आज का रावण कौन?
- ऋषव रंजन
रावण सुनते ही हमारे मन में क्या आता है? दस सर वाला रावण, जोर-जोर से हंसने वाला रावण और ना जाने क्या-क्या! रावण हंसता क्यों है? यह इसीलिए क्योंकि उसे घमंड है अपनी ताकत का, अपनी सत्ता का। रावण को कैसे पहचाना जाए? दशमी में रावण को जलाने तो सब पहुंच जाते हैं पर उस भीड़ में कोई राम होता है क्या?
आज समाज भी राम और रावण के युद्ध का चश्मदीद है। इस युद्ध में राम कौन और रावण कौन? शुरू रावण से करते हैं। आज हमारे समाज में रावण वो है जो धर्म के नाम पर लोगों को बांटने का काम कर रहा है। जो वाट्सऐप ग्रुप के लिए झूठी ख़बरें बनाता है जिससे लोग एक नए ज़हरीले विचार को अपना लेते हैं और इससे उनके तर्कशील विकास का अंत हो जाता है। फिर सब कुछ इन्हें लिबरल का प्रॉपगैंडा नज़र आता है क्यूंकि यह लोग खुद उस वाट्सऐप और फेसबुक प्रॉपगैंडा के नदी में डूबे हुए होते हैं। एक रावण वो है जो धर्म के नाम पर लोगों की जान ले रहा है और एक वो जो इसे सही साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ता। एक रावण आज वो भी है जो अल्पसंख्यकों पर अत्याचार कर रहा है। अब चाहे ये अल्पसंख्यक बंगाल में हो या गुजरात में। एक रावण केरल में भी है जो राजनीति के नाम पर असल में आर्थिक फायदे के लिए वामपंथी और दक्षिणपंथी को लड़वाता है, विचार की इस लड़ाई को मौत का खेल बनाता है।
एक रावण वो है जो महिलाओं को अधिकार वंचित रखना चाहता है और उसके लिए संस्कृति का सहारा लेता है जो खुद धूमिल हो चुका है। एक रावण उस परिवार में भी है जो इस देश के भविष्य को उस शिक्षा तले दबा देता है जिसकी उसे इच्छा ना हो। एक रावण वो है जो अपने मां-बाप के आंखो में धूल झोंकता है। एक रावण वो भी जो धर्म के भेष में ठग है, जो ढोंग करता है। यह रावण सत्तालोभी, धनलोभी ऐश्वर्य लोभी होता है।
वैसे उस रावण का क्या जो अपने बड़े-बड़े उद्योग के दम पर इस देश को दिशाहीन बनाता है? जो विकास के मायने बदल कर पूरे प्रकृति के साथ खिलवाड़ करता है। इस रावण को एक और रावण का शह प्राप्त होता है। यह रावण सत्ताधारी है इसके पास पूरी ताकत होती है। इसीलिए इसके साथी रावण का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाता है।
इन सभी रावण को जलाया जा सकता है क्यूंकि यह सभी व्यक्ति विशेष हो ना हो इन सभी रावणों का नीव उस विचार में है जो इस देश के संविधान के लिए ख़तरा है, जो इस देश को मनुस्मृति से चलाना चाहता है। हम सबको राम बनना होगा। हमें मर्यादा सीखनी होगी, हमें धैर्य सीखना होगा, धर्म का असली मतलब जानना होगा, असल स्वाभिमान की परिभाषा जाननी पड़ेगी, संघर्ष के क्षमता बनानी पड़ेगी, सेवा और निर्माण के भाव को पैदा करना होगा। हमें उन सभी जगहों पर हस्तक्षेप करना होगा जहां-जहां समतावादी समाज को तोड़ने की साज़िश चल रही हो और उस सभी सामाजिक समरसता को तोड़ना होगा जो लोगों के बीच एक दीवार खिंचती हो। हमें एक नई लकीर खींचने की जरूरत है जिसके अंदर हमारा पूरा देश और समाज समा सके। और सबसे महत्वपूर्ण हमें उस विचार को अपनाना होगा जो किसी समुदाय के लिए ही नहीं पूरे मानवता के लिए फायदेमंद हो। हम सबके आस-पास वो रावण रूपी विचार है, तो देर ना कर खोज में लग जाइए 'आज का रावण कौन?'