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09 April 2016

चर्चाः पाप-पुण्य करें पूरे मन से। आलोक मेहता

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने पहले आनाकानी की, लेकिन तीन दिन बाद स्वीकार कर लिया कि पैतृक संपत्ति के रूप में ऐसे खाते रहे हैं। रूस या चीन के शीर्ष नेताओं से गलती स्वीकारे जाने की उम्मीद करना कठिन है। हां, पद से हटने के बाद अवश्य रूस और चीन में कड़ी सजा मिलती है। अमेरिका में भी कर चाेरों की कमी नहीं है। राजनेता भी बड़ी सफाई से धन जमा और खर्च करते हैं। पकड़े जाने पर दंडित होते हैं। इधर पाकिस्तान में नवाज शरीफ या भुट्टो परिवारों ने चुनावी राजनीति में शीर्ष पद पाने के बाद अरबों रुपयों की संपत्ति देश-विदेश में जमा की। पनामा पेपर्स में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का नाम उजागर हुआ है। लेकिन भारतीय नेताओं की तरह अपने को निरपराध, जनसेवक ही बताते रहेंगे। बहुचर्चित क्रिकेट की आई.पी.एल. से जुड़ी एक कंपनी और फिल्मी हस्तियों के नाम भी पनामा दस्तावेज में हैं। लेकिन क्रिकेट के नवाबों के चेहरों पर शिकन नहीं आई है। उनके हंसते-मुस्कराते चेहरे आपको मैदान और टी.वी. पर दिखते रहेंगे। बीफोर्स, कोयला खान (घोटाला), टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला, चारा कांड, अनाज आयात-निर्यात में भ्रष्टाचार, सड़क-जंगल-रोजगार से जुड़ी करोड़ाें की हेराफेरी और न्यायालय में बहुत से प्रमाण साबित हो जाने के बाद भी अधिकांश नेता अपनी गलती स्वीकारने को तैयार नहीं हैं। हत्या, नकली मुठभेड़ के मामलों में निचली अदालत से सजा या जमानत मिलने के बाद भी नेता और अफसर बाहर निकलते ही भारी भीड़ के साथ तलवार–बंदूक उछालते नाचते-गाते जुलूस निकालते हैं। गंभीर अपराध के आरोप में केवल जमानत मिलने मात्र से क्या व्यक्ति आरोप मुक्त और देवदूत की तरह ‘पूज्यनीय’ हो सकता है ? निर्भर करता है कि आप पाप-पुण्य पूरे मन से करके ईमानदारी से कबूलने को तैयार हैं या नहीं ?

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TAGS: पनामा पेपर्स, आइसलैंड, आईपीएल, British PM, David Cameron, black money
OUTLOOK 09 April, 2016
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