Advertisement
16 April 2025

ट्रम्पगीरी: शुल्क से बनती नई सत्ताएं

डोनाल्ड ट्रम्प  ने अंतत: अपने दोस्तों  और दुश्मनों को एक लाठी से हांकते हुए उनके निर्यातों के ऊपर शुल्क लगा दिया है। वे मानते हैं कि ये देश लंबे समय से अमेरिकी उदारता का फायदा उठाते रहे हैं। इसलिए एक झटके में उन्होंने दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से ही मुक्त व्यापार और खुली वैश्विक अर्थव्यवस्था की प्रचारक-प्रसारक रही अमेरिकी व्यापार रणनीति को पलट दिया। ताजा संरक्षणवादी घोषणा ट्रम्प के राजनीतिक जनाधार को संतुष्ट करने के लिए भी है। उनके समर्थक वैश्वीकरण के विरोधी हैं। वे मानते हैं कि विनिर्माण क्षेत्र की नौकरियां उदार व्यापार नीतियों के कारण ही अमेरिका से बाहर चली गईं। दूसरी ओर अर्थशास्‍त्री इस कदम को नए व्यापार युद्ध का आगाज मान रहे हैं जो मंदी को पैदा कर सकता है।

इन शुल्कों से ट्रम्प का दुनिया को यह संदेश गया है कि मुफ्तखोरी का दौर अब खत्म हुआ। उनका यह जुआ क्या रंग लाएगा वह देखने वाली बात होगी। इस चौंकाने वाले निर्णय के दबाव में आकर अमेरिका के साथ भारी व्यापार घाटे वाले देश नए सिरे से द्विपक्षीय व्यापार संधि करने पर मजबूर हो जाएंगे या नहीं, यह भी साफ नहीं है।

इस फैसले के नकारात्मक पहलू भी हैं। मसलन, कई देश इसे ऐसे ही स्वीकार नहीं कर लेंगे। चीन, कनाडा और ईयू पलटवार करने को तैयार हैं। कनाडा और मेक्सिको हालांकि नए शुल्कों से उतना प्रभावित नहीं हैं, लेकिन उनके ऊपर पहले से ही काफी शुल्क लदा हुआ है। सभी कारों के निर्यात पर मेक्सिको के ऊपर लगाया गया 25 फीसदी शुल्क उसके लिए विनाशक साबित हो सकता है क्योंकि वहां बड़ी कार निर्माता मौजूद हैं। कनाडा में 28 अप्रैल को चुनाव होने हैं और प्रधानमंत्री मार्क कर्नी की लिबरल पार्टी ओपिनियन पोल में कंजर्वेटिव पार्टी से आगे चल रही है। यह बढ़त अमेरिकी धमकियों के आगे झुकने से प्रधानमंत्री कर्नी के इनकार का ही नतीजा है, इसलिए बहुत संभव है कि इसे कायम रखने के लिए वे शुल्कों के खिलाफ कुछ कदम उठाएं। पहले ही कनाडा ने 155 अरब डॉलर के अमेरिकी निर्यातों पर 25 फीसदी का शुल्क घोषित किया हुआ है। यह घोषणा साल की शुरुआत में की गई थी लेकिन इसे लागू होने का वक्त अब आया है। जहां तक भारत का सवाल है, नई शुल्क नीति मिश्रित असर डाल सकती है। बहुत से लोगों को उम्मीद है कि बहुप्रतीक्षित दूसरे दौर के आर्थिक सुधारों की बारी अब आएगी।

Advertisement

शुल्क बढ़ोतरी से अमेरिकी उपभोक्ताओं को महंगाई का सामना करना पड़ेगा। यदि कंपनियां अमेरिका में निवेश करने का वादा कर भी देती हैं तो उनकी योजनाओं को साकार होने में वक्त लगेगा। यानी रोजगारों के सृजन में भी दो-चार बरस लग ही जाएंगे। इस नाते शुल्क  बढ़ोतरी का कदम राजनीतिक जोखिम वाला है। लोग पहले ही रोजगार कटौती से प्रभावित हैं, जिसका बड़ा श्रेय एलन मस्क को जाता है जिन्होंने नौकरशाही में भारी छंटनी की है।   

विश्व व्यापार संगठन के पूर्व महानिदेशक पास्क‍ल लामी ने सीएनन को दिए एक इंटरव्यू  में माना है कि ट्रम्प ‘अपनी जेब में बंदूक’ रख के दूसरे देशों से सौदा करना चाहते हैं। लामी के मुताबिक ईयू को अमेरिकी शुल्कों से निपटने के लिए अब नए वैकल्पिक बाजारों की तलाश करनी चाहिए।

ट्रम्पत का शुल्क-युद्ध अमेरिका की वैश्विक छवि को भी प्रभावित करेगा। वैश्विक सत्ता  संरचना में लंबे समय के लिए उलटफेर हो सकता है। जॉर्ज वॉशिंगटन युनिवर्सिटी में प्रोफेसर जोआना स्पीयर कहती हैं, ‘मेरे खयाल से दुनिया पर अकेले अमेरिकी प्रभाव के बदले अब प्रभाव के छोटे-छोटे दायरे होंगे। कुछ लाभ चीन को होगा, लेकिन पश्चिमी देश अब एक-दूसरे के साथ ज्यादा व्यापार कर पाएंगे।’

कई जानकारों का कहना है कि ट्रम्प उन्नीसवीं सदी वाली सोच रखते हैं जब दुनिया छोटे-छोटे प्रभाव क्षेत्रों में बंटी हुई थी। ऐसी एक दुनिया में वे अमेरिका का वर्चस्व कायम रखना चाहते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर वे ग्रीनलैंड को कब्जा  सकें। बाकी दो वैश्विक ध्रुवों में चीन और रूस हैं। कई पश्चिमी विश्लेषकों का मानना है कि ट्रम्प प्रशासन इसी रूप में दुनिया को देखता है, हालांकि यह महज अटकलबाजी है और कुछ भी साफ नहीं है। बस इतना स्पष्ट है कि व्लादीमिर पुतिन और शी जिनपिंग के उलट, ट्रम्प अमेरिकी सेना के बजाय अमेरिकी अर्थव्यवस्था और शुल्कों का इस्तेमाल प्रभाव गांठने के औजार के रूप में करने में विश्वास रखते हैं।

फिलहाल पूरी दुनिया अनिश्चय की स्थिति से गुजर रही है और किसी को नहीं पता कि अंतत: क्या होगा, हालांकि वैश्विक अर्थव्यव्स्था को नुकसान होने की बात सभी कर रहे हैं जहां बहुत से देशों को ट्रम्प के शुल्क की मार झेलनी पड़ेगी, जिनमें बेशक अमेरिका के लोग भी शामिल होंगे।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Donald trump's message, other countries, era of freebies
OUTLOOK 16 April, 2025
Advertisement