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21 July 2015

फांसी से क्यों नहीं बच पाएगा याकूब मेमन?

आउटलुक

याकूब को साजिश के लिए कोडे द्वारा दी गई मौत की सजा ने उसके वकील सतीश कनसे समेत कई लोगों को आश्चर्यचकित किया है। कुछ साल पहले उन्होंने rediff.com की शीला भट्ट से कहा था, ‘याकूब ने पाकिस्तान में कभी सैन्य प्रशिक्षण में भाग नहीं लिया... उसने कभी बम या आरडीएक्स नहीं रखा था, न ही उसने हथियारों के उतरने में कभी हिस्सा लिया। जिन लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी वे इनमें से किसी एक घातक कृत्य में लिप्त थे। याकूब के विरुद्ध आरोपों में भी ये अपराध शामिल नहीं हैं।' बावजूद इसके वह हर हाल में फांसी पर चढेगा, जो इस केस में पहली ऐसी सजा होगी।

उसका अभियोजन करने वाले वकील उज्जवल निकम (जिन्होंने पाकिस्तानी अजमल कसाब के बिरयानी की मांग करने के बारे में चर्चित झूठ बोला था) ने याकूब के बारे में अपनी ये राय दी, ‘जब उसे पहली बार अदालत लाया गया था तो मुझे याद है वह बिल्कुल शांत और अलग थलग रहने वाला आदमी था। वह एक चार्टर्ड अकाउंटेंट था इसलिए साक्ष्यों का विस्तार से अध्ययन करता था। वह गंभीर और अकेले रहता था, दूसरों से कभी घुलता मिलता नहीं था और सिर्फ अपने वकील से ही बात करता था। वह पूरी न्यायिक प्रक्रिया पर करीब से नजर रखने वाला तेजतर्रार व्यक्ति है़।'   

अपने करिअर के दौरान मैंने अदालत में याकूब में ठीक यही बातें दर्ज कीं। मेमन शांत और चौकन्ना व्यक्ति था। मैंने सिर्फ एक बार उसे भावनाओं को प्रकट करते हुए देखा था। यह 1995 के अंत में या 1996 के शुरू की बात है। उस समय ट्रायल कोर्ट के जज रहे जेएन पटेल मामले के कई अभियुक्तों को जमानत दे रहे थे। पर यहां पर भी मेमन को निराशा ही मिली। इस पर याकूब की चीख और हिंसा की अभिव्यक्ति मुझे याद है (हालांकि इस दौरान उसने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया था)। वह चिल्लाते हुए कह रहा था, ‘टाइगर सही था, हमें वापस नहीं आना चाहिए था'।     
इन सालों में अगर वह बदल गया है तो मुझे आश्चर्य है। खबरों के अनुसार आज वह नागपुर में एकांत कारावास में है (जबकि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार यह गैरकानूनी है) और जल्‍लाद का इंतजार करते हुए मृत्‍युदंड से बचने के अंतिम प्रयास कर रहा है। 

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firstpost.com के मेरे दोस्त आर. जगन्नाथन ने एक बहुत अच्छा लेख लिखा है कि क्यों सरकार को याकूब मेमन को फांसी नहीं देनी चाहिए। या उनके शब्दों में उसे फांसी देने की जल्दबाजी क्यों सही नहीं लगती है। वह तर्क देते हैं कि जो लोग राजीव गांधी की हत्या और बेअंत सिंह की हत्या में दोषी ठहराए गए हैं, उन्हें अब तक फांसी नहीं दी गई है। राजीव के तीन हत्यारों संतन, मुरुगन, और पेरारीसेलवन की फांसी की सजा तमिलनाडु विधानसभा की दया की अपील पर पलट दी गई थी। बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह रजौना ने गर्व से अपना अपराध स्वीकार किया है और यह मांग करता रहा है कि उसे फांसी दे दी जाए लेकिन पंजाब विधानसभा के प्रयासों के कारण उसे जीवित रखा गया है।      
जगन्नाथन लिखते हैं, जब भी एक दोषी हत्यारे या आतंकी या खूनी का कोई राजनीतिक समर्थन होता है तो केंद्र और अदालतें ऐसा न्याय करने की ताकत नहीं जुटा पाती हैं। अब गौर, करिए यही केंद्र, राज्य और अदालतें एक अन्य वर्ग के हत्यारों, अजमल कसाब, अफजल गुरु, और संभवत: अब याकूब मेमन की बारी आने पर किस प्रकार कानून को लागू करने के लिए समर्पित रहती हैं। जल्लाद के फंदे से सभी मुसलमानों का एकलौता संबंध प्रतीत होता है, वह है राजनीतिक समर्थन की कमी।

मै इस बात से सहमत हूं और इसी कारण मुझे लगता है कि मेमन को फांसी दे दी जाएगी जबकि राजीव और बेअंत सिंह की हत्या धमाकों से पहले हुई थी।

मेरे लिए याकूब की फांसी इस ब्लास्ट की न्यायिक प्रक्रिया से मेरे लंबे जुड़ाव का अंतिम हिस्सा होगा। बतौर संवाददाता अपने करियर के पहले दिन ही मैं मुंबई बम धमाकों के अभियुक्तों से मिला था। उनमें से कुछ, जैसे संजय दत्त, वापस जेल में हैं। दूसरे लोग, जैसे मोहम्मद जिंद्रान, मारे गए। जिंद्रान बहुत शांत और मृदुभाषी मध्यवर्गीय व्यक्ति था। बहरहाल अब याकूब फांसी पर लटकाए जाने के लिए तैयार है।

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आकार पटेल एमनेस्‍टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक हैं। यह उनके व्‍यक्तिगत विचार हैं। मूल लेख outlookindia.com पर प्रकाशित हुआ था, जिसे यहां http://www.outlookindia.com/article/why-yakub-memon-will-hang/294882 पढ़ा जा सकता है। 

 

 

 

 

 

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TAGS: इब्राहिम 'टाइगर' मेमन, याकूब मेमन, सुप्रीम कोर्ट, मुंबई ब्लास्ट, उज्जवल निकम, IBRAHIM TIGER MEMON, YAKUB MEMON, SUPREME COURT, MUMBAI BLAST, UJJWAL NIKAM
OUTLOOK 21 July, 2015
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