Advertisement
28 September 2024

असल संकट है मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मंदी

आइआइटी में नौकरी के संकट से निपटने के लिए छात्रों और प्लेसमेंट विभाग को मिलकर काम करने की जरूरत है। इससे छात्रों को अधिक विकल्प मिल सकते हैं और नौकरी पाने में आसानी हो सकती है। छात्रों को निराश नहीं होना चाहिए और अपने कौशल को लगातार बढ़ाते रहना चाहिए। साथ ही उन्हें समय और कंपनियों की मांगों पर ध्यान देना चाहिए। वैकल्पिक रास्ते तलाशते हुए वे गैर-सरकारी संगठनों से संपर्क कर सकते हैं और जॉब पोर्टल्स का लाभ उठा सकते हैं।

संस्थानों को इंडस्ट्री की जरूरतों के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार करना चाहिए। निजी विश्वविद्यालय इसे जल्दी लागू कर लेते हैं, जबकि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आइआइटी) में इसे लागू होने में अधिक समय लगता है जिससे कई बार कंपनियां निजी विश्वविद्यालयों के छात्रों को प्राथमिकता देती हैं और सरकारी संस्थानों के छात्र पीछे रह जाते हैं।

आइआइटी के कोर इंजीनियरिंग, जैसे- इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल,  सिविल- और विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में छात्रों के लिए चुनौतियां बनी हुई हैं। देश में मैन्युफैक्चरिंग पर जोर देना आवश्यक है क्योंकि अभी कई चीजें बाहर से लाकर केवल असेंबल की जाती हैं। मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया जाए, तो रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और बेरोजगारी कम होगी।

Advertisement

इसके अलावा, आइआइटी को प्लेसमेंट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) पर अधिक ध्यान देना चाहिए और छात्रों को नई तकनीकों से अवगत कराते रहना चाहिए ताकि वे बेहतर नौकरी के अवसर हासिल कर सकें। संस्थानों को अपने कामकाज के तरीकों में बदलाव करना चाहिए क्योंकि प्राइवेट सेक्टर में एआइ तकनीक पर अधिक जोर दिया जा रहा है और छात्रों को यह सिखाया जा रहा है कि इंडस्ट्री में इसका उपयोग कैसे किया जाता है।

आइआइटी संस्थानों का उद्योग और कंपनियों से सीमित संपर्क होता है और इंटर्नशिप के अवसर भी कम होते हैं, जिससे छात्रों को नवीनतम तकनीकों के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती। इसके विपरीत निजी विश्वविद्यालयों में इंडस्ट्री से मजबूत संपर्क, विजिट और अप्रोच होते हैं जिससे उनके छात्रों को आसानी से नौकरी मिल जाती है। सरकारी संस्थानों की आय के स्रोत सीमित होते हैं जिसके कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है और इसका प्रभाव छात्रों की पढ़ाई पर भी पड़ता है।

वहीं, निजी क्षेत्र में छात्रों को नवीनतम तकनीक सिखाने और नए उपकरण उपलब्ध कराने के लिए आय की कोई सीमा नहीं होती। सरकारी संस्थानों को मैन्युफैक्चरिंग संरचना पर ध्यान देना चाहिए। छात्रों को समझना चाहिए कि वर्तमान मंदी अस्थायी है और बाजार की स्थिति जल्द ही सुधर जाएगी। उन्हें नौकरी पाने के लिए उन कौशलों पर ध्यान देना चाहिए जिनकी वर्तमान में अधिक मांग है। आर्थिक कारकों और तकनीकी प्रगति के चलते कई कंपनियां नई नियुक्तियों को लेकर सतर्क हैं और खासकर टियर-1 से नीचे के कॉलेजों से चुनिंदा भर्ती कर रही हैं।

(लेखक शारदा विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर और स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी के डीन हैं)

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Dr. Parmanand, Column, IIT Placement Rate
OUTLOOK 28 September, 2024
Advertisement