लव जेहाद: यह बड़ी साजिश है
लव जेहाद का मामला कोई नया नहीं है। ऐसा नहीं कि इससे सिर्फ भारत लड़ रहा है। ब्रिटेन में भी लव जेहाद के मामले आए हैं, जिसे वहां ‘पाकिस्तान का सेक्स गैंग’ कहा गया। म्यामांर में भी बौद्ध बेटियों के साथ उत्पीड़न हुए। इसका परिणाम रोहिंग्याओं के पलायन के रूप में सबके सामने है। श्रीलंका में मामले काफी बढ़े हैं, जिससे एक धर्म विशेष के खिलाफ वहां के लोग खड़े हो गए। श्रीलंका सरकार को भी कदम उठाना पड़ा। जहां तक भारत की बात है, जम्मू-कश्मीर से केरल और असम से लेकर गुजरात तक यह देखने को मिल रहा है।
लव जेहाद के मामले रोजाना रिपोर्ट हो रहे हैं। इसके कई रूप हैं। धर्म विशेष के लोगों को जेहाद के नाम पर बरगलाकर ‘जनसंख्या जेहाद’ की ओर जाया जा रहा है। इसके पीछे बहुत षड्यंत्र है, विदेशी फंडिंग भी है। गैर-मुस्लिमों के प्रति घृणा पैदा करना और बेटियों को प्रताड़ित कर अपने समुदाय की आबादी बढ़ाना इसका हिस्सा है।
कभी–कभी यह भी देखने को मिलता है कि लव जेहाद में लव नहीं होता, उसके पीछे असली मंशा धर्मांतरण, दोहन और सेक्स होती है। इससे बेटियों का उत्पीड़न हो रहा है। हमने 16 सितंबर को एक सूची जारी की है जिसमें मीडिया में प्रकाशित लव जेहाद के 170 मामलों का जिक्र है। कानपुर का शीबू अली कैसे सचिन बना, नोबस्ता का फतेह खान कैसे आर.एन. मल्होत्रा, आगरा का एकराना कैसे रवि, झांसी का रकीबुल हसन कैसे रंजीत कोहली, सीकर का इमरान कैसे कबीर शर्मा, बस्ती का असलम कैसे सोनू बना। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जब लव जेहादियों ने पहचान छिपाकर और संपन्नता दिखाकर हिंदू बेटियों को फंसाया। इसके बाद मीना को अमीना, मेवात में निधि को नादिया, वाराणसी में पूजा को जोया, लखनऊ में अंजली तिवारी को आयशा बनाया। ऐसी अनगिनत कहानियां हैं।
ऐसा नहीं कि ये मामले किसी खास राज्य, समाज या तबके से आते हैं। ऐसा हर वर्ग में हो रहा है। हमारे पास मीडिया, न्यायपालिका, व्यापारी हर वर्ग के लोग केस लेकर आ रहे हैं। जो हमें कहते थे कि लव जेहाद जैसा कुछ नहीं होता, वे लोग भी शिकार हो रहे हैं। दुर्भाग्य से यह खेल लव से शुरू होता है, लेकिन उसका अंत आत्महत्या, हत्या, अरब शेखों के हाथों बिकने या आइएसआइएस पर जाकर खत्म होता है। इसे बचाने के लिए हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसमें कानूनी पेचीदगियों से लेकर शारीरिक हमले तक शामिल हैं। हमने कई परिवार देखे हैं जहां एक व्यक्ति से शुरू हुआ धर्म परिवर्तन पूरे परिवार का धर्म परिवर्तन करा देता है।
हिंदू समाज में बेटियों को इज्जत की नजर से देखा जाता है। इसलिए जब ऐसा कुछ होता है तो लोग उसे उजागर नहीं करना चाहते। वे कोई कदम नहीं उठाना चाहते, जिससे बात सार्वजनिक हो। इससे जेहादियों के हौसले बुलंद हो जाते हैं। जेहादियों को समर्थन देने वाले हर तरीके का उनकी मदद करते हैं।
