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06 April 2017

विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष - मलावी की रंजकहीनता विकास को एक चुनौती

मलावी दक्षिणपूर्व अफ्रीका में स्थित लैंडलॉक देश का एक ऐसा गणराज्य है जहां लगभग 7 हज़ार से 10 हजार तक लोग रंजकहीनता (एल्बीनिज़्म) से पीड़ित हैं। यह एक ऐसा रोग है, जिसके लक्षण जन्म से ही त्वचा, आंखों और बालों में देखने को मिलते हैं।

एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार मलावी में इस रोग से पीड़ित लोग जोखिम भरा जीवन जी रहे हैं। इनका या तो अपहरण कर लिया जाता है या फिर जादू टोने के साथ जुड़े अनुष्ठानों के तहत इनकी नृशंस हत्या कर दी जाती है। मलावी में बच्चे, बड़े और बूढ़े सभी आयु वर्ग के लोग इस रोग से ग्रसित हैं।

एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, इस रोग से पीड़ित लोग जोखिम भरा और डरा हुआ जीवन जी रहे हैं। इस तरह की नृशंस हत्याओं और अपहरण में कोई और नहीं बल्कि उनके खुद के परिवार वाले शामिल हैं जो जादू टोने जैसे अनुष्ठानों के अंधविश्वास में फंसकर अपने ही परिवार वालों की जान ले लेते हैं। इस तरह के मामलों में दिन-प्रतिदिन बढ़ोत्तरी हो रही है और यही कारण है कि वहां के लोग अपने बच्चों को स्कूल तक नहीं भेजते, इस डर से की कहीं उनके बच्चों का कोई अपहरण ना कर ले या कोई उनकी हत्या ना कर दे। यहां तक की हत्या के बाद उनके शवों को दफनाने या जलाने के बजाय उन्हें बेच दिया जाता है ताकि उनकी हड्डियों का उपयोग जादू-टोने जैसे अनुष्ठानों में किया जा सके।  

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रंजकहीनता से पीड़ित लोगों के सामने यही एक चुनौती नहीं जिनका वह सामना कर रहे हैं बल्कि सूरज की तेज किरणों के कारण पीड़ितों का घर से निकलना भी काफी कम हो गया है। सूरज की हानिकारक अल्ट्रा वायलेट किरणों से पीड़ितों की त्वचा को काफी नुकसान होता है। इस समस्या का सबसे बड़ा कारण सूरज की रोशनी में अधिक वक्त बिताना भी है। उनके समाज में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उन्हें सूरज की किरणों से बचने के लिए किसी भी तरह की दवाईयां भी लेने नहीं दिया जाता ताकि उनका जीवन सामान्य लोगों के जीवन से मेल ना खा सके।

एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, इन मुद्दों के तात्कालिक समाधान की आवश्यकता है। रंजकता से पीड़ित लोग अपने जीवन के साथ राजनीतिक और सामाजिक निष्क्रियता भी भुगत रहे हैं, जो जीवन और मृत्यु का मामला है।

जानकारी के मुताबिक रंजकता दो प्रकार का होता है हायपोपिगमेंटेशन और हायपरपिगमेंटेशन। हायपोपिगमेंटेशन में त्वचा पर पड़ने वाले धब्बों का रंग त्वचा के सामान्य रंग से हल्का हो जाता है। वहीं हायपरपिगमेंटेशन में धब्बों का रंग आसपास की त्वचा से गहरा हो जाता है।

रंजकता /हायपरपिगमेंटेशन त्वचा की एक सामान्य समस्या है। इस समस्या में त्वचा का कुछ हिस्सा सामान्य से गहरे रंग का हो जाता है। इसके अलावा कई बार त्वचा पर धब्बे भी पड़ जाते हैं। आमतौर पर यह समस्या कोई हानि नहीं पहुंचाती। रंजकता की सबसे बड़ी वजह त्वचा में मेलानिन का स्तर बढ़ना  है। पूरी दुनिया के लोगों को त्वचा संबंधी इस समस्या का सामना करना पड़ता है।

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TAGS: विश्व स्वास्थ्य दिवस, मलावी, रंजकहीनता, चुनौती, Challenges, Malawi, pigmentation, development
OUTLOOK 06 April, 2017
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