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14 June 2017

आरटीआई कार्यकर्ता निखिल डे को 19 साल पुराने मामले में 4 माह की सजा

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भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सूचना के अधिकार के जरिये संघर्ष छेड़ने वाली पूर्व आईएएस अधिकारी अरुणा रॉय के निकटतम सहयोगी निखिल डे और उनके अन्य साथी नोरती बाई, रामकरण, और छोटूलाल के काम को लोग जानते है, इन लोगों की अगुवाई में चले लंबे जन आंदोलन की बड़ी भूमिका रही है जिससे इस देश को सूचना का अधिकार जैसा क्रांतिकारी कानून मिल पाया।

क्या है मामला?

6 मई 1998 का को निखिल डे, नोरती बाई, रामकरण और छोटूलाल सूचना के लिए पत्र देने सरपंच प्यारे लाल के घर गए। हरमाडा का सरपंच प्यारेलाल जो कि शराब व्यवसायी भी था, उससे सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह ने सूचनाएं मांगी। सरपंच ने निखिल डे, नोरती बाई, रामकरण तथा छोटूलाल मालाकार को सूचनाओं की चिट्ठी लेने के बजाय उनके साथ मारपीट की और गाली गलौज करते हुए धक्के मार कर घर से बाहर निकाल दिया। होना तो यह चाहिए था कि पीड़ितों को मुकदमा दर्ज करवाना चाहिए, मगर उल्टा चोर कोतवाल को डाटे की कहावत को चरितार्थ करते हुए सरपंच ने निखिल डे और उनके साथियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवा दिया। पुलिस ने जाँच की और इस पूरे प्रकरण को ही झूठा मानते हुये 30 जून 1998 को अंतिम रिपोर्ट सबमिट कर दी।

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सरपंच ने फिर से खुलवाया मामला

बहुत दिनों तक मामला शांत रहा लेकिन 5 जुलाई 2001को सरपंच ने यह  मामला फिर खुलवाया। जिसके बाद इन लोगों को सजा दे दी गई। साथ ही निखिल डे और उनके साथियों को मुचलके पर जमानत मिल गई है, शीघ्र ही वो सक्षम अदालत में सजा के खिलाफ अपील करेंगे।

कानूनी लड़ाई रहेगी जारी

कई जन संगठनो ने इस निर्णय से निराशा व्यक्त करते हुये इससे असहमति व्यक्त की है, पीयूसीएल की राजस्थान अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने कहा है कि इस फैसले में कई महत्वपूर्ण परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की अनदेखी हुई है। वहीँ प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने कहा है कि यह कैसा समय है जबकि पिटाई करने वालों ने पिटाई खाने वालों को दण्डित करवा दिया है। हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा है कि यह कानूनी लड़ाई है जो आगे भी लड़ी जायेगी और न्याय प्राप्ति तक संघर्ष किया जायेगा।

 

( लेखक सामाजिक कार्यकर्ता एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं  )

 

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TAGS: RTI, activist, Nikhil Dey, gets, punishment, questions, Rajsthan
OUTLOOK 14 June, 2017
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