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15 November 2021

प्रथम दृष्टि/ दरभंगा: छोटे शहर की उड़ान

किसी पिछड़े प्रदेश का कोई अति पिछड़ा शहर विकास के छोटे पंख लग जाने से किन ऊंचाइयों तक उड़ सकता है, इसका आकलन दरभंगा एयरपोर्ट की अद्भुत सफलता से किया जा सकता है। वर्षों से उपेक्षित बिहार के मिथिलांचल इलाके की सांस्कृतिक राजधानी से पिछले वर्ष आठ नवम्बर को भारत सरकार की रीजनल कनेक्टिविटी योजना, ‘उड़े देश का आम नागरिक’ (उड़ान) के अंतर्गत नियमित हवाई सेवा की शुरुआत हुई थी। एक वर्ष के भीतर इस एयरपोर्ट ने इस स्कीम के अंतर्गत खोले गए अन्य सभी हवाई अड्डों को यात्रियों की संख्या के मामले में पीछे छोड़ दिया। यह तब हुआ जब इस एयरपोर्ट को पूरी तरह से विकसित किया जाना बाकी है। महज एक साल के दौरान दरभंगा एयरपोर्ट से लगभग सवा पांच लाख यात्रियों का आना-जाना हुआ है। आज यहां से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलूरू, हैदराबाद और अहमदाबाद जैसे शहरों के लिए सीधे फ्लाइट उपलब्ध हैं। किसी प्रदेश की राजधानी या एक विकसित राज्य के किसी बड़े शहर में एयरपोर्ट होना सामान्य बात हो सकती है, लेकिन उस इलाके में जो सरकारी अदूरदर्शिता एवं इच्छाशक्ति के अभाव में दशकों तक बदहाली के गर्त में पड़ा रहा हो, उसके लिए देश की राजधानी और अन्य महानगरों से हवाई मार्ग से जुड़े रहने के क्या मायने हो सकते हैं, दरभंगा के उदाहरण से भलीभांति समझा जा सकता है। आज यहां से आने-जाने वाले अधिकतर फ्लाइट यात्रियों से भरे होते हैं।

नए एयरपोर्ट से इस इलाके में नए जीवन और नई उर्जा का संचार हुआ है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को जो मजबूती मिली है, उसकी कल्पना पिछले वर्ष तक नहीं की जा सकती थी। इससे न सिर्फ पर्यटन, परिवहन और होटल इंडस्ट्री में नई जान आई है बल्कि स्थानीय किसानों, ज़मीन मालिकों और उद्यमियों को दूरदराज के नए बाज़ार आसानी से उपलब्ध हो गए हैं। मिथिलांचल का क्षेत्र मधुबनी पेंटिंग के अलावा आम, मखाना, मछली और पान के लिए और पड़ोसी जिला मुजफ्फरपुर लीची के लिए जग प्रसिद्ध है, लेकिन नजदीक में एयरपोर्ट की सुविधा न होने से विगत में उन्हें बड़ी मंडियों तक पहुंचाना आसान न था। दरभंगा से पहले निकटतम एयरपोर्ट 130 किलोमीटर दूर पटना में था। अब यहीं नए एयरपोर्ट के सुचारू संचालन से कृषि और व्यापार क्षेत्र में व्यापक असर हुआ है। इस वर्ष यहां से लीची की भारी खेप बाहर भेजी गई और लाखों रुपये के इलेक्ट्रॉनिक्स सामान महानगरों से यहां लाए गए। दरभंगा एयरपोर्ट से आज न सिर्फ उत्तर और पूर्वी बिहार के सभी जिलों के निवासी, बल्कि नेपाल के तराई इलाकों के लोग भी भारी संख्या में यात्रा कर रहे हैं। यात्रियों की बढ़ती संख्या के कारण न सिर्फ स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर बढ़े हैं बल्कि नए उद्योगों की स्थापना के मार्ग प्रशस्त हुए हैं। इतने कम समय में दरभंगा एयरपोर्ट की सफलता से बिहार के पूर्णिया, भागलपुर और मोतिहारी जैसे जिलों में नए एयरपोर्ट की मांग तेज हो गई है। दरभंगा से हवाई सेवा की अप्रत्याशित सफलता से स्पष्ट है कि सुदूर पिछड़े इलाकों के विकास के दृष्टिकोण से केंद्र सरकार की ‘उड़ान’ योजना के दूरगामी और सकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। ऐसे इलाकों से रोजगार की तलाश में लोगों के निरंतर पलायन में भी कमी आने की उम्मीद बढ़ी है। हर वर्ष दरभंगा और आसपास के बाढ़ग्रस्त इलाकों से लाखों लोग जीविकोपार्जन के लिए महानगरों की ओर कूच करते हैं। 

सांस्कृतिक रूप से समृद्ध होने के बावजूद बिहार के मिथिलांचल जैसे पिछड़े इलाके में एक हवाई अड्डे का क्या महत्व हो सकता है, यह इस बात से भी स्पष्ट है कि यहां आज भी दिवंगत ललित नारायण मिश्र को महानायक के रूप में देखा जाता है। रेलमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने यहां के दुर्गम इलाकों में रेलवे लाइन का जाल बिछाया। यह बात और है कि 1975 में उनकी हत्या के बाद दशकों तक यहां की छोटी लाइन को ब्रॉड गेज में परिवर्तित नहीं जा सका। आज भी दरभंगा से बिहार के दूसरे सबसे बड़े शहर मुजफ्फरपुर के बीच कोई सीधी ट्रेन सेवा नहीं है। कोई आश्चर्य नहीं कि इन क्षेत्रों का विकास ठप रहा। नए एयरपोर्ट के कारण अब परिदृश्य बदलने की संभावना है।

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पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का लोकार्पण करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘उड़ान’ योजना के अंतर्गत देश भर में 900 से अधिक हवाई रूट स्वीकृत किए गए हैं और उनमें से 350 पर हवाई सेवा शुरू भी की जा चुकी है। इसमें शक नहीं कि इस योजना से बहुत हद तक देश में प्रादेशिक विषमताएं दूर होने की उम्मीद है। आजादी के बाद विकास की तमाम गतिविधियां बड़े शहरों के इर्द-गिर्द केन्द्रित हो गईं। बड़े शहर और बड़े होते गए और छोटे शहर देश की मुख्यधारा से दूर होते गए। बाद के वर्षों में यह फासला पाटना मुश्किल दिखने लगा। इसका प्रमुख कारण देश के सुदूर कस्बों और महानगरों के बीच त्वरित संपर्क का अभाव था। दरभंगा एयरपोर्ट की सफलता से एक उम्मीद की लौ जली है कि अब देश के पिछड़े हिस्सों से आप किसी विकसित महानगर में महज दो-ढाई घंटे में पहुंच सकते हैं। यह निस्संदेह उनके बीच की दूरियां मिटाने की ओर लिया गया बड़ा कदम है।

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TAGS: Editorial, Darbhanga Airport, Giridhar Jha, OutlookHindi
OUTLOOK 15 November, 2021
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