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02 March 2016

कपड़े उतारवाकर परीक्षा दिलवाना, अमानवीय है

गुगल

रक्षा मंत्री ने यह भरोसा दिलाया है कि वह इस मामले की छानबीन करेंगे, इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य में ऐसी दुर्घटना नहीं होगी। मुझे लगता है कि इस बारे में मंत्रालय की तरफ से भी सख्त निर्देश दिए जाने चाहिए और परीक्षा के संबंध में जो मानक तय हैं, उनका कड़ाई से पालन होना चाहिए।

एक दिक्कत यह भी है कि 20-30 पदों के लिए हजारों की संख्या में लोग परीक्षा देने आते हैं। जैसे बिहार में हुई। महज 20 सीटों के लिए 12 हजार लोग परीक्षा देने के लिए उमड़ पड़े। यहां जिम्मेदारी ब्रांच रिक्रूटमेंट ऑफिसर (बीआरओ) की होती है कि वह परीक्षा सही ढंग से कराए। गलती उस स्तर पर हुई होगी। इतनी बड़ी भीड़ को मैनेज करने के लिए दो-तीन अधिकारी बहुत कम होते हैं। दूसरा मुझे लगता है कि यह वहां रिवाज बन गया होगा। वहां अधिकारियों के दिमाग में होगा कि लिखित परीक्षा के बाद शारीरिक परीक्षा तथा मेडिकल टेस्ट कराने के लिए परीक्षार्थियों को कपड़े उतारने ही होते हैं. सामान्य तौर पर शाट्स पहन कर करते हैं, यहां उन्होंने तीनों ही परीक्षाएं कपड़े उतारकर कर लीं। उस पर नकल का बहुत खौफ रहा होगा। नकल न हो, यह सोचकर कपड़े उतरवा लिए। यह गलत है, सरासर गलत। सभी को नकलची नहीं करार दिया जा सकता।

 (पूर्व ब्रिगेडियर और रक्षा मामलों के विशेषज्ञ)

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TAGS: रक्षा, सैनिक परीक्षा, बिहार, कपड़े, रक्षा मंत्री
OUTLOOK 02 March, 2016
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