आरईसी ने उत्तराखंड में डॉक्टर आपके द्वार सीएसआर पहल के तहत महिलाओं के स्वास्थ्य देखभाल के लिए 6.01 करोड़ रुपये की लागत से 5 मोबाइल मेडिकल यूनिट प्रदान की
आरईसी लिमिटेड, विद्युत मंत्रालय के तहत महारत्न सीपीएसई और प्रमुख एनबीएफसी, ने उत्तराखंड राज्य में पांच मोबाइल मेडिकल यूनिट्स (एमएमयू) की खरीद और संचालन के लिए अपनी कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) पहल के तहत 6.01 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी है।
इस पहल का उद्घाटन उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के माननीय स्वास्थ्य मंत्री श्री धन सिंह रावत; स्वास्थ्य विभाग के सचिव डॉ. राजेश कुमार; स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. सुनीता टम्टा; आरईसी आरओ देहरादून के सीपीएम श्री सुनील बिष्ट; सीएससी अकादमी के सीओओ श्री झा और आरईसी और सीएससी अकादमी के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में किया।
सीएससी अकादमी के साथ साझेदारी में तैनात एमएमयू तीन जिलों - हरिद्वार (2 यूनिट), उधम सिंह नगर (2 यूनिट) और टिहरी गढ़वाल (1 यूनिट) में संचालित होंगे - जिसमें दूरदराज और वंचित समुदायों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। आवश्यक निदान और उपचार सुविधाओं से सुसज्जित, ये इकाइयाँ सप्ताह में छह दिन संचालित होंगी और हाशिए पर रहने वाली आबादी के दरवाजे पर मुफ्त प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।
लिंग-संवेदनशील देखभाल की दिशा में एक अनोखे कदम के रूप में, पाँच एमएमयू में से एक विशेष रूप से महिलाओं की स्वास्थ्य सेवा के लिए समर्पित है और इसमें पूरी तरह से महिला चिकित्सा पेशेवर कार्यरत होंगी। इस महिला मोबाइल मेडिकल यूनिट का उद्देश्य रूढ़िवादी और दुर्गम क्षेत्रों में महिलाओं की विशिष्ट स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करना है।
एमएमयू मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) और उत्तराखंड राज्य स्वास्थ्य विभाग के साथ घनिष्ठ समन्वय में काम करेंगे, जिससे सरकारी स्वास्थ्य सेवा रणनीतियों के साथ तालमेल और देखभाल की निरंतरता सुनिश्चित होगी। यह परियोजना सरकार के “स्वस्थ उत्तराखंड, समृद्ध उत्तराखंड” के दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और अंतिम छोर तक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में योगदान देगी।
यह तैनाती आरईसी फाउंडेशन की व्यापक पहल ‘डॉक्टर आपके दरवाजे’ का हिस्सा है, जो बिहार, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और पंजाब सहित अन्य राज्यों में मोबाइल स्वास्थ्य क्लीनिकों के माध्यम से पहले से ही संचालित हो रही है।
आरईसी लिमिटेड ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की कमी को पूरा करने तथा टिकाऊ और प्रभावी सामाजिक जिम्मेदारी पहलों के माध्यम से जीवन को सशक्त बनाने के अपने मिशन पर अडिग है।
आरईसी लिमिटेड के बारे में
आरईसी भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक 'महारत्न' कंपनी है, और आरबीआई के साथ गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (एनबीएफसी), सार्वजनिक वित्तीय संस्थान (पीएफआई) और इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग कंपनी (आईएफसी) के रूप में पंजीकृत है। आरईसी पूरे विद्युत-अवसंरचना क्षेत्र को वित्तपोषित कर रहा है जिसमें उत्पादन, पारेषण, वितरण, नवीकरणीय ऊर्जा और नई प्रौद्योगिकियां जैसे इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी भंडारण, पंप भंडारण परियोजनाएं, ग्रीन हाइड्रोजन, ग्रीन अमोनिया परियोजनाएं आदि शामिल हैं। हाल ही में आरईसी लिमिटेड ने गैर-विद्युत अवसंरचना क्षेत्र में भी विविधता लाई है जिसमें सड़क और एक्सप्रेसवे, मेट्रो रेल, हवाई अड्डे, आईटी संचार, सामाजिक और वाणिज्यिक अवसंरचना (शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल), बंदरगाह और इस्पात, रिफाइनरी आदि जैसे विभिन्न अन्य क्षेत्रों के संबंध में इलेक्ट्रो-मैकेनिकल (ईएंडएम) कार्य शामिल हैं।
आरईसी लिमिटेड देश में अवसंरचना परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए राज्य, केंद्र और निजी कंपनियों को विभिन्न परिपक्वताओं के ऋण प्रदान करता है। आरईसी लिमिटेड बिजली क्षेत्र के लिए सरकार की प्रमुख योजनाओं में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक भूमिका निभा रहा है और प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य), दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई), राष्ट्रीय विद्युत निधि (एनईएफ) योजना के लिए नोडल एजेंसी रही है, जिसके परिणामस्वरूप देश में अंतिम मील वितरण प्रणाली, 100% गांव विद्युतीकरण और घरेलू विद्युतीकरण को मजबूत किया गया है। आरईसी को कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए पुन: व्यवस्थित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के लिए नोडल एजेंसी भी बनाया गया है। आरईसी को केंद्र सरकार की ओर से पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना की जिम्मेदारी भी दी गई है।