हिंदू समाज में शादी को जन्म-जन्मांतर का बंधन माना जाता है, जबकि मुस्लिम समाज में ऐसा नहीं है। वहां बहुविवाह प्रथा है, शादी को कांट्रैक्ट माना जाता है जिसे कभी भी तोड़ा जा सकता है। शादी के बाद अपने संस्कारों के कारण वह न तो मुसलमान बन पाती है, न ही परिवार वाले उसे हिंदू मानते हैं।
लोग हमसे पूछते हैं कि जिस लव जेहाद की हम बात कर रहे हैं, उसके आंकड़े कहां हैं, क्योंकि संसद से लेकर एनसीआरबी डाटा तक, कहीं इसका उल्लेख नहीं मिलता है। इसकी वजह साफ है। जब लव जेहाद का कानून ही नहीं है, तो इसका वर्गीकरण कैसे होगा और राज्य सरकारें कार्रवाई कैसे करेंगी। क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का वह आंकड़ा निकालिए, जिनमें गैर-मुस्लिम लड़कियों का अपहरण किया गया। फिर यह देखिए कि कितने मामलों में आरोपी मुस्लिम लड़के थे।
शादी के लिए धर्मांतरण भी गंभीर मसला है। लोग बड़े-बड़े लोगों का हवाला देते हैं। शाहरुख खान या किसी और का उदाहरण देकर कहते हैं कि शादी के बाद हिंदू लड़की को मुस्लिम धर्म नहीं अपनाना पड़ेगा। ऐसा है तो करीना कपूर को शादी के बाद अपने नाम के आगे खान क्यों लिखना पड़ता है। उनके बच्चे का नाम हिंदू धर्म के अनुसार क्यों नहीं है? वह आजादी कहां चली गई? शायद ही कोई केस मिले जहां हिंदू बेटी से उत्पन्न बच्चों के नाम मुस्लिम धर्म के न हों।
ऐसे मामलों में धर्मांतरण की नीयत बिल्कुल साफ है। इस संदर्भ में इलाहाबाद हाइकोर्ट के फैसले के निहितार्थ को भी समझना चाहिए। उसका कहना है कि धर्मांतरण से शादी की नीयत नहीं बदल सकती। यह उन युगलों के अधिकारों का भी हनन है। दुर्भाग्य से ये बातें बहुत कम सामने आती हैं। शायद 0.1 फीसदी ही रिपोर्टिंग होती है।
सरकार ने तीन तलाक पर बड़ा फैसला कर मुस्लिम बेटियों को आजादी दी, अब हिंदू बेटियों को भी लव जेहाद से मुक्ति दिलाने का समय आ गया है। अब तो मुस्लिम लड़कियों को उकसाकर लव जेहाद कराया जा रहा है। गोंडा का एक मामला सामने आया है जिसमें नागरीन नाम की लड़की ने फेसबुक पर फेक आइडी बनाकर दिल्ली के मोहित से शादी की। बाद में मोहित को जबरदस्ती मुसलमान बनाया गया। बाद में मोहित को लड़की ने भी छोड़ दिया। अहम बात यह है कि लड़के की शिकायत पर न तो यूपी में, न ही दिल्ली में एफआइआर दर्ज की गई। बाद में हमारे काफी दबाव बनाने पर दोनों राज्यों में एफआइआर दर्ज हुई। हम चाहते हैं कि व्यापक कानून बने। हम यह भी मानते हैं कि प्यार की कोई सीमा नहीं होती, लेकिन छल-कपट और जेहाद के नाम पर धर्मांतरण गलत है। ऐसा कानून बने, जिसमें किसी के साथ अन्याय न हो।
(लेखक विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। जैसा उन्होंने प्रशांत श्रीवास्तव को बताया)