Advertisement
07 May 2015

नौकरी के लिए अमेरिका जाना मुश्किल न हो जाए

गूगल

अमेरिका में कारोबार कर रही कंपनियां लगातार यह दावा करती रही हैं कि इस वीजा के जरिये दूसरे देशों की विलक्षण प्रतिभाओं को अमेरिका में काम करने का मौका मिलता है और इससे अमेरिका को शोध, अनुसंधान, नई खोजों आदि के रूप में फायदा मिलता है। लेकिन अब अमेरिका में हुए एक अध्ययन से यह बात सामने आई है कि इस वीजा पर अमेरिका आने वालों से वहां अनूठे उत्पाद विकसित करने के मामले में कोई लाभ नहीं होता बल्कि सिर्फ कंपनियों को सस्ते श्रमिक हासिल होते हैं। इसके कारण अमेरिका में वेतन का स्तर भी कम हो जाता है।

 

इस अध्ययन रपट के लेखकों ने कहा है, ‘हमने साबित किया है कि किसी कंपनी को एच-1बी वीजा देने से कंपनी के पेटेंट की संख्या या उसमें नौकरी के दूसरे अवसरों में बढ़ोतरी नहीं होती जैसा कि कंपनियां दावा करती रहती हैं।’ यह अध्ययन तीन अर्थशास्त्रियों किर्क डोरान (नाटेडेम विश्वविद्यालय), एजेंक्जेंडर गेल्बर (कैलीफार्निया वि.वि.) और एडम आइसेन (अमेरिकी वित्त विभाग का कर विश्लेषण कार्यालय) ने किया है। ‘दी इफेक्ट्स ऑफ हाई-स्किल्ड इमिग्रेसन आन फर्म्स: एविडेंस फ्राम एच-1बी वीजा लाटरीज’ में यह वीजा हासिल करने वाली अमेरिकी फर्मों के पेटेंट के दावों और रोजगार के अवसरों का विश्लेषण किया गया है।

Advertisement

 

रपट में कहा गया है, ‘कुल मिलाकर हमारा निष्कर्ष इसके आलोचकों के अनुरूप है जिसमें एच-1बी वीजा प्राप्त कर्मचारी कुछ हद तक अन्य कर्मचारियों की जगह लेते हैं और उन्हें अमेरिकी कर्मचारियों के मुकाबले कम वेतन मिलता है और कंपनी का मुनाफा बढ़ता है। उनका मानना है कि एच-1बी वीजा से कंपनी के रोजगार में कोई उल्लेखनीय बढ़ोतरी नहीं होती। उन्होंने कहा, नए एच-1बी वीजा प्राप्त कर्मचारी अन्य कर्मचारियों के औसत रोजगार के अवसर कम करते हैं। नया अध्ययन उन रपटों के बिल्कुल उलट है जिसमें माना जाता है कि विदेशी कर्मचारी अपने काम के जरिये अमेरिकियों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करते हैं।

 

इस अध्ययन के बाद अब इस वीजा पर रोक लगाने की मांग तेज हो सकती है क्योंकि इससे अमेरिकी युवाओं के लिए नौकरी के अवसर कम होते हैं। गौरतलब है कि अमेरिकी युवाओं की नौकरी खतरे में होने की दुहाई देकर ही अमेरिकी कंपनियों के लिए आउटसोर्सिंग पर परोक्ष रोक लगाई गई है। जो कंपनियां अपना काम भारत या चीन जैसे देशों में आउटसोर्स करती हैं उन्हें अमेरिकी सरकार से किसी तरह की कोई छूट नहीं दी जाती। इस स्थिति का तोड़ कंपनियों ने एच-1बी वीजा के रूप में निकाला। इस वीजा का सबसे अधिक फायदा सॉफ्टवेयर और प्रौद्योगिकी कंपनियां उठाती हैं जो भारत से सस्ते सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ सीमित समय के लिए बुलाकर अपना काम निकालती हैं। ऐसी कंपनियों में इम्फोसिस, विप्रो, टीसीएस जैसी बड़ी भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं जिन्होंने अमेरिका में भी अपना दफ्तर खोल रखा है और बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को इस वीजा पर अमेरिका ले जाती हैं।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: अमेरिका, नौकरी, भारतीय, युवा, सॉफ्टवेयर कंपनियां, एच1बी वीजा, वेतन, America, jobs, Indian, young, software companies, H1-B visas, salary
OUTLOOK 07 May, 2015
Advertisement