जिम्बाब्वे में मुगाबे के 37 साल के शासन पर सैन्य संकट
जिम्बाब्वे में राजनीतिक संकट गहरा गया है। सेना द्वारा तख्तापलट की अटकलें हैं। 1980 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से जिम्बाब्वे की सत्ता पर काबिज 93 वर्षीय राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे और सेना के बीच उपराष्ट्रपति की बर्खास्तगी के बाद से तनाव बढ़ गया था। हालांकि सेना ने एक बयान जारी कर तख्तापलट से इंकार किया है।
सेना का कहना है कि राष्ट्रपति और उनका परिवार पूरी तरह सुरक्षित है। सेना अपराधियों के खिलाफ अभियान चला रही है और इसके पूरा होते ही हालात दोबारा सामान्य हो जाएंगे। दक्षिण अफ्रीका में जिम्बाब्वे के राजदूत ने भी तख्तापलट की खबरों को खारिज किया है। बीबीसी के अनुसार राजधानी हरारे में विस्फोट की खबरें हैं, लेकिन इसका कारण स्प्ष्ट नहीं है। राष्ट्रीय प्रसारक 'जेडबीसी' के मुख्यालय पर सैनिकों ने कब्जा कर लिया है। बख्तरबंद वाहन हरारे के बाहर की सड़कों पर तैनात किए गए हैं। सेना के जवानों द्वारा राजधानी में राहगीरों को मारते और वाहनों में गोला बारूद भरने का वीडियो भी सामने आया है।
मुगाबे के घर को भी सैनिकों ने घेर रखा है। वहां गोलियों की आवाज भी सुनी गई हैं। ऐसी भी संभावना जताई जा रही है कि 37 साल का शासन जाते देख खुद की रक्षा के लिए फायरिंग की गई है। जिम्बाम्बे यूनिवर्सिटी के भी नजदीक भी विस्फोट की आवाज सुनी गई है। हरारे स्थित अमेरिकी दूतावास ने ट्वीट कर अपने नागरिकों से सुरक्षित स्थान पर रहने को कहा है।
गौरतलब है कि मुगाबे की जेडएएनयू-पीएफ पार्टी ने सेना प्रमुख जनरल कांन्सटैनटिनो चिवेंगा पर मंगलवार को ‘‘राजद्रोह संबंधी आचरण’’ का आरोप लगाया था। चिवेंगा ने उपराष्ट्रपति एमरसन मनांगाग्वा की पिछले सप्ताह की गई बर्खास्तगी वापस लेने की मांग की थी। मनांगाग्वा को बर्खास्त किए जाने से पहले उनका मुगाबे की पत्नी ग्रेस (52) से कई बार टकराव हुआ था। ग्रेस को अगले राष्ट्रपति के लिए मनांगाग्वा का प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है।