नजरिया: गरीब छात्रों की हकमारी न करें, धोखाधड़ी के कारण पिछड़ जाते हैं मेहनती मगर निर्धन छात्र
अभी जेईई-मेन परीक्षा में गड़बड़ी की खबरें आई हैं। कुछ लोग नकल करके, सॉफ्टवेयर को हैक करके ऐसे अयोग्य बच्चों को वहां तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं जिनमें क्षमता नहीं है, काबिलियत नहीं है। मेरा मानना है कि अगर आप पैसे के बल पर, प्रश्नपत्र लीक कराकर या किसी अन्य गलत तरीके से प्रतियोगिता परीक्षा पास करते भी हैं, तो अंततः इसका सबसे बड़ा घाटा आप ही को होगा। अगर आप योग्यता के बगैर किसी कॉलेज में दाखिला लेंगे तो आपको वहां काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। आपको शुरुआत में लग सकता है कि यह सफलता का शार्टकट है, आप यह भी सोच सकते हैं कि मैं आगे जाकर अच्छा कर लूंगा और आगे बढ़ जाऊंगा, लेकिन यह आपको दुःख देगा और आपके ऊपर हमेशा एक दबाव बना रहेगा। इसलिए आप चोरी से या नकल करके आगे बढ़ने की कभी न सोचें। बेशक आपके पास पैसा है तो आप चोरी से दलालों को 10-15 लाख रुपये देकर दाखिला तो ले लेंगे लेकिन जो गरीब हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति दयनीय है, जो कष्ट झेल कर लालटेन और ढिबरी की रौशनी में पढ़ रहे हैं, जिनके घर में न तो बिजली का कनेक्शन है और न ही इंटरनेट का, जो अपनी पूरी जिन्दगी परीक्षा की तैयारी में लगा देते हैं, आप उनकी हकमारी कर रहे हैं। इसके अलावा, अगर आप पैसे देकर एडमिशन ले रहे हैं तो आप देश को भारी नुकसान भी पहुंचा रहे हैं।
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि जितने नए-नए डिजिटल उपकरण आ रहे हैं और ऑनलाइन परीक्षा की जितनी बातें हो रही हैं, गड़बड़ी की आशंकाएं भी उतनी बढ़ रही हैं। आज गांवों में न जाने कितने छात्र हैं जिनके पास सुविधाओं और संसाधनों का अभाव है, जिन्होंने कंप्यूटर देखा भी नहीं है, और अगर देखा है तो उसका उपयोग नहीं किया है। जो छात्र शहरों में पले-बढ़े हैं, वो तो बचपन से ही मोबाइल, टैबलेट और लैपटॉप का प्रयोग कर रहे हैं। उनके लिए ऑनलाइन परीक्षा देना बहुत ही आसान है, बल्कि ऑफलाइन की तुलना में यह ज्यादा सरल है। लेकिन, उस गरीब बच्चे के बारे में सोचिए जो सरकारी स्कूल में पढ़ रहा है और जिसके पिता के पास स्मार्टफोन तो दूर, शायद एक बेसिक फोन भी नहीं हैं। इसलिए मेरा प्रधानमंत्री और केन्द्रीय शिक्षा मंत्री से आग्रह है अगले वर्ष से आइआइटी, एनआइटी और ऐसी सभी अन्य परीक्षाएं ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन तरीके से भी हों ताकि दूरदराज के गांवों में रहने वाले छात्र दुनिया की रेस में शामिल हो पाएं।
तीसरी बात यह है कि ऐसी घटनाएं उन छात्रों के माता-पिता के लिए धिक्कार समान हैं जो 15 लाख रुपये गलत तरीके से रिश्वत देकर, ऑनलाइन व्यवस्था में गड़बड़ी करा के अपने बच्चों का नामांकन सुनिश्चित करते हैं। इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार वही हैं। पैसा आखिर कौन दे रहा है? बच्चों के पास तो 15 लाख रुपये नहीं होते। आप ऐसे माता-पिता की मनोदशा समझिए। यह बहुत बड़ा देशद्रोह है। ऐसा करके आप गरीब और समाज के वंचित वर्ग के छात्रों की हकमारी कर रहे हैं जो प्रतिकूल परिस्थितियों में दिन-रात इस उम्मीद में मेहनत कर रहे हैं कि वे जीवन में पढ़ाई की बदौलत आगे बढ़ेंगे। आप उसकी इस उम्मीद को मिटा रहे हैं। यह अक्षम्य अपराध है जो आप जानते-बूझते हुए कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इससे गरीब जनता का मेहनत पर से विश्वास उठ जाएगा। जिस समाज में, देश में, कौम में मेहनत पर से विश्वास उठ जाता है, उसका पतन शुरू हो जाता है।
इन तमाम बातों के मद्देनजर मेरी छात्रों के माता-पिता से करबद्ध प्रार्थना है कि बच्चों को गलत काम करने का बढ़ावा न दें। अगर आप उन्हें बढ़ावा देंगे तो वे भी आगे जाकर आपको अनादर की दृष्टि से देखेंगे।
मैंने ‘सुपर 30’ के माध्यम से सैकड़ों विद्यार्थियों को पढ़ाया है, जिन्होंने मेहनत के बल पर आइआइटी में दाखिला लिया। मेरे पढ़ाए हुए शिष्य आज भी मुझसे मिलने आते हैं और चरण स्पर्श करते हैं, क्योंकि मैंने उन्हें कभी गलत तरीके अपनाने की शिक्षा नहीं दी। मैंने हमेशा उनका सम्मान किया और उनको मुसीबतों से लड़ना सिखाया। मैंने उन्हें बताया कि विपरीत परिस्थितियों से कैसे जूझा जाता है। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा भी आगे बढ़े, ताकतवर बने, जिसमें संघर्ष करने के क्षमता हो, जिसमें जुझारूपन हो, तो इस तरह की चीजों से उन्हें अलग रखिए। उन्हें चोरी, चीटिंग और नकल पर नहीं, सिर्फ और सिर्फ मेहनत पर विश्वास करना सिखाइए।
(लेखक पटना स्थित बहुचर्चित कोचिंग संस्था, ‘सुपर 30’ के संस्थापक हैं, जिनकी जीवनी पर हृतिक रोशन अभिनीत बायोपिक बॉलीवुड में बन चुकी है)