Advertisement
24 April 2021

काबे किस मुंह से जाओगे गालिब…

File Photo

कोरोना सबकी कलई खोलता जा रहा है...

हमारे शायर कृष्ण बिहारी नूर ने कहा है : सच घटे या बढ़े तो सच ना रहे/ झूठ की कोई इंतहा ही नहीं. कोरोना इसे सही साबित करने में लगा है।

कोई है जो दस नहीं हजार मुख से चीख-चीख कर कह रहा है कि न अस्पतालों की कमी है, न बिस्तरों की; न वैक्सीन कहीं अनुपलब्ध है, न कहीं डॉक्टरों-नर्सों की कमी है। वह बार-बार कह रहा है कि ऑक्सीजन तो जितनी चाहो उतनी उपलब्ध है. दूसरी तरफ राज्य हैं कि जो कभी चीख कर, कभी याचक स्वर में कह रहे हैं कि हमारे पास कुछ भी बचा नहीं है। हमें वैक्सीन दो, हमें ऑक्सीजन दो, हमें बिस्तर अऔर वेंटीलेटर लगाने-बढ़ाने के लिए संसाधन दो। हमारे लोग मर रहे हैं, लेकिन वह आवाज एक स्वर से, एक ही बात कह रही है : देश में कहीं कोई कमी नहीं। जिन राज्यों में कमल नहीं खिलता है, वे ही राज्य सारा माहौल खराब कर रहे हैं।

Advertisement

हमारा शायर बेचारा कह रहा है, कहता जा रहा है: झूठ की कोई इंतहा ही नहीं ! 

उच्च न्यायालय गुस्से में कह रहे हैं : लोग मर रहे हैं और आपकी नींद ही नहीं खुल रही है! चाहे जैसे भी हो- छीन कर लाओ चुरा कर लाओ मांग कर लाओ- लेकिन ऑक्सीजन लाओ वैक्सीन लाओ यह तुम्हारा काम है, तुम करो। 

सर्वोच्च न्यायालय कह रहा है : यह राष्ट्रीय संकटकाल है। सब कुछ रोक दीजिए। बस एक ही काम- लोगों का समुचित इलाज! जान बचाई जाए। कारखानों और दूसरे कामों में ऑक्सीजन की एक बूंद भी इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा दीजिए। सारे संसाधन अस्पतालों को मुहैया कराइए। 

क्या इससे पहले भी इनमें से किसी ने ऐसा कहा था ?  

जिस प्रधानमंत्री ने रातो-रात लॉकडाउन लगा कर सारे देश की सांस बंद कर दी थी अौर अपनी पीठ थपथपा कह रहा था कि समय पर लॉकडाउन लगा कर मैंने सारे देश को बचा लिया वही प्रधानमंत्री अब कह रहा है कि तब लॉकडाउन इसलिए लगाया था कि हमारी तैयारी नहीं थी, संसाधन नहीं थे, इस बीमारी का कोई इलाज पता नहीं था। हमने सब की सांस इसलिए बंद कर दी थी ताकि हमें सांस लेने का मौका मिले; ताकि हम तैयारी पूरी कर सकें। वे कह रहे हैं कि आज ऐसा नहीं है। अब हम लॉकडाउन नहीं करेंगे।  राज्यों को भी इसे एकदम आखिरी विकल्प मानना चाहिए, क्योंकि आज हम सारे संसाधनों के साथ तैयार भी हैं और हमें इस कोविड का इलाज भी पता है।

देश अपनी टूटती सांसें संभालता हुआ कह रहा है : मैं तो तब भी सांस नहीं ले पा रहा था, अब भी नहीं ले पा रहा हूं। मेरे लोग तब भी बेहिसाब बीमार पड़े, तड़प रहे थे, मर रहे थे; आज भी तब से ज्यादा बीमार हैं, तड़प रहे हैं, मर रहे हैं। तुम लाशें गिन सकते हो, लाशें छिपा सकते हो लेकिन मेरा दर्द नापने वाला ऑक्सीमीटर बना ही कहां है! 

जवाब में अांकड़े पेश किए जा रहे हैं : जंबो कोविड सेंटर यहां भी बन गया है, वहां भी बन गया है।  इतने बेड तैयार हैं, इतने अगले माह तक तैयार हो जाएंगे। ऑक्सीजन प्लांट अपनी पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं। वैक्सीन में तो हम सारी दुनिया में अव्वल हैं- विश्वगुरू! वैक्सीन बर्बाद न होने दीजिए, ऑक्सीजन बर्बाद न कीजिए!  प्रधानमंत्री रात-दिन बैठकें कर रहे हैं। देश की सबसे अ-सरकार सरकार राजधानी दिल्ली की है जिसका मुखिया नौजवानों से कह रहा है: हमने दिल्ली के अस्पताल चौबीस घंटे आपके लिए खोल दिए हैं। मुफ्त वैक्सीन लगाई जा रही है। आप घर से बाहर मत निकलिए तो कोई खतरा नहीं है। हम तब भी जीते थे, अब भी जीतेंगे। वे कोविड से जीतने की बात कर रहे थे, मुझे सुनाई दे रहा था- चुनाव !    

शायर गा रहा है : झूठ की कोई इंतहा ही नहीं ! 

विश्व स्वास्थ्य संगठन कह रहा है: हमने फरवरी में ही भारत सरकार को आगाह किया था कि यूरोप आदि में जैसा दिखाई दे रहा है, कोविड का वैसा ही विकराल स्वरूप आपके यहां भी लौटेगा। इसलिए अपने ऑक्सीजन का उत्पादन जितना बढ़ा सकें, बढ़ाइए...

(लेखक गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष हैं। लेख में व्यक्त विचार निजी हैं)

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Narendra Modi, Covid Havoc, Kumar Prashant, Outlook Hindi Opinion
OUTLOOK 24 April, 2021
Advertisement