केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने अहमदाबाद के सोला सिविल हॉस्पिटल में देश के प्रथम टेली-रिहैबिलिटेशन सेंटर का उद्घाटन किया
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने गुरुवार को अहमदाबाद के सोला सिविल हॉस्पिटल में देश के प्रथम टेली-रिहैबिलिटेशन सेंटर का उद्घाटन किया। सरकारी संस्थानों में इस प्रकार का सेंटर शुरू करने वाला गुजरात देश का पहला राज्य है।
उद्घाटन अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल और स्वास्थ्य मंत्री श्री ऋषिकेश पटेल भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर सोला सिविल हॉस्पिटल स्थित ऑडियोलॉजी एंड स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजी कॉलेज के आधुनिकीकरण का भी लोकार्पण किया गया। इसके साथ ही, कॉक्लियर इम्प्लांट के संदर्भ में लिखित ‘ए कॉम्प्रिहेंसिव गाइड टू हियरिंग, स्पीच एंड लैंग्वेज डेवलपमेंट इन चिल्ड्रन विद कॉक्लियर इम्प्लांट्स’ नामक पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
यह पुस्तक कॉक्लियर इम्प्लांट लगवाने वाले बच्चों में विभिन्न स्तरों पर विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से श्रवण, वाणी और भाषा के विकास को दर्शाने के लिए डिजाइन की गई है। इस पुस्तक में सुनने, बोलने और भाषा की क्षमता के विकास पर केंद्रित तीन मॉड्यूल का समावेश किया गया है।
श्री अमित शाह ने टेली-रिहैबिलिटेशन सेंटर का शुभारंभ करने के बाद सेंटर का दौरा कर वहां की गतिविधियों का निरीक्षण भी किया।
उन्होंने कॉक्लियर इम्प्लांट लगवाने वाले बच्चों के साथ संवाद किया और इन बच्चों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं भी दीं।
उल्लेखनीय है कि कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी करवाने वाले बच्चों को रिहैबिलिटेशन में तत्काल स्पीच थेरेपी की आवश्यकता होती है। इस थेरेपी सेशन के लिए गुजरात के विभिन्न क्षेत्रों से बच्चों को अहमदाबाद के सोला सिविल हॉस्पिटल में आना पड़ता था। अहमदाबाद से दूर रहने वाले मरीजों को यात्रा खर्च वहन करने की असमर्थता तथा ऑडिटरी वर्बल थेरेपी के अभाव के कारण बहुत मामूली लाभ मिल पाता था। इसके कारण बच्चे में सुनने और बोलने का पर्याप्त विकास नहीं हो पाता था। इसलिए कई मामलों में कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी का सफल परिणाम नहीं मिलता था।
इसे ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा 25 लाख रुपए की लागत से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य केंद्र (आरबीएसके), प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन यूनिट (पीआईयू) और डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (डीईआईसी) तथा ऑडियोलॉजी कॉलेज की मदद से टेली-रिहैबिलिटेशन के लिए महत्वपूर्ण व्यवस्था विकसित की गई है, ताकि इस कार्यक्रम के सार्थक परिणाम मिल सकें और बच्चे सर्जरी के बाद बोल और सुन सकें।
टेली-रिहैबिलिटेशन की मदद से कॉक्लियर इम्प्लांट लगवाने वाले बच्चों को अब जिला स्तर पर डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर में स्पीच थेरेपी सेशन का लाभ मिल पाएगा। इस सेंटर से वीडियो कॉलिंग कर अद्यतन साउंडप्रूफ कमरे में ऐसे बच्चों को थेरेपी दी जाएगी। जिलों में स्थित ये केंद्र पीडियाट्रिक, ऑडियोलॉजिस्ट और आरबीएसके आदि के साथ एक साथ कनेक्ट होंगे। इससे पहले केवल ऑडियो के माध्यम से यह सेवा उपलब्ध थी। अब, इस टेली-रिहैबिलिटेशन सेंटर के संचालित होने से वीडियो कॉलिंग के माध्यम से थेरेपी की पूरी प्रक्रिया की जाएगी।
केंद्रीय मंत्री श्री अमित शाह के करकमलों द्वारा ऑडियोलॉजी कॉलेज के आधुनिकीकरण का लोकार्पण किया गया। ऑडियोलॉजी कॉलेज के विस्तारीकरण और आधुनिकीकरण के लिए सरकार की ओर से आवंटित 35 लाख रुपए की मदद से अंतरराष्ट्रीय स्तर के 7 नए साउंडप्रूफ कमरे बनाए गए हैं।
इन साउंडप्रूफ कमरों के बनने से सुनने, बोलने और चक्कर आने की तकलीफ के अलावा लकवा मारने के बाद भोजन निगलने में तकलीफ वाले मरीजों को जांच के साथ ही थेरेपी उपचार भी मिल सकेगा।
ऑडियोलॉजी कॉलेज में वेस्टिबुलोनीस्टेग्मोग्राफी (वीएनजी) की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। यह उपकरण चक्कर आने के कारणों का पता लगाने में सहायक होता है। इस उपकरण की मदद से मरीज को कान या दिमाग में तकलीफ होने के कारण आने वाले चक्कर का निदान किया जा सकता है।
इसके अलावा, स्ट्रोक, गले के कैंसर या अन्य किसी तंत्रिका तंत्र की तकलीफ के कारण आहार निगलने में तकलीफ वाले मरीजों के लिए वाइटल स्टिमुलेशन नामक आधुनिक उपकरण स्थापित किया गया है। यह उपकरण गले के अंदर आहार को निगलने वाली मांस-पेशियों को उत्तेजित करता है।
उल्लेखनीय है कि ऑडियोलॉजी एंड स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजी कॉलेज वर्ष 2021 में रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता और 20 बैठकों की मंजूरी के साथ शुरू की गई थी। यह कॉलेज गुजरात यूनिवर्सिटी से संबद्ध है। बैचलर इन ऑडियोलॉजी एंड स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजी का पाठ्यक्रम कुल 4 वर्षों का है, जिसमें 3 वर्ष का पाठ्यक्रम और 1 वर्ष की इंटर्नशिप शामिल है।
गुजरात मेडिकल एंड एजुकेशन रिसर्च सोसायटी (जीएमईआरएस) मेडिकल कॉलेज से संबद्ध सोला हॉस्पिटल, अहमदाबाद राज्य में बैचलर इन ऑडियोलॉजी एंड स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजी पाठ्यक्रम शुरू करने वाला पहला सरकारी मेडिकल कॉलेज है। वर्तमान में सरकार की ओर से भारत के 4 राज्यों में यह पाठ्यक्रम चलाया जा रहा है।
प्रारंभ में कॉलेज में कुल 3 साउंडप्रूफ और 7 स्पीच थेरेपी कमरों के क्लीनिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ सुनने और बोलने की तकलीफ वाले मरीजों के साथ-साथ कॉक्लियर इम्प्लांट लगवाने वाले मरीजों को सेवाएं दी जाती थीं।