सुंदर पिचई कैसे बने गूगल के सीईओ? 5 बड़ी वजहें
गूगल के नए सीईओ बने सुंदरराजन पिचई को तकनीक और कारोबार के क्षेत्र में भारतीय प्रतिभा के दमखम का एक और सबूत माना जा रहा है। 12 जुलाई 1972 को चेन्नई में जन्मे पिचई को गूगल के साथ सैमसंग जैसी कंपनियों की भागीदारी का श्रेय दिया जाता है। आईआईटी खडगपुर से मेटलर्जीकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले सुंदर ने कुछ साल मैकंजी एंड कंपनी में काम किया और वर्ष 2004 में गूगल में प्रोडक्ट मैनेजर के तौर पर नौकरी शुरू की थी। यहां उन्होंने गूगल क्रोम, एंड्राॅयड और गूगल ड्राइव जैसे बेहतरीन प्रोडक्ट विकसित करने में अहम भूमिका निभाई और कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते गए।
1. सैमसंग जैसी इलेक्ट्राॅनिक कंपनियों के साथ गूगल की साझेदारी का काफी श्रेय पिचई को जाता है। गूगल के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट-प्रोडक्ट के तौर उन्होंने महत्वपूर्ण कंपनियों के साथ गूगल की भागीदारी पर जोर दिया। उन्हीं के नेतृत्व में भारत में माइक्रोमैक्स व कार्बन जैसे मोबाइल हैंडसेट निर्माताअों के साथ मिलकर गूगल ने एंड्रायड वन लांच किया था। भागीदारी की यह रणनीति गूगल के लिए काफी फायदेमंद साबित हुई।
2. गूगल क्रोम को कामयाबी दिलाने में अहम भूमिका निभाने के बाद सुंदर पिचई ने एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई। साल भर के भीतर यू-ट्यूब को छोड़कर गूगल के सभी प्रोडक्ट का जिम्मा उन्हें मिल गया था। एंड्रायड की कामयाबी पिचई के करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। शुरुआत में एंड्रायड को साइबर सुरक्षा के लिहाज से कमजोर माना जा रहा था, लेकिन पिचई के नेतृत्व में गूगल की टीम ने एंड्रायड से जुड़ी इस तरह की आशंकाओं पर काफी हद तक काबू पा लिया। गौरतलब है कि गूगल क्रोम और एंड्रायल एकदम नए प्रोडक्ट थे, जो जल्द ही इंटरनेट की दुनिया में छा गए।
3. मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे सुंदर के पिता एक फैक्ट्री में इंजीनियर थे। बचपन से ही सुंदर की दिलचस्पी तकनीक की मदद से आम जनजीवन की दिक्कतें सुलझाने में थी। स्कूल के दिनों में राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा से लेकर आईआईटी और फिर स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी तक उन्होंने अधिकांश पढ़ाई स्कॉलरशिप के बूते पूरी की। उन्हें पढ़ाई के लिए अमेरिका भेजने में परिवार को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। आज सुंदर की सादगी और सरल स्वभाव उनकी खूबियों में गिना जाता है।
4. गूगल क्रोम लांच करने से पहले पिचई ने गूगल टूलबार, जीमेल डेस्कटॉप सर्च आदि को बेहतर बनाने के लिए काम किया। जल्द ही वह गूगल की प्रोडक्ट टीम का चेहरा बन गए थे। वर्ष 2011 में उन्हें जीमेल और गूगल डॉक्स की जिम्मेदारी दी गई और एक ही साल के अंदर वह गूगल में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट के पद तक पहुंच गए।
5. सहकर्मियों की राय है कि सुंदर पिचई शत्रु बनाने से बचते हैं, राजनीति से दूर रहकर काम करने में यकीन रखते हैं और दूसरों को कम से कम नुकसान पहुंचाने वाले एक शर्मिले और पढ़ाकू किस्म के इंसान हैं। वह अपनी कूटनीतिक कौशल के लिए भी जाने-जाते हैं। गूगल का सीईओ बनने से पहले सुंदर पिचई माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला के साथ सह-सीईओ बनने की दौड़ में भी थे। कहा जाता है कि तब गूगल के सह-संस्थापक लैरी पेज उन्हें रोकने में कामयाब रहे।