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07 September 2024

अधूरेपन की टीस

लगभग 58 वर्ष पहले पंजाब पुनर्गठन अधिनियम,1966 के तहत संयुक्त पंजाब के हिंदी भाषी क्षेत्र को नए राज्‍य का दर्जा मिला और उसका नामकरण हरियाणा किया गया। तबसे ही इस प्रदेश का राजकाज अंतरराज्‍यीय राजधानी चंडीगढ़ शहर से चल रहा है, जो प्रदेश की सीमाओं से बाहर एक कोने में स्थित है। अभी तक इसकी अपनी भूमि पर अपनी राजधानी और हाइकोर्ट नहीं है। चंडीगढ़ शहर पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़ की संयुक्त राजधानी है और पंजाब तथा हरियाणा हाइकोर्ट इन तीनों का साझा हाइकोर्ट है। यह स्थिति संवैधानिक, प्रशासनिक और न्यायिक विवादों व विसंगतियों के अतिरिक्त हरियाणा प्रदेश के लोगों की काफी कठिनाइयों का कारण बनी हुई है। चुनाव के वक्‍त यह लोकप्रिय विमर्श का हिस्‍सा बने तो बेहतर होगा।

चंडीगढ़ शहर दोनों प्रदेशों में भावनात्मक विवाद का केंद्र बन जाने से दोनों प्रदेशों के लोगो के बीच अनावश्यक रूप से दुर्भाव, अन्याय व अभाव की आंदोलित भावना उत्पन्न होने के कारण देश के इस क्षेत्र में तनाव व अशांति का वातावरण बन गया है। समय के साथ पंजाब की नदियों के पानी का बंटवारा, हिंदी भाषी क्षेत्रों का स्थानांतरण व अन्य आपसी मुद्दे भी इस विवाद से जुड़ गए। इस लंबे अरसे में चंडीगढ़ का अपना चरित्र व व्यक्तित्व भी विकसित हो गया है। इसको सिटी-स्टेट बनाने की बात उठने लगी है। इन कारणों से चंडीगढ़ के विवाद की जटिलता बढ़ती जा रही है। समय आ गया है कि केंद्र इस ऐतिहासिक विसंगति का तर्कसंगत, शांतिपूर्ण, न्यायपूर्ण समाधान निकाले।

चंडीगढ़ शहर का इतिहास, भूगोल, संस्कृति, (जबान, खान-पान-परिधान) हरियाणा से मेल नहीं खाती। यह हरियाणा के लोगों की आशाओं, आकांक्षाओं और पहचान का प्रतिनिधित्व नहीं करता। यह स्वीकार करना चाहिए कि यथास्थिति दोनों प्रदेशों और विशेषकर हरियाणा प्रदेश के हित में कतई नहीं है।

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आज हरियाणा बेरोजगारी, क्षेत्रीय विषम विकास, प्रशासनिक और न्यायिक कठिनाइयों से जूझ रहा है। हरियाणा की दूसरी राजधानी के रूप में विकसित किए जाने वाले शहर से गुरुग्राम की तर्ज पर लाखों नए रोजगार सृजित होंगे और अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय निवेश के कारण आस-पास के पिछड़े क्षेत्रों का विकास होगा। प्रदेश के युवाओं को अपनी जान जोखिम में डालकर विदेशों में मजदूरी करने के लिए मजबूरन पलायन नहीं करना पड़ेगा। यह नया शहर विश्वस्तरीय अत्याधुनिक शिक्षण और अनुसंधान संस्थानों की स्थापना करके हरियाणा की समूची अर्थव्यवस्‍था में ‘दाने से दिमाग’ तक का क्रांतिकारी परिवर्तन लाने का केंद्र बनेगा। यह प्रदेश की आर्थिक, सामाजिक, बौद्धिक, सांस्कृतिक शक्तियों का सकेंद्रीकरण कर नई ऊर्जा और उत्साह पैदा कर तथा प्रेरणास्रोत बनकर प्रदेश के सर्वांगीण विकास को गति प्रदान करेगा और एक नए तथा जीवंत हरियाणा के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। प्रदेश के लाखों लोग अपने मुकदमे हाइकोर्ट और दूसरी अदालतों में लंबित होने के कारण कठिनाइयां झेल रहे हैं। प्रदेश का अलग हाइकोर्ट होने पर उन्हें सुविधापूर्वक, समय पर और कम खर्च में न्याय मिल पाएगा।

हरियाणा की अपनी अलग राजधानी न होने के कारण प्रदेश की विशिष्ट पहचान नहीं बन पाई। इसके विभिन्न क्षेत्रों का सांस्कृतिक एकीकरण नहीं हो पाया और ‘पहचान से परस्परता’ विकसित नहीं हो पाई। इसलिए यह कहा जाता है कि हरियाणा में कोई हरियाणवी नहीं है। ‘हरियाणा एक, हरियाणवी एक’ की सोच एक नारा मात्र बनकर रह गया है। सामाजिक सौहार्द के लिए भी सांस्कृतिक आदान-प्रदान आवश्यक है।

यह जरूरी है कि हरियाणा के गौरवशाली इतिहास, उसकी प्राचीन सभ्यता, उसकी समृद्ध संस्कृति, उसकी प्राचीन धरोहर को संरक्षित करने, सम्मान करने तथा संवर्धन करने के लिए भी प्रतीक स्थान के रूप में राजधानी प्रदेश की गहनतम संस्कृति से जुड़ी जमीन पर बने। किसी भी प्रदेश का आधार उसकी संस्कृति, भाषा का संरक्षण और संवर्धन ही होता है और राजधानी उसके सांस्कृतिक केंद्र का काम करती है।

हरियाणा की अलग राजधानी के तौर पर निर्मित होने वाला नया विश्वस्तरीय शहर प्रदेश में शहरीकरण की गुणवत्ता को नई उचाइयां प्रदान करेगा और हरियाणा को आधुनिक पहचान भी देगा। नया शहर हरियाणा की प्रतिभा को विकसित करने तथा विकास की नई संभावनाओं की तलाश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। क्योंकि  यह राज्य की भौगोलिक क्षमताओं तथा राजनैतिक आकांक्षाओं की पूर्ति का केंद्र बनेगा।

हरियाणा की अलग राजधानी की आवश्यकता इसलिए भी है कि इसकी आने वाली पीढ़ियां उन महापुरुषों, स्वतंत्रता सेनानियों, बलिदानियों, वैज्ञानिकों, विद्वानों, कवियों, लेखकों, साहित्यकारों वगैरह की स्मृति को चिरस्थायी कर गौरव अनुभव कर सकें, जिन्होंने अपने सेवा कार्यों तथा विचारों से हरियाणा के जन-जीवन और जन-मानस को समृद्ध किया है। वे अपनी संस्कृति और संस्कारों से समाज का चरित्र निर्माण कर सके।

एमएस चोपड़ा

(लेखक केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय के पूर्व उपसचिव हैं। विचार निजी हैं)

 

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TAGS: MS Chopra, former deputy secretary, union parliamentary affairs ministry
OUTLOOK 07 September, 2024
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