पुरानी गायिकी की मसीहा शन्नो खुराना
बनारस घराने के प्रखर तबलावादक पंडित रंगनाथ मिश्र की स्मृति में संगीत नृत्य का सुंदर आयोजन कला संकुल संस्कार भारती के सभागार में सम यानी सोसायटी फॉर एक्शन म्यूजिक ने किया। इस अवसर पर हाल ही में दिवंगत हुए संगीत साहित्य के विद्वान तथा लेखक मुकेश गर्ग को श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम का शुभारंभ पं. दामोदर लाल घोष और ऋचा जैन के निर्देशन में संरचित भक्तिपूर्ण समूह गायन में सरस्वती वंदना से हुआ। इन उभरते युवा कलाकारों ने राग देस में द्रुत खयाल की बंदिश और तराना को मधुरता से पेश किया। तबला पर स्वरूप चैबे की संगत भी लयबद्ध थी। सुश्री विद्या चक्रवर्ती ने राग दरबारी और झपताल में निबद्ध शिववंदना और तराना को कथक नृत्य में कुशलता से पेश किया। उसके अभिनय की भाव भगिमाओं में लखनऊ घराने की लचक आदि में अच्छी तराश थी। शास्त्रीय गायन में कर्मठ तथा कुशल गायिका सुश्री अरुंधती भट्टाचार्य ने गाने की शुरुआत राग श्याम कल्याण से की। विलंबित एकताल में बंदिश ‘बीत गई शाम श्याम नहीं आए’, द्रुत तीनताल और एकताल में निबद्ध रचना छैल-छबीले और भजन को सुरीले स्वरों मे बांधकर सुंदरता से पेश किया। उनके गाने के साथ हारमोनियम पर दामोदर लाल घोष और तबला पर अमन पाथरे ने उम्दा संगत की। कुशल मोहनवीणा वादक रंजन कुमार ने राग यमन को शुद्ध चलन पर आलाप जोड़कर झाला और तीन ताल में निबद्ध दो गतों को खूबसूरती से प्रस्तुत किया। उनके साथ तबला पर महेन्द्र शर्मा की संगत भी असरदार थी।
कार्यक्रम का समापन उप-शास्त्रीय गायिका मौसमी कुंडू के सरस गायन से हुआ। उन्होंने पूरब अंग की ठुमरी ‘राधा नंद कुंवर समुझाये रही’, कजरी ‘तरसत जियरा हमार नैहर में’ और बेगम अख्तर की मशहूर गजल ‘ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पर रोना आया’ को बहुत ही रोमांचक और सरस अंदाज में पेश किया।
इसी सभागार में 95 वर्षीय पद्मभूषण वयोवृद्ध मशहूर खयाल गायिका विदूषी शन्नो खुराना के अभिनंदन में भावभीना समारोह का आयोजन हुआ। इसमें कला जगत के कई नामचीन कलाकार शामिल हुए। शन्नो जी की उपरस्थिति में कार्यक्रम का आरंभ पं. दरगाही मिश्र संगीत अकादेमी के छात्रों ने शन्नो खुराना द्वारा रचित गुरु वंदना की प्रस्तुति से किया। मार्ग दर्शन शन्नो जी की वरिष्ठ शिष्या ऋचा जैन ने किया था। उसके उपरांत मैत्रई मजूमदार, ऋचा जैन, नीतिका जुनेजा और सुष्मिता झा ने भी भक्ति-भाव में गुरु वंदना को प्रस्तुत किया। इस अवसर पर नीतिका जुनेजा ने राग जोग कौंस में निबद्ध बंदिश और एक पंजाबी गीत गाकर अपने गुरु के प्रति सम्मान प्रकट किया। तबला पर उनके पति अरुण कुमार ने बराबर की संगत की। सुश्री सुष्मिता झा ने शास्त्रीय गायन की टेक पर सरस्वती वंदना ‘राग तान ताल दान दीजै’ को भावपूर्ण और रसपूर्ण अंदाज में मोहकता से प्रस्तुत किया।
सुश्री निवेदिता सिंह ने कई रागों में निबद्ध बंदिशों को रागदारी के शुद्ध चलन में सही लीक पर प्रस्तुत किया। ऋचा जैन द्वारा राग शुद्ध कल्याण में शन्नो जी द्वारा रचित वंदना और राग काफी में टप्पा की प्रस्तुति प्रभावी थी। शन्तू खुराना की वरिष्ठ शिष्या मैत्री मजूमदार द्वारा राग दुर्गा में तराना भी ताल और लय सुन्दरता से गठा हुआ था। इन गायिकाओं के साथ प्रखर तबला वादक अख्तर हसन, और दामोदर लाल घोष ने आकर्षक संगत की। शास्त्रीय संगीत में गुणी गायिका और संगीत रचनाकार के रूप में शन्नो खुराने के योगदान पर विस्तार से संचालक पं. विजय शंकर ने प्रकाश डाला|