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11 April 2020

रामकृष्ण द्विवेदी होने के मायने, मुख्यमंत्री को हराकर रचा था इतिहास

नेहरू टोपी में दिखने वाले कांग्रेसी नेताओं की पीढ़ी लगभग समाप्ति पर है। पंडित रामकृष्ण द्विवेदी उत्तर प्रदेश कांग्रेस के ऐसे ही दिग्गज नेताओं में शुमार थे। हाल ही में उनका निधन हो गया। रामकृष्ण द्विवेदी ऐसे हमें छोड़कर चले जाएंगें, सोचा नहीं था।मैंने राजनीति का ककहरा उनसे ही सीखा।

यहां सबके राजनीतिक बाप होते हैं। मेरे लिए तो आप मां और बाप दोनों ही थे। जैसे कोई मां अपने बच्चे को पालती है, ऐसे आपने मुझे राजनीति में पाला था । सब कुछ सिखाया। कभी क्रांतिकुमार जी की कोठी में बैठकर और कभी नेहरूभवन के अपने कमरे में बैठ कर। आज़ादी के बाद का पूरा राजनीतिक इतिहास मैंने कब पढ़ा? सिर्फ़ आपसे और क्रांति जी से सुनकर ही तो समझा। जिस पर अक्सर लोग मुझे इतिहास का जानकर मानते हैं।

पंडित जी, आप ही तो थे क्रांति जी के साथ जिन्होंने रीता बहुगुणा जी, जो उस वक़्त क्रांति जी के ही घर में रहती थीं और कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष थी, उनसे मिलवाया। आप ही थे, जिन्होंने रुस से लेकर वारसा जैसे देशों का इतिहास अमरीकी पूंजीवाद का नफ़ा नुक़सान सब बताया।

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मुझे याद आता है आपका गर्व से ब्रिटिश न्यूज़ पेपर लिंक की मुख्यपृष्ठ स्टोरी दिखाना “ द मीनिंग ऑफ मनीराम” जिसे आपने तत्कालीन मुख्यमंत्री टीएन सिंह को उपचुनाव में हरा कर इतिहास रचा था। उससे पहले भारत में कोई भी मुख्यमंत्री अपना उपचुनाव नहीं हारा था। आपने ही बताया था, कि कैसे उस वक़्त देश के सारे बड़े नेता अटल बिहारी बाजपेयी, कर्पूरी ठाकुर, सीबी गुप्ता, राजनारायण जी आपको हराने में दिन रात एक किये थे और दूसरी तरफ़ आप थे इंदिरा गांधी के प्रत्याशी। कैसे कैसे कुचक्र रचे गये थे? कैसे इंदिरा जी के सामने नागा बाबाओं की फ़ौज उतार दी गयी थी और उनके लिए कैसे कैसे अपशब्दों का प्रयोग किया गया था?  सारी सरकार सारा प्रशासन लग गया था, मुख्यमंत्री को जिताने में। पर जीत आपकी हुई थी। आपको तत्कालीन मुख्यमंत्री से लगभग दोगुने वोट मिले थे। सब कुछ आंखों के सामने आ रहा है पंडित जी।

वो रामकृष्ण द्विवेदी जी ही हो सकते थे, जिन्होंने यूपी कांग्रेस की अनुशासन समिति का अध्यक्ष होते हुए सीडब्ल्यूसी मेम्बर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्र्शेखर जी को पार्टी से निकाल दिया था। ये सब कहां मिलता है, पढ़ने को। ये सब क्रांति जी और आपके साथ ने ही बताया और सिखाया।

आप इकलौते गृहमंत्री थे, जिन्होंने मंत्री रहते हुए पुलिस की वर्दी अपने लिये सिलवायी थी। कही इतिहास में नहीं मिलेगा ऐसा उदाहरण? आपका यूथ कांग्रेस से इंदिरा गांधी का साथ और दद्दा उमाशंकर दीक्षित का स्नेह सब आपसे ही सुना और सीखा। राजनीति के तमाम उतार चढ़ाव के आपसे ही सुने, कैसे अमरीका का सातवां बेड़ा हिंदुस्तान की तरफ़ बढ़ रहा था और श्रीमती गांधी बिना डरे बिना विचलित हुए कैसे बांग्लादेश का निर्माण कर रही थी। आप उस पल के साक्षी रहे थे। आप पंडित कमलापति त्रिपाठी जी के युग के भी साक्षी थे। कैसे कमलापति जी ने अपने धुरविरोधी राजनारायण जी की सहायता की सब आपसे ही सुना और गुना पंडित जी। आज सब याद आ रहा है। समझ नहीं आ रहा क्या लिखूँ क्या छोड़ूं।

आप चले गये पंडित जी मन नहीं लग रहा। कुछ समय पहले ऐसे ही क्रांति जी चले गये थे और आज आप । राजनीति में ऐसा लग रहा है जैसे अनाथ सा हो गया हूं। ख़ैर जाना तो सबको है बस इतना ज़रूर कहूंगा आपकी शिक्षा हमेशा याद रहेगी। आपके सिद्धांत आगे बढ़ाऊँगा। आपके दिखाए रास्ते पर चलूंगा और आपका सिखाया सबक़ हमारा कर्तव्य बनेगा। विनम्र श्रद्धांजलि।

(लेखक कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता हैं।)

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OUTLOOK 11 April, 2020
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