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19 June 2018

जम्मू-कश्मीर में अब जमीन पर एक्शन देखने का है समय

File Photo

- शांतनु मुखर्जी

पीडीपी सरकार से भाजपा द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद बहुत से लोग संभवत: आश्चर्यचकित होंगे। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस्तीफा दे दिया है और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है। इस तरह का संदेश तभी मिल गया था जब पिछले कुछ घंटों में भाजपा की लीडरशिप ने जम्मू-कश्मीर के भाजपा नेताओं को सलाह-मशविरे के लिए दिल्ली बुलाया।

पत्रकार शुजात बुखारी और उनके दो पर्सनल सुरक्षाकर्मियों की हत्या और राष्ट्रीय राइफल्स के राइफलमैन औरंगजेब के जघन्य कत्ल जैसी कई तनावपूर्ण घटनाएं घटने के बाद केंद्र सरकार ने सीजफायर को निरस्त कर दिया। ये सब कुछ ईद के आस-पास हुआ।

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इन मौतों से सहानुभूति भी पैदा हुई। राज्य सरकार की आलोचना हुई। इन हत्याओं की वजह से हार्ड लाइन रखने वालों ने भी सीजफायर करने को लेकर केंद्र सरकार को डिफेंसिव मोड में ला दिया। उग्रवादियों के खिलाफ नरम रुख, पाकिस्तान की आईएसआई द्वारा अलगाववादियों को समर्थन का मु्द्दा और सुरक्षा बलों पर हमलों को लेकर भी केंद्र की कश्मीर नीति का विरोध हुआ। इस तरह की आशंकाएं सही साबित हुईं। जबकि सुरक्षा बलों ने रमजान के दौरान कारण प्रतिशोध न लेने के साथ-साथ समस्याओं को दूर करने के लिए संयम दिखाया।

लेकिन केंद्र में सरकार ने शायद मूल्यांकन किया कि अब बहुत हुआ। खुफिया रिपोर्टों ने भी मूल्यांकन किया होगा कि इससे सेनाओं का मनोबल टूट जाएगा और आईएसआई या सीमा पार से आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए उनमें उत्साह भी नहीं रहेगा। सरकार ने सोचा होगा कि सत्तारूढ़ गठबंधन से समर्थन वापस लेने का यह सबसे सही समय है  क्योंकि सहानुभूति अब सरकार और सुरक्षा बलों के साथ थी। निकट भविष्य में ऐसा लगता है कि सशस्त्र बल, पैरामिलिटरी और राज्य पुलिस आक्रामक रुख अपनाएंगे ताकि लोगों में सुरक्षा की भावना आए और आतंक फैलाने वालों का खात्मा किया जाए।

अगले आम चुनाव एक साल के भीतर ही हैं। सरकार लापरवाही से काम करती नहीं दिख सकती। अब जमीन पर एक्शन होता देखने का समय है। आने वाले दिन यह देखने वाले होंगे कि खुफिया मशीनरी और सुरक्षा बल मिलकर अराजक तत्वों को बेअसर करने और जम्मू-कश्मीर के शांति के हकदार लोगों के लिए किस तरह काम करते हैं।

 

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TAGS: bjp-pdp, jammu kashmir, mehbooba mufti, narenda modi
OUTLOOK 19 June, 2018
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