MS Paint को भुलाना अपनी यादों से पीछा छुड़ाने जैसा
माइक्रोसॉफ्ट साल के अंत तक अपने विंडोज 10 में कई बदलाव करने जा रहा है। पहले कंपनी ने संकेत दिए थे कि MS Paint अब इसका हिस्सा नहीं होगा और आगे इसे अपडेट नहीं किया जाएगा लेकिन MS Paint लोगों के लिए एक नॉस्टैल्जिया का काम भी करता है इसलिए लोगों ने इस फैसले पर काफी दु:ख जताया। इसे देखते हुए कंपनी ने घोषणा की है कि इसे पूरी तरह नहीं हटाया जाएगा बल्कि इसे विंडोज स्टोर से मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है।
माइक्रोसॉफ्ट की तरफ से एक ब्लॉग में कंपनी की जनरल मैनेजर मेगन सांडर्स ने लिखा, ''32 साल पुराने इस ऐप के लिए हमें काफी समर्थन मिल रहा है और हम काफी खुश हैं। इस समर्थन को देखते हुए, हम एक घोषणा करते हैं। यह ऐप तो बना रहेगा लेकिन उसका ठिकाना बदल जाएगा। अब इसे विंडोज स्टोर से मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है।'' मतलब यह कि अब यह पहले की तरह हमारे साथ नहीं होगा। अब इस दौर में MS Paint का कम ही इस्तेमाल होता है इसलिए लगता नहीं कि कंपनी अब इसे प्राथमिकता देगी। उसकी घोषणा से भी ऐसा ही लगता है। लोग MS Paint से जुड़ी नॉस्टैल्जिक यादें ताजा कर रहे हैं, तो हमने भी उसे याद कर लिया।
90 के दशक में पैदा होने वालों के लिए यह पूरा दशक ही यादगार है। इसे लेकर लोग अक्सर नॉस्टैल्जिक हो जाया करते हैं। नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की जोड़ी ने अर्थव्यवस्था को बदलकर रख दिया था। वैश्वीकरण की वजह से बाजार पूरे विश्व के लिए खुल गए थे। बहुत सी मल्टीनेशनल कंपनियां भारत में पैर जमा रही थीं। इसी में से एक थी बिल गेट्स की माइक्रोसॉफ्ट। वैसे तो आधिकारिक तौर पर यह कंपनी भारत में 1990 में आई थी लेकिन जब उदारीकरण शुरू हुआ तभी इसने पैर फैलाने शुरू किए।
जब इसने पैर फैलाए तो हमारे कस्बों, स्कूलों तक पहुंच गई। कस्बों में कंप्यूटर सिखाने के कई संस्थान खुल गए। कंप्यूटर सीखने वाले लड़कों/ लड़कियों को ‘एलीट' वाली नज़रों से देखा जाता था। हमारे कस्बे में जब पहली बार मनोज भाई लखनऊ से कंप्यूटर सीख कर आए और दो सफेद वाले बड़े मॉनीटर के साथ कंप्यूटर कोचिंग सेंटर खोला तो उनका अलग ही रूतबा हुआ। वे अचानक मनोज से ‘मनोज सर’ हो गए।
मुझे याद है, हम लोगों के स्कूल में जब पहली बार कंप्यूटर आया तब मैं शायद चौथी क्लास में था। शुरू में कंप्यूटर के सारे पार्ट्स के चित्र बनवाए जाते थे। फिर कंप्यूटर को शट डाउन करना और खोलना सिखाया गया। उसके बाद जो पहली सबसे बड़ी और क्रांतिकारी चीज सिखाई गई, वो थी MS Paint। क्या तो जादू था उसमें। हम उससे आगे नहीं बढ़ना चाहते थे। यह विश्वास ही नहीं होता था कि जो ऊट-पटांग चीजें हम कागजों पर खींचा करते थे, वह एक आभासी पेंसिल के साथ मॉनीटर की स्क्रीन पर भी खींच सकते थे। यह अपने आप में एक रोमांच था और आश्चर्य भी।
तब तो कागज में भी आम-अमरूद बनाना कठिन ही लगता था तो इसमें कौन सा हम लोग तीर मार लेते लेकिन अब समझ में आता है कि इस पर कुछ भी बना पाना हमेशा से कठिन था, शायद इसीलिए इसका इस्तेमाल कम हो गया। इसका प्रयोग तस्वीरों का आकार बदलने या कॉपी-पेस्ट तक ही सीमित हो गया। आज के बेहतरीन ग्राफिक्स के हिसाब से यह बेहद साधारण चीज है लेकिन हमारे लिए तब काफी असाधारण थी। नए जमाने में बूढ़ा हो चुका MS Paint तब हमारा दोस्त था। अब भी कभी-कभी उससे मुलाकात हो जाती है।अब जबकि माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज 10 के नए वर्जन में इसे हटाने का फैसला किया है तो जाहिर है अब यह हमें सिर्फ पुराने वर्जन में ही दिखाई देगा और आगे अपडेट नहीं किया जा सकेगा।
MS Paint का सफर
नवंबर 1985 में जब पहली बार माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज 1.0 लांच किया, तभी इसके साथ MS Paint जोड़ा गया था। धीरे-धीरे इसमें बहुत सारे सुधार किए गए। विंडोज 95 के साथ माइक्रोसॉफ्ट ने रंगों को सेव करने का फीचर जोड़ा। विंडोज XP के साथ चित्रों को JPEG, GIF, TIFF और PNG फॉरमेट में सेव करने का फीचर जोड़ा गया।
विंडोज विस्टा में टूलबार और रंगों वाले सेक्शन में बदलाव हुए। इसमें तस्वीर को क्रॉप करने का फीचर जोड़ा गया। साथ ही इस नए वर्जन में 10 बार बदलाव किए जा सकते थे, जो पहले तीन तक ही सीमित थे। बड़े बदलाव विंडोज 7 से आने शुरू हुए। इसमें पेंट-ब्रश को अलग-अलग शेड्स में लाया गया। 50 बार किसी बने हुए चित्र को अन-डू किया जा सकता था। विंडोज 8 में पेज को जूम करके चित्र बनाने का फीचर जुड़ा लेकिन इसमें कई शिकायतें थीं। मई 2016 में माइक्रोसॉफ्ट ने Paint 3D लांच किया। यह आगे भी बना रहेगा।
जैसा भी था यह दोस्त बढ़िया था, जो हमारे साथ बचपन से रहा। इस दौर में तुम्हारा टिके रहना वैसे भी मुश्किल था, दोस्त। पूरी तरह तो अब भी नहीं फिर भी, अलविदा MS Paint।