

महिला एवं बाल विकास विभाग की अधिकारी गुरप्रीत कौर ने बताया कि अक्टूबर 2024 से, इस पहल में ऑगमेंटेड टेक होम राशन (एटीएचआर) को शामिल किया गया, जो राजनांदगांव और डोंगरगांव विकासखंडों में बच्चों के पोषण स्तर को और बेहतर बनाने में मददगार साबित हुआ।

पोट्ठ लईका पहल ने साबित कर दिया है कि प्रशासन और जनभागीदारी से बड़ी समस्या का समाधान भी संभव है। यह पहल न केवल बच्चों को स्वस्थ बना रही है, बल्कि समाज को पोषण के प्रति जागरूक करते हुए एक नई दिशा दे रही है।

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TAGS: Chhattisgarh, Chhattisgarh Government, Malnutrition, Potth Laika
OUTLOOK 02 January, 2025
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