दो बेगमों की जिद ने बांग्लोदश में खड़े किए मुश्किल हालात
मध्य अप्रैल में ढाका में पोइला बैशाख पर्व रामाना पार्क में मनाया गया। बंगाल की पारंपरिक साड़ी में बिंदी और सिंदूर के साथ सजी-धजी औरतेंं रबींद्र संगीत, नाजरुलगीती और समकालीन बंगाली गीत राक बैंड के साथ गाते हुए पर्व को भव्यता प्रदान कर रही थीं। ऐसे पर्व के खिलाफ जमात ने फतवा जारी कर दिया और इसे यानी बैशाख पर्व को हराम या अपवित्र घोषित कर दिया। बांग्लोदश में आधुनिकता और इस्लाम के बीच विचारों की टक्कर हो रही है। इस जंग के बीच एक और मुख्य तथ्य यह है कि हसीना के साथ सभी आधुनिक लोग नहीं खड़े हुए हैं।
देश में बढ़ती असहिष्णुता और उनके लचर प्रशासन की वजह से लोग उनका पूरा साथ देेने में हिचकिचा रहे हैं। 1971 के युद़ध का नतीजा बताता हैै कि बांग्लादेश का निर्माण ही असहिष्णु इस्लाम के विरोध पर हुआ है। हाल ही में वहां असहिष्णुता बहुत बढ़ी है। डेली स्टार दैनिक के महफूज अनम के खिलाफ अवामी लगी ने 84 मुकदमें ठाेक दिए। दोष यही था कि महफूज हसीना के विचारों का सम्मान नहीं करते हैं। अपने दैनिक की 25 वीं वर्षगांठ में उन्होंने नाेबल विजेता मुहम्मद युनुस काेे आमंत्रित किया। युनुस एक बार राजनीति में आकर देश की इन दो बेगमों को चुनौती देने की ठान ली थी। युनुस की समारोह में मौजूदगी हसीना को पसंद नहीं आर्इ। प्रोफेसर रेजाउल करीम सिद़दीकी को मौत दे दी गई। उनका राजशाही यूनिवर्सिटी के साहित्य में काफी योगदान है। इसी तरह गे मैगजीन के एडिटर जुलहाज मनन को भी मार डाला गया। ढाका के गुलशन इलाके में हाल ही मेंं रेस्टारेंट में आतंकी हमला तो आप सभी जानते ही हैं। इस तरह असहिष्णुता और आतंक ने बांग्लोदश को पूरी तरह अपनी गिरफ़त में ले लिया है। ईद में भी यहांं विस्फोट हुआ है।
पिछले दो सालों में यहां 20 विदेशी नागरिक सहित 51 लोग ऐसी घटनाओं का शिकार हुए हैं। भारत और बांग्लोदश के बीच संबंधाें में जब से हल्के सुधार देखने को मिल रहे हैं तब से हसीना के सलाहकार बांग्लोदश में अस्थिरता फैलाने के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहरा दे रहे हैं। बांग्लोदश के एक संपादक ने आईएसआईएस की कार्यकारी मैगजीन दाबीक में प्रकाशित एक इंटरव्यू के बारे में मुझे बताया। जिसमें बंगाल इलाके के आईएसआईएस सैनिकों के अमीर शेख अबू इब्राहिम अल-हनीफ ने जमात की काफी आलोचना की। हसीना अक्सर जमात को असहिष्णुता के लिए जिम्मेदार ठहराती हैं। पर हनीफ कहते हैं कि जमात एक राजनीति पार्टी है। वह कुफ्र और शिर्क में व्यस्त है।
वह बंगाल के मुस्लिम को लोकतंत्र के पर्व में अपनी भागीदारी देने को कहता है। लोकतंत्र एक तरह से धर्म है, जहां जनता को शक्ति दी जाती है। क्या सही है या क्या गलत है, इस पर निर्णय लेने के लिए ताकतवर बनाया जाता है। हनीफ के अनुसार जमात लोकतंत्र के जरिए लोगों को किसी चीज को हलाल या हराम मानने के लिए बाध्य करता है। ऐसे अधिकार दे देेता है जो अधिकार अल्लाह के मानेे जातेे हैंं। आईएसआईएस के जमात के खिलाफ ऐसे शब्द भी हसीना को समझ नहीं आ रहे हैं। वह एक राह में चलते हुए कठोर निर्णय लेने के बजाय अभी भी अस्थिरता के लिए जमात और पाकिस्तान को दोषी मान रही हैं। आईएसआईएस का जमात को कोसना भी हसीना को समझा नहीं पा रहा है। मेरा मानना हैै कि दो बेगमों की समझ के बीच बांग्लादेश विरोधाभास की आग में झुलस रहा है। वह देश जिसने पोइला बैशाख को मनाने के अधिकार को पाने के लिए लाखों लोगों की जान गंवाई वहां दो बेगमों की राजनीति और उनके कार्य करने की समझ ने मुश्किल हालात पैदा कर दिए हैं।